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लुचुतपाठ मध्य विद्यालय की बदहाली ने खोली शिक्षा व्यवस्था की पोल, बच्चों का भविष्य संकट में

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#Gumla #EducationCrisis : स्कूल में न शिक्षक, न पानी—बच्चों की पढ़ाई अंधेरे में
  • दो पारा शिक्षक संभाल रहे 8 कक्षाओं की जिम्मेदारी।
  • स्थायी प्रधानाध्यापक और अन्य शिक्षक की कमी।
  • भवन जर्जर, बरसात में छत से टपकता पानी।
  • शौचालय अधूरा, पानी के लिए 2 किलोमीटर जाना पड़ता है।
  • गैस सुविधा नहीं, चूल्हे पर बनता है मिड-डे मील।
  • बिजली कनेक्शन बेकार, पंखे सिर्फ दीवार की शोभा।

लुचुतपाठ गांव के मध्य विद्यालय की हालत देखकर साफ है कि सरकारी शिक्षा व्यवस्था जमीनी हकीकत में बुरी तरह चरमरा चुकी है। बच्चों को बिना शिक्षक, बिना पानी, बिना बिजली और बिना सुरक्षित भवन के पढ़ाई करने को मजबूर किया जा रहा है। यह न सिर्फ शिक्षा का अधिकार पर सवाल खड़ा करता है बल्कि बच्चों के भविष्य को भी गहरे संकट में डाल रहा है।

विद्यालय में सिर्फ दो शिक्षक, जिम्मेदारी का बोझ बढ़ा

डुमरी प्रखंड के इस विद्यालय में कक्षा 1 से 8 तक करीब 115 छात्र-छात्राएं पढ़ते हैं। लेकिन यहां सिर्फ दो पारा शिक्षक हैं और स्थायी प्रधानाध्यापक तक की नियुक्ति नहीं हुई है।

पारा शिक्षक जयपाल असुर ने कहा: “प्रधानाध्यापक के अभाव में सारी जिम्मेदारी मेरे कंधों पर है। दो शिक्षकों से आठ कक्षाओं को संभालना नामुमकिन है। कम से कम तीन और शिक्षक जरूरी हैं।”

जर्जर भवन और रिसाव की समस्या

विद्यालय का भवन इतना खराब हो चुका है कि बरसात में छत से पानी टपकता है और खिड़कियां टूटी हुई हैं। छात्र बारिश के दिनों में भीगे कपड़ों में क्लास करने को मजबूर रहते हैं।

अधूरा शौचालय और पानी की किल्लत

विद्यालय में शौचालय का निर्माण अधूरा है। बच्चों को आज भी खुले में शौच के लिए जाना पड़ता है, जो खासकर बालिकाओं के लिए असुरक्षित है।

रसोइया शांति मनी लकड़ा ने कहा: “पानी के लिए मुझे रोजाना 1-2 किलोमीटर जाना पड़ता है। दिन में कई बार पानी लाना बेहद मुश्किल है।”

चूल्हे पर मिड-डे मील, गैस नहीं

विद्यालय में अब तक गैस कनेक्शन की सुविधा नहीं है। रसोइया को धुएं में खाना पकाना पड़ता है, जिससे स्वास्थ्य और पोषण दोनों पर असर पड़ रहा है।

बिजली के बिना पंखे बेकार

हालांकि पंखे लगे हैं, लेकिन बिजली आपूर्ति ठप होने से वे सिर्फ दीवार की शोभा बने हुए हैं। गर्मी के दिनों में बच्चों को पसीने में पढ़ाई करनी पड़ती है।

बच्चों की आवाज: “हमारा भविष्य अंधेरे में”

विद्यार्थी ओलिफ टोपो ने कहा: “सिर्फ दो शिक्षक हैं, जिससे सभी कक्षाओं को समय नहीं मिल पाता। हमें डर है कि हमारा भविष्य बर्बाद न हो जाए।”

ग्रामीणों की मांग और प्रशासन से उम्मीद

ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन से मांग की है कि:

  • स्थायी प्रधानाध्यापक और अतिरिक्त शिक्षक बहाल हों।
  • भवन की मरम्मत और लीकेज दूर किया जाए।
  • शौचालय और स्वच्छ पानी की व्यवस्था हो।
  • बिजली कनेक्शन बहाल हो, ताकि पंखे चल सकें।
  • गैस आधारित रसोई और सड़क सुधार की कार्रवाई हो।

न्यूज़ देखो: शिक्षा के अधिकार की असली परीक्षा

लुचुतपाठ विद्यालय की यह स्थिति केवल एक गांव की नहीं, बल्कि पूरी शिक्षा व्यवस्था की हकीकत उजागर करती है। यदि बुनियादी सुविधाएं ही न मिलें, तो बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा कैसे मिलेगी? न्यूज़ देखो इस मुद्दे पर प्रशासन से जवाब मांगता है और समाधान तक नजर बनाए रखेगा।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

शिक्षा ही समाज का आधार

आइए मिलकर ऐसी समस्याओं को उजागर करें और बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाएं। इस खबर पर अपनी राय जरूर दें, इसे शेयर करें और शिक्षा के अधिकार के लिए आवाज उठाएं।

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