
#महुआडांड़ #जलसंकट : परहटोली पंचायत की मुस्लिम बस्ती में छह महीनों से जलमिनार बन्द, महिलाएं रोज़ कई किलोमीटर चलकर ला रहीं पानी
- परहटोली पंचायत, मुस्लिम बस्ती में छह माह से जलमिनार खराब।
- ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए दूर-दराज जाना पड़ रहा है।
- महिलाएं और बच्चे रोज़ाना कई किलोमीटर पैदल चलकर पानी लाते हैं।
- विभागीय लापरवाही पर ग्रामीणों का बढ़ता आक्रोश।
- अफजल, जहूर खान, रोजन, नसीर, जहांगीर, नाजिम ने की प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग।
महुआडांड़ प्रखंड अंतर्गत परहटोली पंचायत की मुस्लिम बस्ती में जल संकट विकराल होता जा रहा है। बस्ती में स्थित जलमिनार पिछले छह महीनों से खराब पड़ा है, जिसके कारण ग्रामीणों को दैनिक जरूरतों के लिए पानी जुटाने में भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। स्थानीय लोगों के अनुसार विभाग को कई बार शिकायत की गई, लेकिन जलमिनार की मरम्मत को लेकर अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है। इस लापरवाही से ग्रामीणों में गहरी नाराज़गी है और पानी की कमी अब स्वास्थ्य और दिनचर्या दोनों पर असर डाल रही है।
छह महीनों से बंद जलमिनार, बस्ती में पानी का संकट
ग्रामीणों का कहना है कि जलमिनार बंद होने के बाद से उन्हें पीने के पानी के लिए दूर-दराज के इलाकों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। जहां नलों और हैंडपंपों की सुविधा सीमित है, वहीं बस्ती में सूखे की स्थिति पैदा हो गई है। पानी की किल्लत के चलते कई घरों के दैनिक कार्य भी प्रभावित हो रहे हैं।
महिलाओं और बच्चों पर सबसे ज्यादा असर
स्थानीय महिलाओं ने बताया कि पानी की अनुपलब्धता की सबसे बड़ी मार महिलाओं और बच्चों को झेलनी पड़ रही है। रोज़ाना कई किलोमीटर पैदल चलकर पानी लाना उनकी मजबूरी बन चुका है। इससे उनकी पढ़ाई, कार्य और स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है।
ग्रामीणों ने कहा कि गर्मी और बीमारी के मौसम में यह समस्या और भी खतरनाक रूप ले सकती है। “पानी के बिना जीना मुश्किल हो गया है,” ग्रामीणों ने चिंता जाहिर करते हुए कहा।
विभागीय लापरवाही पर ग्रामीणों में आक्रोश
ग्रामीण अफजल, जहूर खान, रोजन, नसीर, जहांगीर और नाजिम ने बताया कि समस्या की सूचना बार-बार देने के बावजूद विभागीय अधिकारी सिर्फ आश्वासन देते रहे, लेकिन जलमिनार की मरम्मत के लिए अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
लोगों का कहना है कि प्रशासन अगर समय रहते कदम नहीं उठाता तो हालात और गंभीर हो जाएंगे।
ग्रामीणों ने जताई नाराज़गी, जल्द कार्रवाई की मांग
ग्रामीणों ने प्रखंड प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। उनका कहना है कि यह जलमिनार पूरी बस्ती के लिए पानी की एकमात्र टिकाऊ व्यवस्था है, और इसके बंद होने से उनका जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जल्द समाधान नहीं हुआ तो वे आंदोलन के लिए मजबूर होंगे।
न्यूज़ देखो: पानी संकट पर प्रशासन की जिम्मेदारी
परहटोली की समस्या सिर्फ एक गांव की समस्या नहीं, बल्कि सिस्टम में मौजूद खामियों का संकेत है। छह महीनों से बंद जलमिनार यह बताता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में जल सुविधाओं की निगरानी कितनी कमजोर है। प्रशासन को ऐसी समस्याओं को प्राथमिकता देते हुए त्वरित समाधान सुनिश्चित करना चाहिए ताकि ग्रामीणों को मूलभूत जरूरतों के लिए संघर्ष न करना पड़े।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
अब बदलाव की आवश्यकता आपके हाथों में
पानी जीवन है—और जीवन की इस आवश्यकता के लिए संघर्ष किसी भी समाज के लिए उचित नहीं। आप भी अपनी भूमिका निभाएं—प्रशासन तक अपनी आवाज पहुँचाएं, समस्याओं को उजागर करें और सामूहिक जिम्मेदारी निभाएं।
कमेंट कर अपनी राय बताएं और इस खबर को साझा कर अधिक लोगों तक पहुंचाएं।





