
#पलामू #स्वतंत्रता_संग्राम : शहीदों की स्मृति और सम्मान पर उठ रहा बड़ा सवाल
- पलामू के क्रांतिकारियों का स्वतंत्रता संग्राम में रहा महत्वपूर्ण योगदान।
- जिला मुख्यालय मेदिनीनगर के शीलापट्ट पर नामों में त्रुटि से परिजन आहत।
- कई बार लिखित आवेदन देने के बावजूद प्रशासन मौन।
- सामाजिक कार्यकर्ताओं और स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
- चौक-चौराहों का नाम स्थानीय क्रांतिकारियों के नाम पर रखने की मांग।
पलामू की धरती ने स्वतंत्रता संग्राम में देश को कई महान क्रांतिकारी दिए। लेकिन दुख की बात यह है कि आज भी बहुत से लोग अपने ही इलाके के इन वीर सपूतों के योगदान से अनजान हैं। दिल्ली के पत्रकार प्रभात मिश्रा सुमन ने अपनी पुस्तक “पलामू के क्रांतिकारी” में इन गुमनाम नायकों की दास्तान दर्ज की है, जिसे पढ़कर क्रांतिकारियों के परिजन और स्थानीय लोग गर्व महसूस कर रहे हैं।
इसके बावजूद जिला मुख्यालय मेदिनीनगर के सदर ब्लॉक परिसर एवं नगर आयुक्त आवास के पास बने शीलापट्ट पर स्वतंत्रता सेनानियों के नामों में गंभीर त्रुटियां हैं। परिजनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कई बार आवेदन देकर सुधार की मांग की, लेकिन प्रशासन की ओर से अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है।
परिजनों की गुहार
आज संविधान सभा के सदस्य और स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय यदुवंश सहाय के आवास पर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। इसमें स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों ने जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से मांग की कि शहीदों के नामों की गलतियों को तुरंत सुधारा जाए। साथ ही पलामू के क्रांतिकारियों के नाम पर चौक-चौराहों का नामकरण कर उन्हें उचित सम्मान दिया जाए।
प्रेस वार्ता में स्वर्गीय यदुवंश सहाय के पोते सुधीर सहाय, स्वर्गीय वेद प्रकाश भसीन के पुत्र प्रेम प्रकाश भसीन, नंदकिशोर प्रसाद वर्मा के पौत्र विवेक वर्मा और पौत्रवधू शर्मिला वर्मा मौजूद रहे। इस अवसर पर पुस्तक “पलामू के क्रांतिकारी” के लेखक प्रभात मिश्रा सुमन भी शामिल हुए।
प्रशासन की जिम्मेदारी
सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह सिर्फ नाम की गलती नहीं, बल्कि शहीदों के सम्मान और स्मृति से जुड़ा मुद्दा है। जिन वीरों ने देश की आज़ादी के लिए अपने प्राणों की आहुति दी, उनके नाम तक सही ढंग से दर्ज न होना पूरे समाज के लिए शर्मनाक है।

न्यूज़ देखो: शहीदों का सही सम्मान ही सच्ची श्रद्धांजलि
पलामू के स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की आज़ादी के लिए जो बलिदान दिया, उसका सम्मान सिर्फ भाषणों से नहीं बल्कि सही और ठोस कदमों से होना चाहिए। शहीदों के नामों में सुधार और चौक-चौराहों को उनके नाम से जोड़ना उनकी स्मृति को जीवित रखने का सशक्त माध्यम हो सकता है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
अपने वीरों को पहचानें और सम्मान दें
अब समय है कि हम अपने इलाके के क्रांतिकारियों को जानें, उनके योगदान को याद करें और नई पीढ़ी तक पहुंचाएं। आपकी राय इस विषय पर क्या है? कॉमेंट करके बताएं और खबर को शेयर करें ताकि पलामू के वीर सपूतों को उनका उचित सम्मान मिल सके।