
#गढ़वा #आंगनबाड़ी_व्यवस्था : विशुनपुरा प्रखंड के स्कूलों में संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों में भारी अनियमितता — बच्चे भूखे, रजिस्टर पर उपस्थिति तक नहीं दर्ज
- सारो पंचायत के आंगनबाड़ी केंद्र में 8 जुलाई तक भी हाजिरी दर्ज नहीं
- बच्चों को सिर्फ खिचड़ी दी जा रही, अन्य नाश्ता और पोषक आहार नहीं
- सेविका ने हाजिरी रजिस्टर दिखाने से किया इनकार, सहायिका ने जताई असहायता
- मुड़ेअहरा टोला केंद्र पर एक बजे से पहले बच्चों को पानी की कमी बताकर छुट्टी
- CDPO ने दोनों केंद्रों की जांच के आदेश दिए, कार्रवाई की बात कही
सारो पंचायत के केंद्रों में नहीं दिखी व्यवस्था की छाया
विशुनपुरा प्रखंड के राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय, सारो में संचालित आंगनबाड़ी केंद्र की स्थिति चिंताजनक मिली। 8 जुलाई बीत जाने के बाद भी हाजिरी रजिस्टर पर एक भी दिन की उपस्थिति दर्ज नहीं थी। जबकि सरकारी निर्देशों के अनुसार, बच्चों को नियमित रूप से पोषण आहार और पूर्वाह्न नाश्ता देना अनिवार्य है।
सिर्फ खिचड़ी, बाकी सब गायब
बच्चों से जब भोजन व्यवस्था के बारे में पूछा गया तो सभी ने एक ही जवाब दिया — “सिर्फ खिचड़ी मिलती है।” न गुड़, न मूंगफली, न ही फल। जब सेविका गीता कुमारी से यह सवाल किया गया कि नाश्ता क्यों नहीं दिया गया, उन्होंने साफ स्वीकार किया कि मध्याह्न आहार की सामग्री उपलब्ध नहीं कराई जाती।
सेविका गीता कुमारी ने कहा: “गुड़ और मूंगफली जैसी चीजें नहीं आई हैं, इसलिए नहीं बना। जो सामान मिलता है, वही बनता है।”
रजिस्टर की सच्चाई छुपाई गई
जब संवाददाता ने हाजिरी रजिस्टर दिखाने की मांग की, तो सेविका ने साफ मना कर दिया। वहीं सहायिका ने बताया कि वह सिर्फ रसोई में मिलने वाली सामग्री के हिसाब से खाना बनाती हैं और बच्चों को परोसती हैं। सुबह का नाश्ता कभी-कभार ही मिलता है।
सहायिका ने बताया: “जो सेविका बोलती हैं, वही हम करते हैं। हमें पूरा सामान नहीं मिलता, तो हम क्या करें?”
मुड़ेअहरा टोला केंद्र पर भी गंभीर स्थिति
इसी पंचायत के मुड़ेअहरा टोला स्थित केंद्र का हाल भी बुरा ही दिखा। सेविका बबीता देवी और सहायिका केंद्र में मौजूद थीं, लेकिन एक बजे से पहले ही पेयजल संकट का हवाला देकर बच्चों को छुट्टी दे दी गई। पूछे जाने पर सेविका ने मोबाइल में पांच बच्चों का वीडियो दिखाया, जिसमें वे खिचड़ी खाते दिख रहे थे। लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि बच्चों की उपस्थिति बहुत कम रहती है।
सेविका बबीता देवी ने कहा: “बच्चे आते नहीं, कोशिश करते हैं लेकिन नियमित उपस्थिति नहीं हो पाती।”
बाल विकास परियोजना पदाधिकारी ने लिया संज्ञान
पूरे मामले की जानकारी मिलने पर CDPO ने कहा कि दोनों आंगनबाड़ी केंद्रों की जांच कराई जाएगी। उन्होंने स्वीकार किया कि ऐसी लापरवाही योजना की साख को गंभीर नुकसान पहुंचाती है और दोषियों पर कार्रवाई की बात कही।
CDPO ने कहा: “जांच के बाद दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी, बच्चों को पौष्टिक आहार मिलना जरूरी है।”


न्यूज़ देखो: बच्चों के अधिकारों से नहीं हो समझौता
आंगनबाड़ी जैसे जनकल्याणकारी योजनाओं का उद्देश्य ग्रामीण बच्चों को पोषण और शिक्षा देना है। लेकिन जब न कोई नाश्ता मिले, न उपस्थिति दर्ज हो, तो यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि बच्चों के अधिकारों का हनन है। ‘न्यूज़ देखो’ प्रशासन से अपील करता है कि इन केंद्रों की नियमित मॉनिटरिंग और सार्वजनिक ऑडिट सुनिश्चित की जाए।
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बच्चों का भविष्य संवारना है, लापरवाही नहीं चलेगी
सरकारी योजनाएं तभी सफल होंगी जब जिम्मेदार लोग ईमानदारी से कार्य करें। बच्चों का पोषण और शिक्षा एक प्राथमिकता होनी चाहिए — न कि खानापूर्ति का माध्यम। आइए, इस खबर को साझा करें ताकि गढ़वा के हर गांव का बच्चा पोषण और शिक्षा से वंचित न हो।