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वट सावित्री पूजा में डुमरी की सुहागिनों ने दिखाई अद्भुत श्रद्धा, वैदिक विधि-विधान से हुआ पूजन

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#गुमला #वटसावित्री_पूजा – आस्था, परंपरा और स्त्रीशक्ति का का अद्भुत संगम बना डुमरी में वट सावित्री पूजा

डुमरी से आदित्य कुमार की रिपोर्ट

  • डुमरी प्रखंड में महिलाओं ने श्रद्धा और परंपरा के साथ मनाया वट सावित्री व्रत
  • पंडिताइन के मार्गदर्शन में वैदिक विधि-विधान से हुआ पूजन और कथा वाचन
  • सुहागिनों ने वटवृक्ष की सात परिक्रमा कर धागा बांध संकल्प लिया
  • पूजन स्थलों पर दिखा सांस्कृतिक सौहार्द्र और नारीशक्ति की एकता
  • पूजन के बाद महिलाओं ने एक-दूसरे को पूजन सामग्री भेंट कर दीं शुभकामनाएं

डुमरी में आस्था और संस्कृति का अद्भुत संगम

गुमला जिला अंतर्गत डुमरी प्रखंड में सोमवार, 26 मई 2025 को वट सावित्री पूजा का पावन पर्व पारंपरिक उत्साह और गहरी आस्था के साथ मनाया गया। सुबह से ही क्षेत्र की सैकड़ों सुहागिन महिलाएं व्रत रखकर पारंपरिक वस्त्रों में सज-धजकर पूजा स्थलों की ओर रवाना हुईं। उन्होंने वटवृक्ष की पूजा करते हुए अपने पति की लंबी उम्र, परिवार की खुशहाली और समाज की समृद्धि की कामना की।

पंडिताइन के सान्निध्य में विधिवत पूजन

पूजन कार्यक्रम की विशेष बात यह रही कि संपूर्ण विधि-विधान स्थानीय पंडिताइन द्वारा संपन्न कराया गया, जिन्होंने महिलाओं को वट सावित्री व्रत की धार्मिक महत्ता, पूजन विधि और कथा का भावपूर्ण वाचन कराया।
सभी महिलाओं ने उनकी देखरेख में वटवृक्ष की सात परिक्रमा की, धागा बांधकर संकल्प लिया और सावित्री-सत्यवान की प्रेम, त्याग और संकल्प की कथा को श्रद्धा से सुना।

“यह पर्व सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि नारी शक्ति की आस्था और परिवार के प्रति उनके प्रेम का प्रतीक है”

पूजन में दिखी पारंपरिक सजधज और सुहाग के प्रतीक

महिलाएं लाल-पीली पारंपरिक साड़ियों में, हाथों में चूड़ियां, माथे पर सिंदूर और पूजन थाली में रोली, मौली, फल-फूल, पंखा, जलकलश और अन्य पूजन सामग्री लेकर पहुंचीं। उनकी सजधज और समर्पण ने पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया। पूजा के दौरान महिलाओं ने एक-दूसरे को पूजन सामग्री भेंट की, पर्व की शुभकामनाएं दीं और सामूहिक सौहार्द्र का परिचय दिया।

प्रमुख स्थलों पर सामूहिक आयोजन

डुमरी प्रखंड के मुख्य डुमरी मंदिर के समीप वटवृक्ष और स्थानीय शिव मंदिर परिसर में पूजा का सामूहिक आयोजन किया गया। यहां भजन-कीर्तन और सांस्कृतिक गतिविधियां भी हुईं, जिनमें महिलाओं की उत्साही भागीदारी देखने को मिली। पूजा के समापन पर सभी व्रतधारियों ने एक-दूसरे को आशीर्वाद और शुभकामनाएं दीं, जिससे पर्व का उत्साह और भी बढ़ गया।

सामाजिक सौहार्द्र और स्त्रीशक्ति की झलक

इस पर्व के आयोजन ने केवल धार्मिक श्रद्धा को ही नहीं, बल्कि सामाजिक एकता, पारिवारिक मूल्यों और नारीशक्ति के सम्मान को भी बल दिया। डुमरी की महिलाओं ने अपने त्याग, प्रेम और समर्पण से यह संदेश दिया कि भारतीय संस्कृति की नींव महिलाओं की आस्था और शक्ति पर टिकी है।

न्यूज़ देखो : आस्था से जुड़े हर पर्व की सजीव रिपोर्टिंग

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