सरना धर्म कोड के बिना झारखंड में नहीं होगी जातीय जनगणना, झामुमो ने भरी हुंकार

#रांची #सरना_कोड — झारखंड में आदिवासी पहचान के सवाल पर झामुमो ने केंद्र सरकार को दी खुली चुनौती

केंद्र के फैसले के बाद सरना कोड को लेकर गरमाई सियासत

केंद्र सरकार द्वारा जातीय आधारित जनगणना कराने की घोषणा के बाद झारखंड में राजनीतिक तापमान तेजी से बढ़ गया है। झारखंड की सत्ताधारी पार्टी झामुमो ने इस फैसले पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और साफ शब्दों में कहा है कि जब तक सरना धर्म कोड को कानूनी मान्यता नहीं दी जाएगी, तब तक राज्य में जातीय जनगणना नहीं होने दी जाएगी।

झामुमो के महासचिव विनोद पांडेय ने इस संबंध में आधिकारिक पत्र जारी करते हुए 9 मई को राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में धरना-प्रदर्शन का ऐलान किया है। इस प्रदर्शन में पार्टी के सभी मंत्री, सांसद, विधायक और केंद्रीय पदाधिकारियों की उपस्थिति अनिवार्य कर दी गई है।

झामुमो की चेतावनी – बिना सरना कोड के अधूरी मानी जाएगी जनगणना

झामुमो ने केंद्र पर आदिवासी समाज की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए कहा कि सरना धर्म कोड की मांग वर्षों से लंबित है, और अब यदि जातीय जनगणना कराई जा रही है तो उसमें आदिवासियों की धार्मिक पहचान को मान्यता देना अनिवार्य है।

“जब तक सरना धर्म कोड को नहीं समाहित किया जाएगा, तब तक जनगणना अधूरी मानी जाएगी। हम लोग आंदोलनकारी हैं। झारखंड अलग राज्य इसी भाषा में लिया गया था।”
मनोज पांडेय, प्रवक्ता, झामुमो

उन्होंने कहा कि सरना कोड को दरकिनार कर कोई भी जनगणना राज्य में सफल नहीं हो सकती। पार्टी के मुताबिक यह सिर्फ जनगणना नहीं, बल्कि आदिवासी अस्मिता का मुद्दा है।

केंद्र पर हमला – भाजपा की चुनावी चाल करार दी घोषणा

झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडेय ने भाजपा पर सीधा हमला बोलते हुए कहा कि बिहार चुनाव को देखते हुए जातीय जनगणना की घोषणा महज एक वोटबैंक साधने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि INDIA गठबंधन के दबाव में यह फैसला लिया गया है, लेकिन झारखंड में जो राज्य सरकार चाहेगी वही होगा।

“केंद्र में जो होगा, वो झारखंड में नहीं चलेगा। सरना कोड के बिना जनगणना की इजाजत नहीं दी जाएगी।”
मनोज पांडेय, प्रवक्ता, झामुमो

रणनीति पर मंथन, सरना कोड के लिए बड़े आंदोलन की तैयारी

झामुमो ने स्पष्ट कर दिया है कि सरना धर्म कोड को लेकर अब पीछे हटने का कोई सवाल नहीं है। पार्टी ने राज्यस्तरीय बैठकों का दौर तेज कर दिया है और जल्द ही व्यापक आंदोलन की रणनीति तैयार की जा रही है।

इस मुद्दे को लेकर राज्य में सियासी हलचल और जनभावनाएं दोनों तेज हो गई हैं, जिससे आने वाले दिनों में सरना कोड पर बड़ा जनांदोलन देखने को मिल सकता है।

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