Site icon News देखो

सरकारी स्कूलों की बदहाली ने खोली शिक्षा व्यवस्था की पोल: जर्जर भवन और गंदगी से बच्चों की पढ़ाई पर जोखिम

#पलामू #शिक्षा_ब्यवस्था : पांकी प्रखंड के सरकारी स्कूलों में जर्जर भवन, गंदगी और शिक्षकों की लापरवाही से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित

पांकी प्रखंड के सरकारी स्कूलों की हालात ने बच्चों और ग्रामीणों की चिंता बढ़ा दी है। News देखो की टीम ने स्कूलों का दौरा कर देखा कि अधिकांश भवन जर्जर हैं, शौचालय बंद और साफ-सफाई का कोई इंतजाम नहीं है। कई स्कूलों में एक ही कमरे में आठ कक्षाओं के बच्चे बैठते हैं, जिससे पढ़ाई प्रभावित हो रही है। शिक्षक अनुपस्थित हैं या पढ़ाई में गंभीरता नहीं दिखाते, जिससे बच्चों का सीखने का अनुभव अधूरा रह गया है। यह स्थिति यह दर्शाती है कि सरकार की शिक्षा सुधार योजनाएँ वास्तविक धरातल पर प्रभावहीन हैं और बच्चों का भविष्य खतरे में है।

स्कूलों की वास्तविक स्थिति

विद्यालय गोंगो हरिजन टोला की स्थिति

News देखो की टीम ने शुक्रवार सुबह 11 बजे दौरा किया, जिसमें पाया गया कि दो शिक्षक पदस्थापित थे, लेकिन दोनों अनुपस्थित थे। प्रधानाध्यापक उपेंद्र प्रसाद सिंह थोड़ी देर बाद पहुंचे। स्कूल परिसर में कचरा फैला हुआ था और भवन जर्जर था। दरवाजे टूटे हुए थे और शौचालय बंद थे। बच्चों को केवल बुनियादी गिनती और वर्णमाला ही आती थी, अधिकांश बच्चे राज्य के मुख्यमंत्री का नाम तक नहीं जानते थे।

ग्रामीण ने कहा: “शिक्षक स्थानीय होने के कारण दबंगई दिखाते हैं, कोई कुछ कह नहीं पाता।”

मध्य विद्यालय सिरम और पचम्बा

राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय सिरम में भी एक ही कक्षा में सभी बच्चों को बैठाया गया था। शौचालय जर्जर और मध्यान भोजन तय मेनू के अनुसार नहीं था। पचम्बा में बच्चों को खिचड़ी दी गई जिसमें दाल मात्र थी और खाना गंदा था। बच्चे 11 बजे से थाली लेकर बरामदे में घूम रहे थे।

शिक्षक या तो अनुपस्थित थे या पढ़ाई में गंभीरता नहीं दिखा रहे थे, जिससे शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई थी।

बच्चों की वास्तविक उपस्थिति और रिकॉर्ड में अंतर

रजिस्टर में दर्ज बच्चों की संख्या और वास्तविक उपस्थिति में भारी अंतर था। विद्यालय गोंगो हरिजन टोला में 55 नाम दर्ज थे, जबकि वास्तविक उपस्थित बच्चे केवल 24 थे। यह दिखाता है कि फर्जी रिकॉर्ड और अनुपस्थित शिक्षकों की वजह से शिक्षा का स्तर गिरा है।

मध्यान भोजन की गंभीर समस्या

सरकार ने स्कूलों में गैस चूल्हे उपलब्ध कराए हैं, लेकिन अधिकांश स्कूलों में लकड़ी से खाना बन रहा था। भोजन मेनू के अनुसार नहीं था और पोषण संबंधी तत्वों की कमी थी। यह बच्चों के स्वास्थ्य और सीखने की क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।

शिक्षा विभाग और प्रशासन की उदासीनता

प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी परमेश्वर साहू से संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि जांच जारी है, लेकिन धरातल पर सुधार नहीं दिखा। ग्रामीण और अभिभावक इस असमानता और अनियमितता से चिंतित हैं।

पिता ने कहा: “हमारे बच्चों की पढ़ाई अब भगवान भरोसे है, शिक्षक और प्रशासन दोनों लापरवाह हैं।”

न्यूज़ देखो: सरकारी स्कूलों की बदहाली ने शिक्षा व्यवस्था की पोल खोली

यह रिपोर्ट स्पष्ट करती है कि सरकार की शिक्षा सुधार योजनाएँ केवल कागजों तक सीमित रह गई हैं। वास्तविक धरातल पर बच्चों का विकास और सुरक्षा खतरे में है। प्रशासन की उदासीनता और शिक्षक अनुपस्थिति ने बच्चों के भविष्य को जोखिम में डाल दिया है। शिक्षा केवल योजना नहीं बल्कि जमीन पर क्रियान्वयन की मांग करती है।

हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

सजग और जिम्मेदार नागरिक बनें

हमारे बच्चों का भविष्य केवल स्कूलों की दीवारों तक सीमित नहीं है, यह हमारे प्रयास और निगरानी पर निर्भर करता है। अपनी स्थानीय शिक्षा व्यवस्था की स्थिति जानें, इसे सुधारने के लिए आवाज़ उठाएँ। कमेंट करें, इस खबर को शेयर करें और अन्य अभिभावकों और नागरिकों तक पहुँचाएँ ताकि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके। जागरूक रहें, सक्रिय रहें और शिक्षा सुधार में योगदान दें।

📥 Download E-Paper

Exit mobile version