
#रांची #एमबीबीएस_काउंसलिंग : विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष ने मेडिकल नामांकन में अनियमितताओं पर CBI जांच और पुनः काउंसलिंग की मांग उठाई
- MBBS नामांकन में गंभीर अनियमितताओं का मुद्दा सदन में तीखे स्वर में उठा।
- बाबूलाल मरांडी ने काउंसलिंग रद्द कर CBI जांच की मांग की।
- आरोप: फर्जी जाति व आवासीय प्रमाणपत्रों से योग्य अभ्यर्थी वंचित।
- JCECEB पर MCC गाइडलाइन का पालन नहीं करने का आरोप।
- विपक्ष की चेतावनी—कार्रवाई न हुई तो सदन की कार्यवाही बाधित होगी।
झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन MBBS प्रवेश प्रक्रिया में हो रही कथित अनियमितताओं ने राजनीतिक माहौल को गर्म कर दिया। नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने झारखंड संयुक्त प्रवेश प्रतियोगी परीक्षा बोर्ड (JCECEB) पर मेडिकल काउंसलिंग में गंभीर गड़बड़ियों का आरोप लगाते हुए मामला सदन में जोरदार तरीके से उठाया। उन्होंने बोर्ड के शीर्ष अधिकारियों को हटाने, चल रही काउंसलिंग को तत्काल रद्द करने और पूरे प्रकरण की CBI जांच की मांग की।
मरांडी ने कहा—गाइडलाइन का पालन नहीं, योग्य छात्र वंचित
बाबूलाल मरांडी ने आरोप लगाया कि मेडिकल काउंसलिंग में MCC (Medical Counseling Committee) की गाइडलाइन का सही तरीके से पालन नहीं किया जा रहा। उनके अनुसार NTA द्वारा भेजे गए रिजल्ट की उचित लिंकिंग न होने के कारण पोर्टल पर फर्जी या गलत प्रमाणपत्र अपलोड कर दिए जाते हैं, जिससे सत्यापन प्रक्रिया प्रभावित होती है।
उन्होंने कहा कि—
“गड़बड़ियों के चलते दर्जनों योग्य और मेहनती विद्यार्थी अपने हक की सीटों से वंचित हो रहे हैं, जबकि फर्जी दस्तावेज जमा करने वाले चयनित हो जा रहे हैं।”
मरांडी ने उदाहरण देते हुए बताया कि हाल के महीनों में फर्जी प्रमाणपत्रों के आधार पर कई छात्रों के MBBS प्रवेश की जांच खुद JCECEB कर रहा है, और कुछ मामलों में प्रवेश रद्द भी किया जा चुका है।
फर्जी सर्टिफिकेट के मामले, कई प्रवेश रद्द
पिछले कुछ महीनों में बोर्ड ने कम-से-कम 10 से अधिक प्रवेशों की जांच शुरू की है, जिनमें छात्रों ने फर्जी जाति प्रमाणपत्र के आधार पर मेडिकल सीट हासिल की थी। एक मामले में अनुसूचित जनजाति का फर्जी प्रमाणपत्र देकर सीट लेने पर छात्रा का प्रवेश रद्द कर दिया गया। इसके बाद मेडिकल कॉलेजों से जाति और आवासीय प्रमाणपत्रों की सत्यापित प्रतियां अनिवार्य रूप से मंगाई गई थीं।
विपक्ष का कहना है कि यह स्थिति प्रमाणपत्र जांच व्यवस्था की कमजोरियों को उजागर करती है और इससे मेरिट आधारित चयन प्रक्रियाएँ प्रभावित हो रही हैं।
काउंसलिंग रद्द करने और CBI जांच की मांग
सदन में अपनी मांग रखते हुए मरांडी ने स्पष्ट कहा कि—
“जब तक शीर्ष स्तर पर बदलाव नहीं होगा, तब तक मेडिकल काउंसलिंग में पारदर्शिता सुनिश्चित नहीं की जा सकती।”
उन्होंने तीन प्रमुख मांगें रखीं—
- JCECEB के शीर्ष अधिकारियों को तत्काल हटाया जाए
- चल रही MBBS काउंसलिंग रद्द कर पुनः नियमों के अनुसार कराई जाए
- पूरा मामला CBI को सौंपकर निष्पक्ष जांच कराई जाए
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने इन मांगों पर उचित कार्रवाई नहीं की, तो विपक्ष सदन की कार्यवाही बाधित करता रहेगा।
विपक्ष का आरोप—प्रभावशाली लोगों को दिया जा रहा फायदा
विपक्ष का कहना है कि पोर्टल इंटीग्रेशन में खामियों और सत्यापन प्रक्रिया की ढिलाई का लाभ उठाकर कुछ प्रभावशाली लोग अपने पसंदीदा अभ्यर्थियों को फायदा पहुँचा रहे हैं। इससे मेधावी छात्रों का भविष्य प्रभावित हो रहा है और चयन प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर सवाल उठ रहे हैं।
इस मुद्दे पर सदन में जोरदार हंगामा, नारेबाजी और तीखी प्रतिक्रियाएँ देखने को मिलीं। स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़ा यह मामला शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन का मुख्य राजनीतिक विवाद बन गया।
न्यूज़ देखो : पारदर्शी काउंसलिंग व्यवस्था की जरूरत
झारखंड के मेडिकल एडमिशन में प्रमाणपत्र सत्यापन और पोर्टल इंटीग्रेशन की कमियाँ लंबे समय से सामने आती रही हैं। काउंसलिंग जैसी संवेदनशील प्रक्रिया में पारदर्शिता और तकनीकी मजबूती अनिवार्य है, ताकि किसी भी छात्र का भविष्य गलत दस्तावेज़ों की वजह से प्रभावित न हो। इस मामले का समाधान सरकार और बोर्ड दोनों की सक्रिय भागीदारी से ही संभव है।
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युवाओं का हक सुरक्षित करना सबकी जिम्मेदारी
MBBS जैसी राष्ट्रीय स्तर की प्रतिस्पर्धी परीक्षा में किसी भी प्रकार की अनियमितता छात्रों की मेहनत को कमजोर करती है।
सरकार और एजेंसियों को चाहिए कि प्रमाणपत्र जांच को और मजबूत करें।
युवा अभ्यर्थियों को भी दस्तावेज़ों की पारदर्शिता और सत्यापन पर जागरूक रहना चाहिए।
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