
#नेतरहाट #करवाचौथ : पहाड़ी नगरी में सुहागिनों ने चाँद की चाँदनी संग रचा प्रेम और समर्पण का अनोखा दृश्य
- नेतरहाट की वादियों में करवा चौथ का पर्व बना सौंदर्य और आस्था का संगम।
- सुहागिनों ने निर्जला व्रत रख पति की दीर्घायु की कामना की।
- शाम को छलनी से चाँद और पति का दर्शन कर अर्घ्य अर्पित किया गया।
- पूरे नगर में दीयों की रोशनी और मेंहदी रचे हाथों ने उत्सव का रंग भरा।
- सामूहिक पूजा और कथा पाठ से गूंज उठा नेतरहाट का वातावरण।
नेतरहाट की सुरम्य वादियों में शुक्रवार की रात करवा चौथ का पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि प्रेम, आस्था और सौंदर्य का उत्सव बन गया। सुबह से ही सुहागिनों ने निर्जला व्रत रख अपने पति की दीर्घायु की कामना की। दिनभर करवा, साज-सज्जा और पूजा सामग्री की दुकानों पर भीड़ लगी रही, वहीं शाम होते-होते पहाड़ी नगरी के हर आंगन में दीयों की रोशनी और साज-सज्जा की चमक दिखाई देने लगी।
सुहागिनों की श्रद्धा से नहाया नेतरहाट
जैसे ही सूरज ढला और हवा में ठंडक घुली, महिलाएं सजधज कर पूजा की तैयारी में जुट गईं। परंपरा के अनुसार उन्होंने मिट्टी के करवे में जल भरकर गणेश जी की पूजा की और चंद्रमा के उदय की प्रतीक्षा करने लगीं। आसमान में जैसे ही चाँद निकला, वादियों में एक अद्भुत नजारा देखने को मिला। सुहागिनों ने छलनी से चाँद और अपने पति का दर्शन किया, अर्घ्य अर्पित किया और अपने व्रत का पारण किया।
स्थानीय महिला नेहा देवी ने कहा: “नेतरहाट की चाँदनी में करवा चौथ मनाना किसी वरदान से कम नहीं। यह रात सिर्फ व्रत की नहीं, बल्कि अपने जीवनसाथी के प्रति समर्पण की प्रतीक है।”
पूरे नगर में पारंपरिक गीतों की गूंज सुनाई दी — “चाँद ने चाँदनी बिखेरी, सजनी ने माँगी दुआएँ…” जैसी मंगलधुनों ने वातावरण को भक्ति और प्रेम से भर दिया।
वादियों में छाई चाँदनी और उत्सव की रौनक
मुख्य बाज़ार, होटल क्षेत्र और आस-पास के गांवों में भी करवा चौथ की रौनक देखने लायक थी। दुकानदारों ने रंग-बिरंगे करवे, साड़ी, सिंगार और मिठाइयों की बिक्री से दिनभर रौनक बनाए रखी। कई जगह सामूहिक पूजा और कथा पाठ का आयोजन किया गया जिसमें स्थानीय महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा में शामिल हुईं।
नेतरहाट के पर्यटक स्थलों पर भी लोग इस रात का आनंद लेने पहुंचे। जब चाँद की चाँदनी पहाड़ियों पर बिखरी, तो पूरा क्षेत्र रजत-प्रभा से नहाया प्रतीत हुआ। एक स्थानीय युवक ने कहा कि यह दृश्य किसी फिल्म के सेट जैसा सुंदर लग रहा था — प्रकृति, प्रेम और पूजा का संगम।
प्रेम और परंपरा का अनोखा संगम
करवा चौथ का व्रत भारतीय संस्कृति की उस परंपरा को जीवित रखता है जिसमें नारी अपने परिवार की मंगलकामना के लिए तपस्विनी बन जाती है। नेतरहाट की शांत वादियों में यह पर्व जैसे भावनाओं की भाषा बोल रहा था। यहाँ के लोग मानते हैं कि यह पर्व केवल व्रत या कर्मकांड नहीं, बल्कि दांपत्य जीवन में विश्वास और समर्पण का प्रतीक है।
स्थानीय समाजसेवी संतोषी देवी ने कहा: “नेतरहाट जैसे शांत स्थल पर जब महिलाएं करवा चौथ मनाती हैं, तो यह पर्व आध्यात्मिक अनुभव बन जाता है। यह केवल चाँद को देखने का अवसर नहीं, बल्कि अपने रिश्ते की चमक को महसूस करने का क्षण है।”
रात देर तक दीपों की पंक्तियाँ और गीतों की गूंज बनी रही। होटल क्षेत्र से लेकर स्थानीय गांवों तक लोगों ने इस त्योहार को खुशी, सजगता और पारिवारिक एकता के साथ मनाया।
न्यूज़ देखो: पर्व से परे प्रेम का प्रतीक
नेतरहाट की यह करवा चौथ केवल पर्व नहीं रही, बल्कि प्रेम और आस्था के संगम की जीवंत झांकी बन गई। यह दृश्य दिखाता है कि पर्व केवल रीति नहीं, बल्कि रिश्तों की गरिमा का उत्सव भी हैं। जब परंपरा सौंदर्य से मिलती है, तो वह केवल पूजा नहीं, बल्कि संस्कृति का जश्न बन जाती है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
प्रेम से भरे पर्व में सामाजिक संदेश छिपा है
करवा चौथ केवल पति-पत्नी के रिश्ते का प्रतीक नहीं, बल्कि यह समाज को एकता, त्याग और भावनात्मक जुड़ाव का संदेश भी देता है। इस पर्व से प्रेरणा लेकर हमें अपने रिश्तों में संवाद और सम्मान बढ़ाने की पहल करनी चाहिए। आइए, इस चाँदनी रात के प्रेम संदेश को अपने जीवन में उतारें। अपनी राय कमेंट में लिखें और इस खबर को दोस्तों तक शेयर करें ताकि नेतरहाट की यह भावनात्मक झलक हर दिल तक पहुंचे।