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झारखंड में बदलेगा श्रम कानूनों का ढांचा, केंद्र के चार श्रम संहिताओं की तर्ज पर नई पहल

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#रांची #श्रमसुधारयोजना : राज्य सरकार श्रमिक हितों की संरक्षा के लिए नया श्रम कानून ढांचा तैयार कर रही — 15 से अधिक पुराने कानून होंगे समाहित, चार नई नियमावलियों के जरिए लागू होंगे अधिकार
  • झारखंड सरकार चार नई श्रम नियमावलियों के तहत 15 से अधिक पुराने कानूनों को करेगी समाहित
  • नए ढांचे में श्रमिकों को मिलेगा बीमा, पेंशन, मातृत्व लाभ, और न्यूनतम वेतन का स्पष्ट अधिकार
  • केंद्र की तर्ज पर Occupational Safety, Industrial Relation, Wages और Social Security को बनाया गया आधार
  • वर्ष 2021 में मांगे गए थे सुझाव, अब विधि विभाग की स्वीकृति के बाद कैबिनेट में पेश होगा प्रस्ताव
  • 9 जुलाई को श्रम संहिताओं के विरोध में वाम दलों ने भारत बंद बुलाया, झारखंड सरकार फिर भी प्रक्रिया में आगे

केंद्र की राह पर झारखंड सरकार, श्रम कानूनों को नया स्वरूप देने की कवायद

झारखंड सरकार राज्य के पुराने श्रम कानूनों को खत्म कर एकीकृत नियमावली के तहत नया श्रम ढांचा तैयार कर रही है। केंद्र सरकार द्वारा पारित चार श्रम संहिताओंOccupational Safety, Industrial Relations, Wages, और Social Security—के अनुरूप राज्य सरकार ने भी चार नई नियमावलियों का मसौदा तैयार कर लिया है। यह कदम राज्य के संगठित और असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए अधिक संरक्षित और सम्मानजनक कार्य वातावरण उपलब्ध कराने की दिशा में उठाया जा रहा है।

श्रम विभाग के एक अधिकारी ने बताया: “नई नियमावलियां राज्य के श्रमिकों को अधिकार आधारित संरचना देंगी, जिससे उन्हें सामाजिक सुरक्षा, वेतन संरक्षण और कार्यस्थल पर सुरक्षा जैसे अधिकारों की गारंटी मिलेगी।”

विरोध के बावजूद श्रम सुधार की ओर बढ़ रहे कदम

9 जुलाई को वामपंथी संगठनों द्वारा देशभर में भारत बंद का आयोजन हुआ था, जिसमें झारखंड की सत्ताधारी पार्टियों ने भी समर्थन दिया। बावजूद इसके, राज्य सरकार श्रमिक कानूनों के सरलीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ा रही है। श्रम, नियोजन, प्रशिक्षण एवं कौशल विकास विभाग ने चारों नियमावलियों का प्रारूप तैयार कर विधि विभाग को स्वीकृति के लिए भेज दिया है। स्वीकृति के बाद इसे कैबिनेट की बैठक में पेश किया जाएगा।

सामाजिक सुरक्षा नियमावली: असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के लिए सुरक्षा कवच

Social Security (झारखंड) नियमावली के अंतर्गत राज्य के श्रमिकों को बीमा, पेंशन, मातृत्व लाभ, ग्रेच्युटी, और अंत्येष्टि सहायता जैसी सुविधाएं सुनिश्चित की जाएंगी। इसके तहत निम्नलिखित नियमावली शामिल की जाएंगी:

  • झारखंड कर्मकार प्रतिकर नियमावली, 1924
  • झारखंड प्रसूति सुविधा नियमावली, 1964
  • उपदान संदाय नियमावली, 1972
  • भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार नियमावली, 2006
  • असंगठित कर्मकार सामाजिक सुरक्षा नियमावली, 2013

कार्यस्थल सुरक्षा नियमावली: हर श्रमिक को मिले सुरक्षित माहौल

Occupational Safety, Health & Working Condition (झारखंड) नियमावली का उद्देश्य श्रमिकों को स्वस्थ और सुरक्षित कार्यस्थल प्रदान करना है। इसके तहत कारखानों, निर्माण स्थलों और विभिन्न श्रमिक वर्गों के लिए एकीकृत प्रावधान होंगे। इसमें निम्नलिखित नियमावली समाहित होंगी:

  • कारखाना नियमावली, 1950
  • ठेका श्रम नियमावली, 1972
  • अंतर्राज्यीय प्रवासी श्रमिक नियमावली, 1980
  • मोटर परिवहन कर्मचारी नियमावली, 2001
  • बीड़ी और सिगार कर्मकार नियमावली, 1968
  • भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार नियमावली, 2006

इंडस्ट्रियल रिलेशन नियमावली: विवादों के निपटारे का रास्ता

Industrial Relation (झारखंड) नियमावली औद्योगिक विवादों की रोकथाम और समाधान के लिए बनाई गई है। इसके जरिए ट्रेड यूनियन के गठन, कामगार अधिकारों की सुरक्षा और नियोक्ता-कर्मचारी संबंधों को संतुलित करने का प्रयास किया जाएगा। इसमें शामिल होंगे:

  • औद्योगिक विवाद नियमावली, 1961
  • औद्योगिक नियोजन (स्थायी आदेश) नियमावली, 1947

वेतन नियमावली: श्रमिकों को समय पर और न्यूनतम वेतन की गारंटी

Workers’ Wages (झारखंड) नियमावली का मकसद राज्य में काम करने वाले सभी श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी और समय पर भुगतान की व्यवस्था देना है। इसके तहत निम्नलिखित नियमावली शामिल होंगी:

  • मजदूरी भुगतान नियमावली, 1937
  • न्यूनतम मजदूरी नियमावली, 1951

श्रम संगठन से जुड़े एक वरिष्ठ अधिवक्ता का कहना है: “यह बदलाव श्रमिकों को सशक्त बनाएंगे, बशर्ते उनका सख्ती से क्रियान्वयन हो।”

न्यूज़ देखो: श्रमिकों के अधिकारों की पुनर्रचना की ऐतिहासिक पहल

झारखंड में श्रम कानूनों का यह नया प्रारूप एक बड़े ढांचागत सुधार का संकेत है। न्यूज़ देखो इस प्रक्रिया पर लगातार नजर रख रहा है, ताकि श्रमिकों के हक और हितों से जुड़ी हर पहल जनता तक पहुंचे। यदि यह कदम सही तरीके से लागू होता है, तो यह झारखंड के लाखों श्रमिकों के लिए सशक्तिकरण का द्वार खोल सकता है।

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