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लातेहार का ठेकीटांड़ गांव आज भी सड़क सुविधा से वंचित: ग्रामीणों को खाट पर ले जाना पड़ता है मरीज

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#लातेहार #गांवकीसमस्या : सदर प्रखंड के बेंदी पंचायत स्थित ठेकीटांड़ में सड़क और पुल की सुविधा नहीं—ग्रामीण तीन किलोमीटर पैदल चलने को मजबूर
  • ठेकीटांड़ गांव में लगभग 500 की आबादी रहती है।
  • गांव तक पहुंचने के लिए तीन किलोमीटर पगडंडी और रेलवे लाइन पार करनी पड़ती है।
  • सड़क नहीं होने से शादी-ब्याह और बारात लाने में कठिनाई।
  • बीमार और प्रसव पीड़ितों को खाट पर उठाकर अस्पताल ले जाना पड़ता है।
  • पंचायत मुखिया ने पुल और सड़क निर्माण के लिए विधायक से अनुशंसा की है।

लातेहार जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत बेंदी पंचायत का ठेकीटांड़ गांव आज भी विकास की मुख्यधारा से कटकर जीवन बसर कर रहा है। लगभग 500 की आबादी वाले इस आदिवासी बहुल गांव तक आज तक सड़क नहीं पहुंच पाई है। आलम यह है कि गांव तक जाने के लिए ग्रामीणों को करीब तीन किलोमीटर लंबी पगडंडी पर चलना पड़ता है, जिस दौरान उन्हें रेलवे लाइन पार करनी पड़ती है। बरसात और अंधेरे के समय यह रास्ता जानलेवा साबित होता है।

सड़क न होने से टूटते रिश्ते और अधूरी शादियां

गांव में सड़क की कमी का असर लोगों के सामाजिक जीवन पर भी पड़ा है। ग्रामीण सुबल उरांव और सीमा देवी बताते हैं कि विवाह योग्य युवक-युवतियों की शादियां नहीं हो पा रही हैं। जब भी रिश्ते के लोग गांव तक पहुंचते हैं, तो पगडंडी और बदहाल हालात देखकर रिश्ता तोड़कर लौट जाते हैं। जो बारात गांव आती भी है, उसे तीन किलोमीटर पैदल चलकर गांव तक पहुंचना पड़ता है।

ग्रामीणों की व्यथा महिलाओं की जुबानी

गांव की महिलाएं बुधनी देवी, बलकु उरांव और मुन्नी देवी बताती हैं कि चुनाव के समय नेता वोट मांगने जरूर आते हैं, लेकिन जीतने के बाद उनका दर्शन तक नहीं होता। गांव तक कोई वाहन न पहुंच पाने की वजह से बीमारों को खाट पर उठाकर पैदल अस्पताल ले जाना पड़ता है। प्रसव पीड़ा की स्थिति में तो परेशानी और गंभीर हो जाती है। बरसात के मौसम में पानी की समस्या विकराल रूप धारण कर लेती है, जिससे ग्रामीणों का जीवन और कठिन हो जाता है।

पंचायत मुखिया और जनप्रतिनिधियों का रुख

पंचायत मुखिया रामदयाल उरांव का कहना है कि सड़क निर्माण की दिशा में प्रयास जारी है। उन्होंने बताया कि रेलवे का थर्ड लाइन प्रोजेक्ट बनने के बाद गांव का संपर्क और कठिन हो गया है। इस समस्या के समाधान के लिए अधिकारियों से लगातार गुहार लगाई जा रही है। रास्ते में पुल निर्माण की भी आवश्यकता है, जिसके लिए विधायक से अनुशंसा की गई है। विधायक ने आश्वासन दिया है कि पुल निर्माण की स्वीकृति जल्द मिलेगी।

ग्रामीणों की उम्मीदें प्रशासनिक पहल पर टिकीं

ग्रामीणों का कहना है कि यदि सड़क और पुल का निर्माण हो जाए तो न केवल उनका जीवन आसान होगा, बल्कि गांव के बच्चों और युवाओं के भविष्य को भी नई दिशा मिलेगी। पढ़ाई, रोजगार और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच संभव हो सकेगी। फिलहाल ठेकीटांड़ गांव की उम्मीदें केवल प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की पहल पर टिकी हैं।

न्यूज़ देखो: सड़क से वंचित ठेकीटांड़ विकास की परीक्षा में

ठेकीटांड़ गांव का मामला यह दर्शाता है कि आज भी कई गांव विकास की मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। सड़क और पुल केवल आवाजाही का साधन नहीं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक प्रगति का आधार हैं। यह प्रशासन के लिए बड़ी परीक्षा है कि कब तक गांवों को पगडंडी और खटिया पर मरीज ढोने की विवशता से मुक्ति मिलेगी।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अब गांव तक सड़क पहुंचनी ही चाहिए

ठेकीटांड़ के लोग वर्षों से सड़क और पुल की राह देख रहे हैं। अब समय है कि जनप्रतिनिधि और प्रशासन उनकी आवाज सुनें और कार्रवाई करें। आप भी अपनी राय कमेंट करें और इस खबर को साझा कर लोगों तक पहुंचाएं, ताकि ठेकीटांड़ जैसे गांव विकास की रोशनी से जुड़ सकें।

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