
#रांची #शिवलिंग_संरक्षण : एक लाख पोस्टकार्ड की अपील के बावजूद प्रशासन मौन, स्वर्णरेखा-हरमू संगम पर फैली गंदगी और उपेक्षा से क्षतिग्रस्त हो रही आस्था की पहचान
- स्वर्णरेखा और हरमू नदी के संगम पर स्थित हैं 21 प्राचीन शिवलिंग
- स्थानीय बच्चों और लोगों ने मुख्यमंत्री व पीएम को भेजे थे एक लाख पोस्टकार्ड
- गंदगी, प्रदूषण और अतिक्रमण से खतरे में सांस्कृतिक धरोहर
- अब नहीं लगती धार्मिक भीड़, पूजा-पाठ लगभग बंद
- जनप्रतिनिधियों को सूचना देने के बाद भी कार्रवाई नहीं
गुम होती जा रही सांस्कृतिक धरोहर
रांची शहर के हृदयस्थल पर स्थित स्वर्णरेखा और हरमू नदी के संगम पर मौजूद 21 प्राचीन शिवलिंग आज बदहाली के दौर से गुजर रहे हैं। ये शिवलिंग सिर्फ पत्थर नहीं, हजारों वर्षों की धार्मिक परंपरा और सांस्कृतिक पहचान के प्रतीक हैं। लेकिन वर्तमान में प्रदूषित जल, कूड़ा-कचरा, अतिक्रमण और प्रशासनिक लापरवाही के चलते ये धरोहर नष्ट होने के कगार पर हैं।
एक लाख पोस्टकार्ड का भी नहीं हुआ असर
कुछ महीने पहले स्थानीय लोगों और बच्चों ने मिलकर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को एक लाख से अधिक पोस्टकार्ड भेजे थे, ताकि इस ऐतिहासिक स्थल का संरक्षण हो सके। लेकिन आज तक ना तो शिवलिंगों की सफाई हुई, ना ही क्षेत्र को संरक्षित घोषित किया गया।
हरमू नदी का गंदा पानी लगातार शिवलिंगों को बहाकर या ढंककर नुकसान पहुंचा रहा है। इसके आसपास का क्षेत्र गंदगी से सना है – गंदे कपड़े, प्लास्टिक और नालियों का पानी खुले में बह रहा है।
श्रद्धा का केंद्र अब बना उपेक्षा का शिकार
कभी यह स्थल श्रावण मास, महाशिवरात्रि और अन्य पर्वों पर श्रद्धालुओं से भरा रहता था। यहां कालसर्प दोष के निवारण का भी विश्वास था। अब हालात यह हैं कि कई शिवलिंग जलमग्न हो चुके हैं, कुछ दरक चुके हैं और आसपास की गंदगी ने श्रद्धालुओं की आस्था को भी हिला दिया है। न तो अब कोई पुजारी मौजूद रहता है, न ही कोई स्थायी देखरेख की व्यवस्था है।
जनप्रतिनिधि भी बने मूक दर्शक
स्थानीय लोगों ने इन शिवलिंगों की स्थिति की जानकारी मंत्रियों, विधायकों और सांसदों तक भी पहुंचाई है। लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिला है, कोई ठोस कदम अब तक नहीं उठाया गया। स्थानीय नागरिक ही कभी-कभी पूजा कर रहे हैं, लेकिन सरकारी संरक्षण के बिना यह पहल भी थम सकती है।
न्यूज़ देखो: विरासत के प्रति संवेदनशील हो सरकार
न्यूज़ देखो मानता है कि रांची के 21 प्राचीन शिवलिंगों का संरक्षण न केवल धार्मिक जरूरत है, बल्कि यह झारखंड की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जिम्मेदारी भी है। सरकार को चाहिए कि वह इस स्थल को हेरिटेज जोन घोषित करे, स्थायी सफाई और सुरक्षा व्यवस्था लागू करे, और हरमू नदी की गंदगी पर रोक लगाए।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
आस्था की रक्षा सिर्फ संकल्प से नहीं, कार्रवाई से होती है
शिवलिंगों की ये दुर्दशा एक चेतावनी है — अगर अब भी हमने नहीं संभाला, तो आने वाली पीढ़ियों को सिर्फ तस्वीरों में दिखाना होगा कि कभी यहां प्राचीन शिवलिंग थे। अब समय है कि प्रशासन जागे और इन अमूल्य धरोहरों की रक्षा के लिए ठोस कदम उठाए।