
#दुमका #भूमिअधिग्रहण : सड़क बनने के बाद अधिसूचना जारी होने से प्रभावित रैयतों ने जताई नाराजगी – नोनीहाट इलाके में 11 किसानों की जमीन पर अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू
- समाहरणालय दुमका के भू-अर्जन शाखा ने जारी की अधिसूचना संख्या 2559/भूमि दिनांक 14 अक्टूबर 2025।
- अधिनियम 30/2013 की धारा 19(1) के तहत भूमि अधिग्रहण की सूचना जारी की गई।
- नोनीहथवारी पुल–शीतपहाड़ी पथ के चौड़ीकरण और सुदृढ़ीकरण कार्य के लिए 0.675 हेक्टेयर भूमि अधिगृहित की जा रही है।
- अधिग्रहण से 11 रैयतों की जमीन प्रभावित – सभी मौजा नोनीहाट, थाना संख्या 37, जिला दुमका में स्थित।
- सड़क निर्माण पहले ही पूरा हो चुका, अब अधिसूचना आने पर रैयतों ने उठाया सवाल।
दुमका जिले में उस समय हड़कंप मच गया जब सड़क निर्माण के बाद भूमि अधिग्रहण की अधिसूचना जारी कर दी गई। समाहरणालय, जिला भू-अर्जन शाखा की ओर से अधिसूचना संख्या 2559/भूमि दिनांक 14.10.2025 जारी की गई है। यह अधिसूचना अधिनियम 30/2013 की धारा 19(1) के तहत जारी की गई है, जिसमें नोनीहथवारी पुल–शीतपहाड़ी मार्ग के चौड़ीकरण और सुदृढ़ीकरण हेतु 0.675 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाना है। इससे 11 रैयतों की निजी भूमि प्रभावित हो रही है।
पहले सड़क बनी, अब अधिसूचना जारी
जानकारी के अनुसार नोनीहथवारी पुल से शीतपहाड़ी तक का सड़क निर्माण कार्य पहले ही पूरा किया जा चुका है। अब जब परियोजना का उपयोग शुरू हो चुका है, तब अधिग्रहण की अधिसूचना जारी होने से रैयतों में असंतोष की लहर है। प्रभावित ग्रामीणों ने सवाल उठाया है कि जब सड़क पहले से तैयार है, तो अब अधिसूचना जारी करने का क्या औचित्य है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले उनकी सहमति लिए बिना काम शुरू कर दिया गया और अब अधिसूचना के नाम पर औपचारिकता निभाई जा रही है। प्रशासन की इस कार्यप्रणाली से ग्रामीण खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
अधिग्रहित होने वाली भूमि का ब्यौरा
अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि अधिग्रहण की जाने वाली भूमि मौजा नोनीहाट, थाना संख्या 37, जिला दुमका के अंतर्गत आती है। कुल 0.675 हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैली इस भूमि पर 11 अलग-अलग रैयतों का स्वामित्व है। यह भूमि सड़क के चौड़ीकरण और मजबूतीकरण कार्य में उपयोग के लिए चिन्हित की गई है।
प्रभावित रैयतों की चिंता
रैयतों का कहना है कि परियोजना की शुरुआत के समय उन्हें मुआवजे का कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया गया था। कई लोगों ने बताया कि निर्माण के दौरान उनकी फसलों और पेड़ों को नुकसान पहुंचा, लेकिन किसी तरह का मुआवजा नहीं मिला। अब अधिसूचना जारी कर भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू की जा रही है, जिससे उन्हें आर्थिक और मानसिक दोनों प्रकार से नुकसान झेलना पड़ रहा है।
एक स्थानीय रैयत ने कहा: “पहले हमारी जमीन पर सड़क बना दी गई, अब अधिग्रहण की बात हो रही है। हम चाहते हैं कि हमें उचित मुआवजा और न्याय मिले।”
प्रशासनिक स्तर पर क्या कहा गया
अधिकारियों के अनुसार यह अधिसूचना प्रक्रिया का हिस्सा है और कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए जारी की गई है। फिलहाल प्रभावित रैयतों की सूची तैयार कर उन्हें नियमानुसार मुआवजा देने की तैयारी की जा रही है।
मुआवजा तय करने में देरी की आशंका
सूत्रों के अनुसार, इस अधिसूचना के बाद अब भू-अर्जन विभाग को मूल्यांकन और मुआवजा निर्धारण की प्रक्रिया शुरू करनी होगी। विशेषज्ञों का मानना है कि चूंकि सड़क पहले ही बन चुकी है, इसलिए भूमि का बाजार मूल्य अब परिवर्तित हो चुका है। ऐसे में पुराने मूल्यांकन के आधार पर मुआवजा देना रैयतों के लिए अन्यायपूर्ण हो सकता है।
राजनीतिक और सामाजिक प्रतिक्रिया
इस मामले ने स्थानीय स्तर पर राजनीतिक रंग भी लेना शुरू कर दिया है। कुछ सामाजिक संगठनों ने इसे “प्रशासनिक लापरवाही” करार दिया है और मांग की है कि पहले प्रभावितों को मुआवजा दिया जाए, फिर आगे की कार्रवाई हो।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी कहा है कि अधिसूचना प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की जानी चाहिए, ताकि ग्रामीणों का भरोसा प्रशासन पर बना रहे।

न्यूज़ देखो: अधिग्रहण प्रक्रिया की पारदर्शिता पर उठे सवाल
दुमका की यह घटना यह बताती है कि अधिग्रहण और विकास के बीच संतुलन बनाए रखना कितना जरूरी है। यदि सड़क बनने के बाद ही अधिसूचना जारी होती है, तो यह प्रशासनिक पारदर्शिता पर सवाल खड़े करता है। ऐसी स्थितियों में ग्रामीणों का भरोसा कमजोर पड़ता है और जनहित की योजनाएं विवादों में घिर जाती हैं।
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सजग नागरिकता ही विकास की गारंटी
जनहित की परियोजनाएं तभी सार्थक होंगी जब उनमें पारदर्शिता और संवाद बना रहे। हर नागरिक का अधिकार है कि उसकी भूमि का उचित मूल्य और सम्मान मिले। अब समय है कि हम सब ऐसे मामलों में जागरूक बनें, न्यायसंगत प्रक्रिया की मांग करें और ग्रामीणों की आवाज को आगे बढ़ाएं।
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