#रांची #RIMS_संकट – आपातकालीन विभाग में टूटी मशीनें, नदारद दवाएं — इलाज की जगह मिल रही मायूसी
- RIMS की आपातकालीन सेवाएं बुनियादी उपकरण और दवाओं की भारी कमी से जूझ रही हैं
- JDA ने चिकित्सा अधीक्षक को SOS ज्ञापन सौंपकर हालात को बताया बेहद गंभीर
- मॉनिटरों, IV सेट, पेरासिटामोल और ब्लड सप्लाई जैसी आवश्यक चीजों की भारी कमी
- JDA ने पांच सूत्रीय मांग पत्र सौंपा, तत्काल सुधार की मांग की
- रोगियों को हो रही गंभीर परेशानी, इलाज में हो रही देरी से जटिलताएं बढ़ी
- JDA अध्यक्ष डॉ. अंकित कुमार और टीम ने ज्ञापन पर किए हस्ताक्षर
आपातकालीन विभाग में टूटी मशीनें और खाली दवा अलमारियां
राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (RIMS, रांची) का केंद्रीय आपातकालीन विभाग इन दिनों गंभीर संकट से गुजर रहा है। मरीजों की जान बचाने के लिए जरूरी बुनियादी सुविधाएं तक यहां उपलब्ध नहीं हैं। अस्पताल की इस बदहाली पर जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन (JDA) ने शुक्रवार को चिकित्सा अधीक्षक को SOS ज्ञापन सौंपकर आपातकालीन स्थिति की ओर ध्यान आकर्षित किया है।
जेडीए का खुलासा: टूटी मशीनें, खत्म दवाएं
JDA के अध्यक्ष डॉ. अंकित कुमार सहित प्रमुख सदस्यों ने ज्ञापन में साफ लिखा है कि आपातकालीन विभाग लंबे समय से अपंग स्थिति में चल रहा है। यहां मॉनिटरों का आधे से ज्यादा हिस्सा काम नहीं कर रहा, और ज़रूरी दवाएं जैसे पेरासिटामोल, IV फ्लुइड, IV सेट, IV कैनुला और ब्लड ट्रांसफ्यूजन सप्लाई भी उपलब्ध नहीं हैं।
“झारखंड का प्रमुख तृतीयक चिकित्सा केंद्र रिम्स आज ऐसी स्थिति में है कि यहां वो सुविधाएं नहीं हैं जो एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में होती हैं।”
— डॉ. अंकित कुमार, अध्यक्ष, जेडीए
ज्ञापन में यह भी कहा गया कि इलाज के लिए पहुंचे मरीजों को जरूरी सुविधाओं के अभाव में निराश होकर लौटना पड़ रहा है। यह न केवल मरीजों की जिंदगी के साथ खिलवाड़ है, बल्कि चिकित्सा संस्थान की विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है।
जेडीए ने रखीं ये 5 प्रमुख मांगे
जेडीए ने तत्काल सुधार के लिए पांच बिंदुओं वाला ज्ञापन सौंपा, जिसमें इमरजेंसी विभाग के संचालन में पारदर्शिता और मूलभूत सुविधाओं की तत्काल बहाली पर जोर दिया गया।
जेडीए की मुख्य मांगे:
- सभी विभागों में आवश्यक दवाओं की तत्काल उपलब्धता सुनिश्चित की जाए।
- प्राइवेट वेंडर्स से दवा आपूर्ति की व्यवस्था खत्म की जाए।
- स्पष्ट जवाबदेही के साथ एक समर्पित स्टोर इंचार्ज की नियुक्ति की जाए।
- डॉक्टरों के लिए इमरजेंसी डिपार्टमेंट में अलग केबिन की व्यवस्था हो।
- बहुउद्देश्यीय कर्मियों (MPWs) की पर्याप्त तैनाती की जाए।
चिकित्सा अधीक्षक से तत्काल सुधार की मांग
ज्ञापन में यह भी कहा गया कि अगर इमरजेंसी विभाग की यह स्थिति जल्द नहीं सुधारी गई, तो इससे मरीजों की जान को खतरा हो सकता है और डॉक्टरों को भी असुरक्षित और असुविधाजनक वातावरण में काम करना पड़ता रहेगा। JDA ने उम्मीद जताई है कि चिकित्सा अधीक्षक शीघ्र कार्रवाई कर इस गंभीर संकट का समाधान निकालेंगे।
ज्ञापन पर डॉ. अंकित कुमार, डॉ. अभिषेक लगुरी, डॉ. अभिषेक हंसदक, डॉ. अमित कुमार, डॉ. अरादना कुमार, डॉ. कुमार कीर्ति और डॉ. ओम प्रकाश के हस्ताक्षर हैं, जो पूरे एसोसिएशन की चिंताओं को स्पष्ट करते हैं।
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