
#गढ़वा #शोक : रोज़गार के लिए गए युवा की ट्रेन में मौत, सुधीर चंद्रवंशी ने परिवार को हरसंभव सहयोग का दिया भरोसा
- 27 वर्षीय ईर्शाद अंसारी की ट्रेन में बिगड़ी तबीयत, हुई असमय मृत्यु।
- जबलपुर में पोस्टमार्टम के बाद एंबुलेंस से शव लाया गया पैतृक गांव।
- पीछे छोड़ गए पत्नी और दो नन्हीं बेटियां, परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़।
- कांग्रेस कार्यकर्ता और समाजसेवी के रूप में गांव में थे लोकप्रिय।
- सुधीर कुमार चंद्रवंशी ने दी अंतिम विदाई, पत्नी को जीविका उपलब्ध कराने की मांग।
गढ़वा जिले के कांडी प्रखंड अंतर्गत कुरकुट्टा रानाडीह पंचायत उस समय शोक में डूब गया जब गांव के युवा साथी ईर्शाद अंसारी की असमय मृत्यु की खबर पहुंची। रोज़गार की तलाश में मुंबई गए ईर्शाद की तबीयत अचानक बिगड़ गई और घर लौटते समय ट्रेन में ही उन्होंने अंतिम सांस ली। जबलपुर में रेलवे कर्मचारियों की मौजूदगी में पोस्टमार्टम कराया गया और उसके बाद ग्रामीणों की मदद से पार्थिव शरीर को एंबुलेंस द्वारा गढ़वा स्थित पैतृक गांव लाया गया।
ईर्शाद अंसारी महज 27 वर्ष के थे और अपने पीछे पत्नी व दो मासूम बेटियों को छोड़ गए हैं। बेहद गरीब परिवार से आने वाले ईर्शाद अपनी मेहनत-मजदूरी से ही घर का खर्च चलाते थे। उनके निधन से न केवल उनका परिवार बल्कि पूरा गांव गमगीन हो गया है। ग्रामीणों ने उन्हें मृदुभाषी, मिलनसार और विनम्र स्वभाव का व्यक्ति बताया। वे कांग्रेस पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता थे और समाज सेवा में भी हमेशा आगे रहते थे।
शोक में डूबा गांव और अंतिम यात्रा
जैसे ही शव गांव पहुंचा, पूरे क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। नम आंखों से ग्रामीणों ने अपने साथी को अंतिम विदाई दी। अंतिम यात्रा में सैकड़ों लोग शामिल हुए और हर कोई उन्हें याद करते हुए भावुक हो उठा।
सुधीर चंद्रवंशी का संवेदनशील रुख
घटना की जानकारी मिलते ही पूर्व विधायक प्रत्याशी सुधीर कुमार चंद्रवंशी रानाडीह पहुंचे। उन्होंने शोक संतप्त परिवार को सांत्वना दी और अंतिम यात्रा में शामिल होकर उन्हें विदाई दी। इस मौके पर उन्होंने स्पष्ट कहा कि ईर्शाद अंसारी की पत्नी और बच्चों को बेसहारा नहीं छोड़ा जाएगा।
सुधीर चंद्रवंशी ने कहा कि सरकार को चाहिए कि मृतक की पत्नी को जीविका का स्थायी साधन उपलब्ध कराया जाए, ताकि परिवार का भरण-पोषण हो सके। उन्होंने ऑल इंडिया मोमिन समाज के प्रदेश अध्यक्ष अनवर जी से भी अपील की कि समाज की ओर से इस परिवार को सहयोग मिलना चाहिए। उन्होंने भरोसा दिलाया कि वे स्वयं सुनिश्चित करेंगे कि परिवार को मिलने वाले सभी सरकारी लाभ – राहत कोष, पेंशन योजना और अन्य योजनाएं पूरी तरह दिलाई जाएं।
सुधीर चंद्रवंशी: “ईर्शाद अंसारी समाज के सच्चे सिपाही थे। उनका जाना न केवल परिवार बल्कि पूरे समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। उनकी पत्नी और बेटियों का भविष्य सुरक्षित बनाना हमारी जिम्मेदारी है और मैं हर संभव प्रयास करूंगा कि उन्हें पूरा सहयोग मिले।”
समाजसेवियों और ग्रामीणों की उपस्थिति
अंतिम विदाई में समाजसेवी विवेक शुक्ला, अरविंद रवि, मुख्तार अंसारी, ईशा मुहम्मद कादरी सहित सैकड़ों ग्रामीण शामिल हुए। हर कोई नम आंखों से ईर्शाद को श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा था।

न्यूज़ देखो: असमय मौत से टूटा परिवार, समाज और शासन की साझा जिम्मेदारी
ईर्शाद अंसारी की असमय मृत्यु ने यह संदेश दिया है कि प्रवासी मजदूरों की स्थिति और सुरक्षा को लेकर सरकार और समाज दोनों को संवेदनशील होना होगा। अब जबकि परिवार पर दुखों का पहाड़ टूटा है, ऐसे में ज़रूरी है कि प्रशासन और समाज मिलकर उनके लिए सहारा बनें।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
अब संवेदना को सहयोग में बदलने का समय
ईर्शाद की मृत्यु ने पूरे समाज को झकझोर दिया है। अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम सब मिलकर उनकी पत्नी और बेटियों के भविष्य को सुरक्षित बनाने में योगदान दें। समय आ गया है कि संवेदनाओं को सहयोग और कार्यवाही में बदला जाए। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि अधिक से अधिक लोग इस परिवार की मदद के लिए आगे आ सकें।