
#दुमका #अस्पताल_चोरी : हंसडीहा मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में बड़ी चोरी ने सिस्टम की लापरवाही उजागर की।
दुमका जिले के हंसडीहा मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में हुई करोड़ों की चोरी ने स्वास्थ्य व्यवस्था और प्रशासनिक निगरानी पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। अस्पताल परिसर से लगातार चोरी की घटनाओं के बावजूद प्रभावी कार्रवाई न होना चिंता का विषय बना हुआ है। पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार किया है, लेकिन अब तक चोरी गए महंगे उपकरणों की कोई ठोस बरामदगी नहीं हो सकी है। यह मामला न केवल सुरक्षा चूक, बल्कि जवाबदेही की कमी को भी उजागर करता है।
- हंसडीहा मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में करोड़ों रुपये के उपकरण चोरी।
- एक माह पहले ट्रांसफार्मर चोरी के बाद भी नहीं बढ़ी सुरक्षा।
- एसी पार्ट्स, ऑक्सीजन सिलेंडर, मेडिकल उपकरण गायब होने का आरोप।
- पांच लोग जेल भेजे गए, लेकिन बरामदगी लगभग शून्य।
- स्थानीय लोगों ने स्वतंत्र एजेंसी से जांच की मांग उठाई।
दुमका जिले के बहुप्रतीक्षित हंसडीहा मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में हुई बड़ी चोरी ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया है। जिस अस्पताल से क्षेत्र की हजारों आबादी को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलने की उम्मीद थी, वही आज चोरी, लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता का प्रतीक बनता नजर आ रहा है। करोड़ों रुपये के आधुनिक चिकित्सा उपकरणों की चोरी ने न केवल पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की निगरानी व्यवस्था को भी कठघरे में ला खड़ा किया है।
क्या अस्पताल कभी हो पाएगा चालू?
स्थानीय लोगों के मन में सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या यह अस्पताल कभी पूरी तरह से चालू हो पाएगा और आम जनता को इसका लाभ मिल सकेगा। लंबे समय से बंद पड़े इस अस्पताल से क्षेत्र के लोगों को बड़ी उम्मीदें थीं, लेकिन लगातार हो रही चोरी की घटनाओं ने इन उम्मीदों को गहरा झटका दिया है। लोगों का कहना है कि अगर अस्पताल की संपत्ति ही सुरक्षित नहीं है, तो यहां मरीजों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाएगी।
जिम्मेदार कौन? जवाबदेही पर चुप्पी
चोरी जैसी गंभीर घटना के बाद भी अब तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन है। सुरक्षा में तैनात एजेंसी, अस्पताल प्रबंधन, स्वास्थ्य विभाग या स्थानीय प्रशासन—किसकी लापरवाही से यह सब हुआ, इसका जवाब अब तक सामने नहीं आया है। स्थानीय नागरिकों का आरोप है कि प्रभावशाली लोगों की मिलीभगत के कारण मामले को हल्के में लिया जा रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है: “अगर निष्पक्ष और स्वतंत्र एजेंसी से जांच हो, तो कई बड़े चेहरे बेनकाब हो सकते हैं।”
पहले ट्रांसफार्मर चोरी, फिर भी नहीं चेता सिस्टम
पुलिस जांच में यह बात सामने आई है कि लगभग एक माह पहले अस्पताल परिसर से बिजली ट्रांसफार्मर चोरी हो चुका था, जिसकी प्राथमिकी भी दर्ज की गई थी। सवाल यह उठता है कि उस समय यदि प्रशासन और पुलिस ने गंभीरता दिखाई होती, तो क्या इतनी बड़ी चोरी को रोका नहीं जा सकता था।
तीन महीनों के भीतर अस्पताल परिसर से लगातार चोरी, गेट खुले रहना, संदिग्ध आवाजाही—इन सबके बावजूद किसी की नजर न पड़ना केवल लापरवाही नहीं, बल्कि एक बड़ी प्रशासनिक चूक मानी जा रही है।
बरामदगी शून्य, संदेह गहरा
पुलिस ने इस मामले में पांच लोगों को जेल जरूर भेजा है, लेकिन करोड़ों की चोरी में अब तक एक लाख रुपये मूल्य का सामान भी बरामद नहीं हो सका है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि एसी के कुछ पार्ट्स, ऑक्सीजन सिलेंडर, सीसीटीवी डीवीआर और मल्टी पैरामीटर जैसे उपकरण अस्पताल परिसर में ही पड़े मिले।
इससे यह सवाल और गहरा हो जाता है कि असली चोरी का माल आखिर गया कहां। क्या पुलिस ने जल्दबाजी में कार्रवाई कर मामले को निपटाने की कोशिश की, या फिर चोरी का नेटवर्क इससे कहीं ज्यादा बड़ा और संगठित है।
पुलिस जांच पर उठे सवाल
स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों का मानना है कि मौजूदा जांच अधूरी और सतही है। उनका कहना है कि जब इतनी बड़ी चोरी हुई है, तो इसके पीछे सुनियोजित गिरोह का हाथ हो सकता है। ऐसे में केवल कुछ लोगों की गिरफ्तारी से सच्चाई सामने नहीं आएगी।
जनता की मांग: बहाने नहीं, सच्चाई
अब जनता की नजर प्रशासन और पुलिस पर टिकी है। लोगों का साफ कहना है कि या तो सच्चाई सामने लाई जाए, या फिर यह मान लिया जाए कि यह अस्पताल भी अन्य अधूरी सरकारी परियोजनाओं की तरह खंडहर बनकर रह जाएगा।
लोगों ने मांग की है कि:
- पूरे मामले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच हो।
- दोषी अधिकारियों और कर्मियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।
- अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था को तत्काल मजबूत किया जाए।

न्यूज़ देखो: सिस्टम की परीक्षा का मामला
हंसडीहा मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल में हुई चोरी केवल एक आपराधिक घटना नहीं, बल्कि सिस्टम की कार्यप्रणाली की बड़ी परीक्षा है। अगर अब भी जिम्मेदारों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो जनता का भरोसा पूरी तरह टूट सकता है। प्रशासन को तय करना होगा कि वह जवाबदेही निभाएगा या चुप्पी साधे रखेगा। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
जवाबदेही से ही लौटेगा भरोसा
स्वास्थ्य संस्थान केवल इमारत नहीं, बल्कि जनता की उम्मीद होते हैं। अगर उनकी सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित नहीं होगी, तो विकास के दावे खोखले साबित होंगे।
आप क्या सोचते हैं—इस मामले में सख्त कार्रवाई होनी चाहिए या फिर नई जांच एजेंसी गठित हो। अपनी राय कमेंट में साझा करें, खबर को आगे बढ़ाएं और जवाबदेही की मांग को मजबूत करें।





