
#सिमडेगा #गौरवमशालयात्रा : झारखंड गौरव मशाल यात्रा में हजारों नागरिकों ने हिस्सा लेकर एकता, स्वाभिमान और सांस्कृतिक चेतना का संदेश दिया
- हजारों नागरिकों, विद्यार्थियों और एनसीसी कैडेटों ने यात्रा में भाग लिया।
- यात्रा गांधी मैदान से नगर भवन तक निर्धारित किया गया।
- जनता ने मशालें थामे और “झारखंड गौरव अमर रहे” के नारे लगाते हुए सहभागिता की।
- स्थानीय कलाकारों ने पारंपरिक वेशभूषा में रंग-बिरंगे नृत्यों और लोकगीतों से प्रस्तुति दी।
- बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई।
सिमडेगा जिले में आयोजित झारखंड गौरव मशाल यात्रा में सुबह से ही गांधी मैदान परिसर देशभक्ति और उत्साह के रंग में सराबोर था। एनसीसी कैडेट और छात्रों की कतारें सजी थीं, मंच के पास गौरव मशाल रथ को फूलों से सजाया गया। जैसे ही यात्रा शुरू हुई, भारत माता की जय, वंदे मातरम् और जय जवान–जय किसान के नारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा। हजारों लोग मशालें थामे आगे बढ़े। उनके चेहरे पर गर्व और आंखों में चमक साफ झलक रही थी।
यात्रा गांधी मैदान से प्रिंस चौक, मुख्य पथ, महावीर चौक होते हुए नगर भवन तक चली। नगर भवन पर धरती आबा भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण और पुष्प अर्पित किया गया। इस अवसर पर उपस्थित थे उपायुक्त श्रीमती कंचन सिंह, एसडीओ प्रभात रंजन ज्ञानी, एसडीपीओ बैजू उरांव, थाना प्रभारी रोहित कुमार रजक, चैंबर आफ कॉमर्स अध्यक्ष मोतीलाल अग्रवाल, जैन मुनि डॉ. पद्मराज स्वामी, सिमडेगा कॉलेज प्राचार्य प्रो. देवराज प्रसाद, हाकी सिमडेगा अध्यक्ष मनोज कोनबेगी, ब्रिलिएंट्स स्कूल प्राचार्य गोरखनाथ सिंह समेत कई विद्यालय प्राचार्य, शिक्षक और विद्यार्थी।
सांस्कृतिक प्रदर्शन और जनभागीदारी
स्थानीय कलाकारों और विद्यार्थियों ने पारंपरिक वेशभूषा में रंग-बिरंगे नृत्यों और झांझ, ढोलक की थाप पर प्रस्तुति दी। उनकी प्रस्तुतियों ने झारखंड की विविध सांस्कृतिक विरासत और गौरवशाली इतिहास को जीवंत किया। दर्शकों ने हाथ में मशालें लेकर और भारत माता के जयकारे लगाकर इस सांस्कृतिक आयोजन को और भी भव्य बनाया। युवा और बुजुर्ग दोनों ही उत्साह के साथ इस यात्रा का हिस्सा बने, जिससे समुदाय में एकता और सामाजिक चेतना का संदेश गया।
उपायुक्त का संदेश
उपायुक्त श्रीमती कंचन सिंह ने सभी उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए कहा:
श्रीमती कंचन सिंह ने कहा: “इस गौरव यात्रा से हमें यह स्मरण होता है कि झारखंड का इतिहास कितना महान और पवित्र रहा है। जिस प्रकार विभिन्न रंगों से मिलकर रंगोली बनती है, नदी-पहाड़ और पेड़-पौधों से जंगल बनता है, वादन, गीत और नृत्य से संगीत बनता है, उसी प्रकार विभिन्न धर्म, जाति, भाषा और समुदाय से मिलकर झारखंड बना है। हमें संकल्प लेना चाहिए कि अगले 25 वर्षों में ऐसा कार्य करें जिससे जब झारखंड की 50वीं जयंती मनाई जाए, तो इस गौरव यात्रा को गर्वपूर्वक याद किया जा सके।”
उपायुक्त ने कहा कि सामाजिक भेदभाव, पक्षपात और प्रलोभन से ऊपर उठकर सभी नागरिकों को जिले, राज्य और देश की प्रगति में सक्रिय योगदान देना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस तरह की सांस्कृतिक गतिविधियाँ युवाओं में जागरूकता और जिम्मेदारी पैदा करती हैं और समाज में आपसी एकता बढ़ाती हैं।

न्यूज़ देखो: गौरव मशाल यात्रा ने एकता और सांस्कृतिक चेतना को मजबूत किया
झारखंड गौरव मशाल यात्रा ने दिखाया कि समुदाय और युवा जब मिलकर एक उद्देश्य के लिए काम करते हैं, तो सामाजिक जागरूकता और सांस्कृतिक सम्मान को नई ऊँचाई मिलती है। इस आयोजन से यह स्पष्ट हुआ कि राज्य के नागरिक अपनी सांस्कृतिक विरासत और गौरव को संरक्षित रखने में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार हैं।
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समाज में एकता और सक्रिय नागरिकता का संदेश
यह गौरव यात्रा साबित करती है कि नागरिकों की भागीदारी से सामाजिक बदलाव और सांस्कृतिक चेतना संभव है। युवा और बुजुर्ग सभी को अपनी संस्कृति, परंपरा और सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति सजग रहना चाहिए। इस खबर को पढ़कर अपनी राय साझा करें, दोस्तों और परिवार के साथ साझा करें और झारखंड की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित रखने में सक्रिय योगदान दें। अपने अनुभव और सुझाव कमेंट बॉक्स में लिखें और समाज में जागरूकता फैलाएं।





