
#स्वच्छतासंवाद #SDMगढ़वा – हर सप्ताह समाज के अलग वर्गों से सीधा संवाद कर रहे एसडीएम संजय कुमार, इस बार कॉफी पर बुलाया स्वच्छता सैनिकों को
- “कॉफी विद एसडीएम” की 24वीं कड़ी में आमंत्रित किए गए स्वच्छता कर्मचारी
- एसडीएम संजय कुमार ने कहा – “स्वच्छ गढ़वा, सुंदर गढ़वा” का सपना इन कर्मियों की मेहनत से ही साकार
- अनौपचारिक बातचीत में कर्मचारियों की समस्याएं सुनी जाएंगी, सुझाव लिए जाएंगे
- अब तक 23 वर्गों से संवाद कर चुके हैं एसडीएम – किसानों, मजदूरों, साहित्यकारों से लेकर फुटपाथ विक्रेताओं तक
स्वच्छता कर्मियों के सम्मान में कॉफी
गढ़वा अनुमंडल प्रशासन की अभिनव पहल “कॉफी विद एसडीएम” अब अपने 24वें सप्ताह में प्रवेश कर चुकी है। इस बार कार्यक्रम में आमंत्रण मिला है गढ़वा नगर के स्वच्छता कर्मियों को, जो प्रतिदिन शहर की साफ-सफाई में अहम भूमिका निभाते हैं।
अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार ने जानकारी दी कि इस पहल का उद्देश्य समाज के प्रत्येक वर्ग के प्रतिनिधियों से सीधा संवाद करना है ताकि समस्याएं सामने आ सकें और समाधान निकल सके।
सुझाव, संवाद और सम्मान
एसडीएम संजय कुमार ने कहा,
“हममें से हर कोई समाज में किसी न किसी भूमिका में कार्य कर रहा है। स्वच्छता कर्मचारीगण भी अपने स्तर से समाज के लिए अत्यंत आवश्यक योगदान दे रहे हैं, जिन्हें सम्मान और प्रशासनिक प्रोत्साहन मिलना चाहिए।”
कार्यक्रम के दौरान इन कर्मियों से उनके अनुभव, चुनौतियाँ और सुझावों पर बातचीत होगी। यदि कोई समस्या सामने आती है, तो प्रशासन त्वरित समाधान के लिए प्रतिबद्ध रहेगा।
संवाद की मिसाल बन रहा है गढ़वा
अब तक इस कार्यक्रम में किसान, मजदूर, साहित्यकार, टैक्सी चालक, दिव्यांग, फुटपाथ विक्रेता, किन्नर समुदाय समेत 23 अलग-अलग वर्गों के लोग शामिल हो चुके हैं। प्रत्येक संवाद का उद्देश्य केवल सुनना नहीं, बल्कि साथ मिलकर समाधान तलाशना है।
न्यूज़ देखो : प्रशासनिक संवाद की नई परंपरा
‘न्यूज़ देखो’ इस प्रयास की सराहना करता है, जो आम लोगों और प्रशासन के बीच की दूरी को कम कर रहा है।
गढ़वा जैसे जिले में जब संवाद, सम्मान और सुझावों को इतना महत्व मिलता है, तब विकास और विश्वास दोनों साथ बढ़ते हैं।
आइए, हम भी इस संवाद में भागीदार बनें
“कॉफी विद एसडीएम” सिर्फ एक कार्यक्रम नहीं, एक सकारात्मक सोच है—जहाँ हर नागरिक की भूमिका को अहमियत दी जा रही है।
‘न्यूज़ देखो’ आपसे अपील करता है, आप भी आगे आकर अपने सुझाव दें, अपने वर्ग की बात कहें, क्योंकि गढ़वा तब ही सुंदर बनेगा जब हर आवाज़ सुनी जाएगी।