#लातेहार #स्वास्थ्य_लापरवाही : रात में इलाज न मिलने से 23 वर्षीय कुंदन कुमार की मौत — परिजनों ने डॉक्टर पर गंभीर आरोप लगाए
- 23 वर्षीय कुंदन कुमार को रात 2 बजे अचानक पेट में तेज दर्द हुआ।
- सदर अस्पताल में 2.30 घंटे तक इलाज नहीं मिला, डॉक्टर और स्टाफ सोते रहे।
- परिजनों ने कई बार जगाने की कोशिश की, लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
- कंपाउंडर ने एक इंजेक्शन देने के बाद रिम्स रेफर किया, रास्ते में हुई मौत।
- स्थानीय लोगों ने अस्पताल की कार्यप्रणाली पर आक्रोश जताया।
झारखंड के लातेहार सदर अस्पताल में एक बार फिर स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही ने एक परिवार की खुशियां छीन लीं। 23 वर्षीय कुंदन कुमार की मौत सिर्फ इसलिए हो गई क्योंकि आपात स्थिति में भी समय पर इलाज नहीं मिला। परिजन और स्थानीय लोग अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर सवाल उठा रहे हैं, जबकि यह कोई पहली घटना नहीं है जब सदर अस्पताल लापरवाही को लेकर सुर्खियों में आया हो।
देर रात दर्द से तड़पता रहा मरीज, डॉक्टर सोते रहे
घटना लातेहार सदर अस्पताल की है, जहां कुंदन कुमार, पिता विनोद गुप्ता, को गुरुवार रात लगभग 2 बजे अचानक पेट में तेज दर्द हुआ। परिजन उन्हें तुरंत अस्पताल लेकर पहुंचे। वहां पहुंचने के बाद करीब 2.30 घंटे तक कुंदन दर्द से तड़पता रहा, लेकिन आपातकालीन वार्ड में न तो कोई डॉक्टर मौजूद था और न ही कोई मेडिकल स्टाफ सक्रिय।
परिजनों का आरोप है कि उन्होंने कई बार डॉक्टर और स्टाफ को जगाने की कोशिश की, लेकिन किसी ने दरवाजा तक नहीं खोला। बताया जा रहा है कि ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर और कर्मचारी उस समय अपने कमरे में सो रहे थे।
हालत बिगड़ने के बाद आनन-फानन में रेफर
परिजनों के मुताबिक, जब कुंदन की हालत बेहद खराब हो गई और उनके रोने-चिल्लाने की आवाज अस्पताल में गूंजने लगी, तब एक कंपाउंडर वहां पहुंचा। उसने जल्दबाजी में एक इंजेक्शन दिया और मरीज को रिम्स, रांची रेफर कर दिया। लेकिन लापरवाही से गंवाए गए समय ने जान ले ली — रिम्स ले जाते समय रास्ते में ही कुंदन की मौत हो गई।
परिजन बोले: “अगर समय पर इलाज मिल जाता तो कुंदन आज जिंदा होता। डॉक्टरों की नींद हमारी जान से भारी पड़ गई।”
परिजनों और स्थानीय लोगों में आक्रोश
इस घटना के बाद परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। वहीं, स्थानीय लोगों ने भी अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं। लोगों का कहना है कि यह पहली बार नहीं है जब सदर अस्पताल की लापरवाही से मरीज की जान गई हो।
पहले भी हो चुकी है ऐसी घटनाएं
कुछ महीने पहले, 14 जून को भी एक सड़क हादसे में घायल रामप्रीत उरांव की मौत समय पर एंबुलेंस और सुविधा न मिलने के कारण हो गई थी। उस समय ग्रामीणों ने सदर अस्पताल परिसर में जमकर विरोध प्रदर्शन किया था।
ग्रामीणों का आरोप था कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिस एंबुलेंस की व्यवस्था की गई थी, उसमें न तो ऑक्सीजन सिलेंडर था, न ही एसी और अन्य आवश्यक सुविधाएं। मरीज को अस्पताल परिसर में ढाई घंटे तक इंतजार करना पड़ा। बाद में जब दबाव बना, तो अस्पताल में छिपाकर रखी गई एंबुलेंस को बाहर निकाला गया, लेकिन तब तक मरीज की हालत बिगड़ चुकी थी और रांची ले जाते वक्त उसने दम तोड़ दिया।
लगातार सवालों के घेरे में अस्पताल प्रबंधन
लगातार हो रही इन घटनाओं से स्पष्ट है कि लातेहार सदर अस्पताल की कार्यप्रणाली में गंभीर खामियां हैं। आपात स्थितियों में त्वरित इलाज और सुविधा उपलब्ध कराना स्वास्थ्य विभाग की प्राथमिक जिम्मेदारी है, लेकिन यहां बार-बार इसकी अनदेखी हो रही है।

न्यूज़ देखो: लापरवाह स्वास्थ्य व्यवस्था पर जनता का गुस्सा
लातेहार सदर अस्पताल में बार-बार लापरवाही से हुई मौतें यह दर्शाती हैं कि प्रशासनिक दावे और जमीन की हकीकत में गहरी खाई है। जिस जगह पर मरीज को जिंदगी की सबसे ज्यादा उम्मीद होनी चाहिए, वहीं मौत इंतजार कर रही है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
सजग नागरिक बनें, लापरवाही पर आवाज उठाएं
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