
#दुमका #ड्रोनशो : आसमान में महादेव और बिरसा मुंडा की गाथा का दिव्य प्रदर्शन
- बासुकीनाथधाम में पहली बार ड्रोन शो का आयोजन हुआ।
- महादेव शिव, बाबा बैद्यनाथ शिवलिंग और पौराणिक कथाओं के दृश्य उकेरे गए।
- शो में भगवान बिरसा मुंडा की गाथा भी शानदार तरीके से प्रदर्शित हुई।
- श्रद्धालुओं ने भावविभोर होकर यह नजारा देखा और उत्साह व्यक्त किया।
- प्रशासन ने सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण के लिए विशेष इंतजाम किए।
राजकीय श्रावणी मेला महोत्सव 2025 के तहत दुमका स्थित बासुकीनाथ धाम में आज संध्या का नजारा बेहद खास रहा। श्रद्धालुओं ने पहली बार तकनीक और परंपरा का संगम देखने का सौभाग्य पाया, जब बाबा भोलेनाथ की महिमा और बिरसा मुंडा की गाथा आसमान में रंग-बिरंगी रोशनी के बीच साकार हुई।
इस भव्य आयोजन का उद्देश्य न केवल श्रद्धालुओं को एक अनोखा अनुभव प्रदान करना था, बल्कि आधुनिक तकनीक के जरिए धार्मिक आस्था को एक नए आयाम से जोड़ना भी रहा। ड्रोन शो ने श्रद्धा की अभिव्यक्ति को पर्यावरण के अनुकूल और आकर्षक रूप में पेश किया।
शिव महिमा और पौराणिक कथा का अद्भुत चित्रण
शाम 7:30 बजे से 8:30 बजे तक आयोजित इस शो में ड्रोन के जरिए महादेव के पवित्र प्रतीक जैसे शिवलिंग, त्रिशूल, डमरू और कांवड़ यात्रा को शानदार अंदाज में आकाश में उकेरा गया। इसके साथ ही बाबा बैद्यनाथ की पौराणिक कथा को दृश्यों में ढालकर प्रस्तुत किया गया, जिससे श्रद्धालुओं को आध्यात्मिक रोमांच का अनुभव हुआ।
भगवान बिरसा मुंडा की गाथा भी बनी आकर्षण
आधुनिक तकनीक से सजे इस ड्रोन शो में संथाल परगना के वीर सपूत भगवान बिरसा मुंडा की गाथा का चित्रण कर जनजातीय इतिहास को सम्मान देने का अनोखा प्रयास किया गया। बिरसा मुंडा के संघर्ष और बलिदान की कहानी जब आसमान में आकार ले रही थी, तब दर्शकों के बीच भावनाओं का ज्वार उमड़ पड़ा।
श्रद्धालुओं की उमंग और प्रशासन की तैयारी
ड्रोन शो का नजारा देखने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। प्रशासन ने सुरक्षा, पार्किंग, और भीड़ नियंत्रण के लिए पर्याप्त व्यवस्था की थी। श्रद्धालुओं को निर्देश दिया गया कि वे अपने-अपने स्थान से ही शो का आनंद लें ताकि किसी प्रकार की अव्यवस्था न हो।
मेला अधिकारी ने कहा: “ड्रोन शो का उद्देश्य न केवल धार्मिक महत्व को रेखांकित करना है, बल्कि मेला को डिजिटल और पर्यावरण-हितैषी स्वरूप देना भी है।”



न्यूज़ देखो: परंपरा और तकनीक का संगम बना बासुकीनाथ
यह आयोजन इस बात का संदेश देता है कि आस्था और आधुनिकता का मेल न केवल संभव है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक चेतना को नई दिशा भी देता है। इस तरह के प्रयास न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देंगे, बल्कि स्थानीय संस्कृति को वैश्विक पहचान दिलाने में भी मददगार साबित होंगे।
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श्रद्धा और जागरूकता की मिसाल
अब समय है कि हम सब ऐसे आयोजनों को सहेजते हुए पर्यावरण, सुरक्षा और सामाजिक जिम्मेदारियों का ध्यान रखें। इस खबर पर अपनी राय कॉमेंट करें और इसे दोस्तों व परिवार के साथ शेयर करें ताकि इस अद्भुत अनुभव की चर्चा हर जगह हो।