
#सलडेगा #जनजातिगौरवदिवस : विद्यालय परिसर में जनजातीय विरासत, राष्ट्रभक्ति और सांस्कृतिक विविधता को समर्पित भव्य कार्यक्रम आयोजित
- सरस्वती शिशु विद्या मंदिर सलडेगा में जनजाति गौरव दिवस का आयोजन।
- मुख्य अतिथि सुभाष चंद्र दुबे, साथ में हरिश्चंद्र भगत, अरुण सिंह, साधु मलुवा, संतोष दास।
- विभिन्न जनजातीय नृत्य, रूप-सज्जा और सांस्कृतिक प्रस्तुतियाँ।
- बच्चों ने नागपुरी, मुण्डारी, खड़िया भाषाओं में अपने विचार रखे।
- कार्यक्रम का संचालन विद्यालय परिवार ने गरिमामय ढंग से किया।
सलडेगा स्थित सरस्वती शिशु विद्या मंदिर में जनजाति गौरव दिवस बड़े उत्साह, गरिमा और सांस्कृतिक समृद्धि के वातावरण में मनाया गया। विद्यालय परिसर जनजातीय परंपराओं, राष्ट्रभक्ति और संस्कृति के रंगों से सराबोर दिखाई दिया। कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती माता, भारत माता, भगवान बिरसा मुंडा एवं जनजातीय महानायकों की तस्वीरों के समक्ष दीप प्रज्वलन और पुष्पांजलि के साथ हुआ, जिससे पूरा वातावरण श्रद्धा और सम्मान की भावना से भर उठा।
जनजातीय संस्कृति और राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत हुआ समारोह
जनजाति गौरव दिवस के इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रांत शिक्षा प्रमुख श्रीमान सुभाष चंद्र दुबे जी उपस्थित रहे। मंच पर वनवासी कल्याण केंद्र जिला समिति अध्यक्ष श्री हरिश्चंद्र भगत जी, सचिव अरुण सिंह जी, शिक्षाविद श्री साधु मलुवा जी, तथा संकुल प्रमुख श्री संतोष दास जी भी विराजमान थे। विद्यालय परिवार ने सभी अतिथियों का स्नेहपूर्वक स्वागत किया। स्वागत गीत की मनमोहक प्रस्तुति ने सभी अतिथियों को भावविभोर कर दिया और कार्यक्रम की शुरुआत को विशेष बना दिया।
नृत्य, रूप-सज्जा और जनजातीय परंपराओं का जीवंत प्रदर्शन
विद्यालय के भैया-बहनों द्वारा प्रस्तुत आकर्षक सांस्कृतिक नृत्य ने जनजातीय संस्कृति की विविधता को मंच पर सजीव रूप से उकेरा। विशेष रूप से रानी दुर्गावती, महारानी लक्ष्मीबाई, भगवान बिरसा मुंडा, सिद्ध-कान्हू, तेलंगा खड़िया सहित कई महानायकों की रूप-सज्जा ने पूरे कार्यक्रम को एक ऐतिहासिक और प्रेरक स्वरूप दिया।
बच्चों ने नागपुरी, मुण्डारी, खड़िया आदि क्षेत्रीय भाषाओं में जनजाति गौरव दिवस पर अपने विचार रखकर अपनी भाषा-संस्कृति के प्रति गर्व को दर्शाया।
मुख्य अतिथि ने दिया राष्ट्रभक्ति और संस्कार का संदेश
मुख्य अतिथि श्रीमान सुभाष चंद्र दुबे जी ने अपने संबोधन में जनजातीय समाज के अद्वितीय योगदान की चर्चा करते हुए कहा कि बच्चों में संस्कार ही सच्चे अर्थों में राष्ट्रभक्ति की भावना को जन्म देते हैं।
श्रीमान सुभाष चंद्र दुबे जी ने कहा: “जनजातीय समाज हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है। नई पीढ़ी को अपनी जड़ों, परंपराओं और आदर्शों से जुड़े रहकर देश की सेवा करनी चाहिए।”
अन्य मंचासीन अतिथियों – श्री साधु मलुवा जी, श्री हरिश्चंद्र भगत जी, श्री संतोष दास जी – ने भी जनजातीय परंपराओं, शौर्यगाथाओं और सांस्कृतिक गौरव पर अपने विचार व्यक्त किए।
सफल आयोजन और प्रधानाचार्य का धन्यवाद
कार्यक्रम के अंत में विद्यालय के प्रधानाचार्य श्रीमान जितेंद्र कुमार पाठक जी ने सभी अतिथियों, आचार्य परिवार, बच्चों और अभिभावकों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समाज के अमूल्य योगदान का उल्लेख किया और बच्चों को अपने गौरवशाली इतिहास से प्रेरणा लेने का संदेश दिया।
पूरे कार्यक्रम ने विद्यालय में गर्व, सम्मान और सांस्कृतिक एकजुटता की भावना को और मजबूत किया। जनजातीय गौरव दिवस का यह आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ और सभी उपस्थित जनों के मन में अमिट छाप छोड़ गया।



न्यूज़ देखो: संस्कृति की रक्षा ही भविष्य की सबसे बड़ी पूंजी
इस कार्यक्रम ने यह स्पष्ट किया कि जब विद्यालय और समाज मिलकर संस्कृति का संरक्षण करते हैं, तो नई पीढ़ी में आत्मगौरव और राष्ट्रभक्ति स्वाभाविक रूप से विकसित होती है। जनजातीय इतिहास से जुड़े ऐसे आयोजन बच्चों को अपनी जड़ों से जोड़ते हैं और समाज को अधिक संगठित बनाते हैं। यही कारण है कि सांस्कृतिक शिक्षा, नियमित अध्ययन जितनी ही आवश्यक है।
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संस्कृति का गौरव ही समाज की पहचान
सलडेगा के बच्चों द्वारा प्रस्तुत कला, भाषण और रूप-सज्जा ने सिद्ध किया कि हमारी सांस्कृतिक धरोहर बच्चों के मन में जीवंत है। अब हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस विरासत को अगली पीढ़ी तक और भी सशक्त करके पहुँचाएँ। आइए, हम सब जनजातीय नायकों की गाथाओं से प्रेरणा लेकर समाज में जागरूकता और एकता का संदेश फैलाएँ। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को साझा करें और सांस्कृतिक गर्व को आगे बढ़ाने में योगदान दें।





