Palamau

रिश्वतखोरी में रंगे हाथ पकड़े गए दारोगा की छुट्टी, डीआईजी ने जारी किया बर्खास्तगी का आदेश

#पलामू #पुलिसकार्रवाई – धनबाद में रिश्वत लेते गिरफ्तार हुए दारोगा निलेश सिंह को अब पलामू से हटाया गया, विभागीय जांच के बाद कार्रवाई तेज

  • 2018 बैच के दारोगा निलेश सिंह को रिश्वत लेते रंगे हाथ एसीबी ने किया था गिरफ्तार
  • 50 हजार रुपये की मांग के बाद 15 हजार लेते पकड़ा गया था अधिकारी
  • गिरफ्तारी के बाद जेल भेजा गया और तत्काल प्रभाव से निलंबन किया गया था
  • निलंबन के बाद पलामू के पांडू थाना में हो गई थी पोस्टिंग
  • अब डीआईजी बोकारो ने रिश्वत के आरोप में बर्खास्तगी का आदेश जारी कर दिया है
  • पलामू पुलिस को आदेश की प्रति सौंप दी गई, आरोपी को सूचना दे दी गई है

धनबाद में रिश्वत मांगने का मामला, एसीबी की कार्रवाई में फंसे थे

झारखंड पुलिस के 2018 बैच के सब इंस्पेक्टर निलेश कुमार सिंह की नौकरी रिश्वतखोरी के चलते चली गई। धनबाद के लोयाबाद थाना में तैनाती के दौरान वर्ष 2022 में एक केस डायरी मैनेज करने के एवज में 50 हजार रुपये घूस की मांग उन्होंने की थी।
6 जून 2022 को एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने उन्हें 15 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ पकड़ लिया था। गिरफ्तारी के बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा गया और विभाग ने तत्काल निलंबित कर दिया।

“भ्रष्टाचार के खिलाफ झारखंड पुलिस की नीति स्पष्ट है — किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।”

निलंबन खत्म होते ही मिली पोस्टिंग, फिर आया बर्खास्तगी का आदेश

कुछ महीने बाद निलंबन से बहाली हुई और दारोगा को पलामू जिले के पांडू थाना में स्थानांतरित कर दिया गया। यहां वे कार्यरत थे लेकिन विभागीय जांच की प्रक्रिया जारी रही।
अब बोकारो रेंज के डीआईजी ने जांच रिपोर्ट के आधार पर बर्खास्तगी का आदेश जारी कर दिया है। इस आदेश की प्रति पलामू पुलिस को सौंप दी गई है और दारोगा निलेश कुमार सिंह को भी बर्खास्तगी से अवगत करा दिया गया है।

पुलिस विभाग ने अपनाया सख्त रुख, भ्रष्टाचार पर नहीं होगी नरमी

पुलिस मुख्यालय ने यह स्पष्ट किया है कि अनुशासनहीनता और भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त कार्रवाई की जाएगी। चाहे अधिकारी किसी भी पद पर क्यों न हो, यदि जनविश्वास तोड़ते हैं, तो उन्हें सेवा में रहने का कोई हक नहीं है।
पुलिसिंग की पारदर्शिता और ईमानदारी बनाए रखने के लिए विभाग नियमित रूप से निगरानी और कार्रवाई कर रहा है।

आंतरिक समीक्षा तंत्र बना सशक्त

इस घटना से स्पष्ट है कि विभागीय जांच और कार्रवाई का तंत्र लगातार प्रभावी बन रहा है। ऐसे मामलों में अब सिर्फ निलंबन नहीं, बल्कि बर्खास्तगी तक की कार्रवाई सुनिश्चित की जा रही है। इससे आने वाले समय में अन्य अधिकारियों को भी सावधानी और जवाबदेही का संदेश मिलेगा।

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