
#बगोदर #शिक्षाऔरखेल : नर्सरी से चौथी तक के बच्चों ने खेलों के जरिए सीखी अनुशासन और टीमवर्क की सीख।
बगोदर के सरिया रोड स्थित जूनियर चैंप्स प्ले स्कूल में तीन दिवसीय वार्षिक खेलकूद समारोह का सफल आयोजन किया गया। इस आयोजन में नर्सरी से चौथी कक्षा तक के बच्चों ने विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में उत्साहपूर्वक भाग लिया। खेलों के माध्यम से बच्चों में शारीरिक विकास, आत्मविश्वास और अनुशासन को बढ़ावा देने का उद्देश्य रखा गया। समारोह का समापन पुरस्कार वितरण और बच्चों के उत्साहपूर्ण प्रदर्शन के साथ हुआ।
- जूनियर चैंप्स प्ले स्कूल, बगोदर में तीन दिवसीय खेलकूद समारोह।
- नर्सरी से चौथी कक्षा तक के बच्चों की सक्रिय भागीदारी।
- मैजिकल बॉटल, रिले रेस, कबड्डी सहित कई खेल प्रतियोगिताएं।
- विजेता बच्चों को मेडल और प्रशस्ति पत्र देकर किया गया सम्मानित।
- प्राचार्या गीतांजलि सिंह सहित शिक्षक-शिक्षिकाओं की रही अहम भूमिका।
- बच्चों में अनुशासन, टीमवर्क और आत्मविश्वास विकसित करने पर जोर।
बगोदर, गिरिडीह स्थित जूनियर चैंप्स प्ले स्कूल में आयोजित तीन दिवसीय वार्षिक खेलकूद समारोह बच्चों के लिए यादगार बन गया। इस खेल महोत्सव का उद्देश्य केवल प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि बच्चों के सर्वांगीण विकास को प्रोत्साहित करना रहा। खेलों के माध्यम से बच्चों को शारीरिक सक्रियता, मानसिक संतुलन और सहयोग की भावना सिखाने का प्रयास किया गया।
खेलकूद समारोह का उद्देश्य और महत्व
विद्यालय प्रबंधन ने बताया कि प्रारंभिक कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों के लिए खेलकूद शिक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। खेल बच्चों में अनुशासन, नेतृत्व क्षमता और आत्मविश्वास विकसित करते हैं। इसी सोच के साथ तीन दिनों तक लगातार विभिन्न खेल गतिविधियों का आयोजन किया गया, जिसमें बच्चों ने पूरे उत्साह और ऊर्जा के साथ भाग लिया।
विभिन्न प्रतियोगिताओं में दिखा बच्चों का उत्साह
खेलकूद समारोह के दौरान नर्सरी से लेकर चौथी कक्षा तक के बच्चों के लिए उम्र और क्षमता के अनुसार प्रतियोगिताएं रखी गईं।
इनमें मैजिकल बॉटल, बॉल कलेक्ट गेम, स्पून बैलेंस गेम, मल्टी ड्रिल्स रेस, मैथमेटिकल रेस, हैंडराइटिंग प्रतियोगिता, रिले रेस और कबड्डी जैसी गतिविधियां शामिल थीं।
हर प्रतियोगिता में बच्चों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।
खेलों से सीख और आनंद का संगम
खास बात यह रही कि खेलों के दौरान बच्चों ने न सिर्फ प्रतिस्पर्धा की भावना दिखाई, बल्कि एक-दूसरे का सहयोग करते हुए टीमवर्क का भी परिचय दिया। शिक्षकों ने बच्चों को खेल के नियमों की जानकारी दी और उन्हें अनुशासन में रहकर खेलने के लिए प्रेरित किया।
मैथमेटिकल रेस और हैंडराइटिंग प्रतियोगिता के माध्यम से बच्चों की बौद्धिक क्षमता को भी परखा गया, जिससे पढ़ाई और खेल का संतुलन बना रहा।
पुरस्कार वितरण से बढ़ा बच्चों का उत्साह
तीन दिवसीय खेलकूद समारोह के समापन अवसर पर विजेता बच्चों को मेडल और प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।
पुरस्कार पाकर बच्चों के चेहरे पर खुशी और गर्व साफ नजर आया। इस अवसर पर अतिथियों और शिक्षकों ने बच्चों की मेहनत की सराहना की और उन्हें आगे भी इसी तरह मेहनत करने के लिए प्रेरित किया।
अतिथियों और शिक्षकों की रही सक्रिय भागीदारी
समारोह में अरविंद साव, शिवेंद्र कुमार, विद्यालय की प्राचार्या गीतांजलि सिंह, समय सिंह सहित विद्यालय के सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित रहीं।
प्राचार्या गीतांजलि सिंह ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि खेल बच्चों के जीवन का अभिन्न हिस्सा हैं और इससे उनमें आत्मविश्वास, अनुशासन और नेतृत्व के गुण विकसित होते हैं।
प्राचार्या गीतांजलि सिंह ने कहा:
“खेल बच्चों के सर्वांगीण विकास का मजबूत आधार हैं। इस तरह के आयोजन से बच्चों में छिपी प्रतिभा सामने आती है।”
अभिभावकों और विद्यालय प्रबंधन की सोच
विद्यालय प्रबंधन ने बताया कि भविष्य में भी इस तरह के आयोजन नियमित रूप से किए जाएंगे, ताकि बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास संतुलित रूप से हो सके।
अभिभावकों ने भी बच्चों के प्रदर्शन की सराहना की और विद्यालय की इस पहल को सकारात्मक बताया।
बच्चों के लिए यादगार बना आयोजन
तीन दिनों तक चले इस खेलकूद समारोह में बच्चों ने खेल, मस्ती और सीख का अनूठा संगम देखा।
खेल मैदान में बच्चों की हंसी, तालियों की गूंज और उत्साहपूर्ण माहौल ने पूरे विद्यालय परिसर को जीवंत बना दिया।
न्यूज़ देखो: शिक्षा के साथ खेल क्यों जरूरी
जूनियर चैंप्स प्ले स्कूल का यह आयोजन बताता है कि प्रारंभिक शिक्षा में खेलों की भूमिका कितनी महत्वपूर्ण है। पढ़ाई के साथ खेल बच्चों को मानसिक रूप से मजबूत बनाते हैं और जीवन के लिए जरूरी मूल्य सिखाते हैं। ऐसे आयोजनों से विद्यालयों में सकारात्मक माहौल बनता है और बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ता है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
नन्हे कदमों से बड़े सपनों की ओर
बच्चों का भविष्य मजबूत तभी होगा, जब शिक्षा के साथ खेल और संस्कारों को भी समान महत्व मिले।
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