#रांची #दुर्गापूजा_भूमिपूजन : रथ यात्रा के शुभ अवसर पर भूमि पूजन के साथ पूजा पंडाल निर्माण की हुई शुरुआत — इस वर्ष “मानव जीवन यात्रा” थीम पर आधारित होगा पंडाल
- चंद्रशेखर आजाद दुर्गा पूजा समिति ने भूमि पूजन कर पंडाल निर्माण शुरू किया
- पंडाल की थीम: भ्रूण से अस्थि विसर्जन तक मानव जीवन यात्रा
- नवरात्रि में सांस्कृतिक संध्या और विशेष सुरक्षा प्रबंध रहेंगे
- थीम आधारित लाइटिंग और शिल्प आकर्षण का केंद्र होंगे
- सनातन संस्कृति जागरण का सतत प्रयास कर रही है समिति
भूमि पूजन से हुई भव्य शुरुआत
रांची में आषाढ़ शुक्ल द्वितीया रथ यात्रा के दिन, चंद्रशेखर आजाद दुर्गा पूजा समिति द्वारा आयोजित दुर्गा पूजा 2025 के लिए पंडाल निर्माण का भूमि पूजन परंपरागत विधियों के साथ किया गया। यह कार्यक्रम समिति के पूजा प्रांगण के समीप संपन्न हुआ, जिसमें संस्थापक सदस्य, अध्यक्ष, पदाधिकारी एवं बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए।
इस वर्ष पंडाल की विशेष थीम
समिति अध्यक्ष ने जानकारी दी कि इस वर्ष का पंडाल “मानव जीवन की यात्रा – भ्रूण से लेकर अस्थि विसर्जन तक“ की थीम पर आधारित होगा। पंडाल में प्रारंभ से अंत तक के जीवन क्रम को कलात्मक रूप से प्रदर्शित किया जाएगा, जो श्रद्धालुओं को गहरे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक संदेश देगा।
सांस्कृतिक संध्या और सुरक्षा व्यवस्था
पंडाल में हर साल की तरह इस बार भी नवरात्रि के दौरान सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होगा। समिति ने बताया कि विशेष सुरक्षा प्रबंध, आगंतुकों के लिए सुव्यवस्थित प्रवेश और निकास व्यवस्था, और CCTV निगरानी जैसे उपाय किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त, थीम आधारित लाइटिंग और सजावट पूरे पूजा प्रांगण को विशेष बनाएगी।
सनातन संस्कृति का संवाहक
समिति के अध्यक्ष ने कहा कि उनकी संस्था विगत कई वर्षों से सनातन संस्कृति को पुनर्जीवित करने और युवा पीढ़ी में धार्मिक चेतना जागृत करने के प्रयास में निरंतर संलग्न है। हर वर्ष पूजा पंडाल में किसी न किसी सामाजिक या सांस्कृतिक संदेश को थीम के माध्यम से प्रस्तुत किया जाता है।
न्यूज़ देखो: थीम पूजा में संस्कृति और सृजन का संगम
चंद्रशेखर आजाद दुर्गा पूजा समिति की यह पहल यह दर्शाती है कि त्योहार केवल उत्सव नहीं बल्कि सामाजिक जागरूकता और सांस्कृतिक पुनरुत्थान के अवसर भी होते हैं। इस वर्ष का पंडाल, जो मानव जीवन के सम्पूर्ण चक्र को प्रस्तुत करेगा, निश्चित रूप से एक अलग दृष्टिकोण और भावनात्मक जुड़ाव का अनुभव कराएगा।
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