
#चंदवा #धार्मिक_उत्सव : कार्तिक पूर्णिमा पर देवनद नदी घाट पर हजारों श्रद्धालुओं ने किया दीपदान और पूजन
- कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर देवनद नदी घाट पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी।
- तड़के सुबह 3 बजे से ही आसपास के गांवों से हजारों लोग पहुंचे।
- श्रद्धालुओं ने भगवान विष्णु और कार्तिक देव की पूजा कर सुख-समृद्धि की कामना की।
- घाट पर “हर हर गंगे” और “जय कार्तिक देव” के जयघोष से गूंज उठा पूरा क्षेत्र।
- स्थानीय प्रशासन और सामाजिक संगठनों ने सुरक्षा और साफ-सफाई की रही विशेष व्यवस्था।
चंदवा के देवनद नदी तट पर बुधवार की सुबह आस्था और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिला। कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी, जिन्होंने पवित्र स्नान के साथ दीपदान और पूजा-अर्चना की। ठंडी हवाओं के बावजूद श्रद्धालुओं में आस्था और उल्लास का वातावरण देखने लायक था। क्षेत्र के हर कोने से लोग भोर से ही नदी की ओर रुख करने लगे और नदी तट पर हर-हर गंगे और जय कार्तिक देव के जयघोष से वातावरण गुंजायमान हो उठा।
भक्ति और श्रद्धा का अद्भुत नजारा
देवनद नदी तट पर हजारों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाकर अपने और परिवार के कल्याण की कामना की। मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा के दिन पवित्र नदी में स्नान और दीपदान करने से सभी पापों का नाश होता है और जीवन में शांति एवं समृद्धि आती है। श्रद्धालुओं ने स्नान के बाद भगवान विष्णु और कार्तिक देव की विधिवत पूजा-अर्चना की और दीप प्रवाहित कर अपने जीवन में प्रकाश और सकारात्मक ऊर्जा की प्रार्थना की।
“कार्तिक पूर्णिमा के दिन देवनद नदी में स्नान करना वर्षों पुरानी परंपरा है। कहा जाता है कि इस दिन यहां स्नान करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और जीवन में शुभता आती है।”
प्रशासन और समाजसेवियों की रही सक्रिय भूमिका
भीड़ को देखते हुए स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा, प्रकाश और साफ-सफाई की पुख्ता व्यवस्था की थी। पुलिस बल और स्वयंसेवक घाट पर तैनात थे ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो। घाटों पर प्रकाश की पर्याप्त व्यवस्था की गई थी और जगह-जगह स्वयंसेवी संगठन श्रद्धालुओं की सहायता करते नजर आए। नगर पंचायत की ओर से सफाई अभियान चलाकर घाटों को स्वच्छ रखा गया था, जिससे लोगों को सुविधा मिल सके।
धार्मिक परंपरा और आस्था का उत्सव
कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर देवनद नदी में स्नान करने की परंपरा सदियों पुरानी है। यह पर्व आस्था, भक्ति और सामाजिक समरसता का प्रतीक माना जाता है। ग्रामीणों ने बताया कि हर वर्ष इस अवसर पर दूर-दराज से लोग यहां आते हैं और स्नान, पूजन, दीपदान कर अपने परिवार की खुशहाली की प्रार्थना करते हैं।
देवनद नदी के तट पर इस दौरान लोगों ने सामूहिक आरती भी की और भक्तिमय गीतों से वातावरण को और भी पवित्र बना दिया। घाट के किनारों पर दीपों की रोशनी से दृश्य अत्यंत मनमोहक लग रहा था, जो आस्था और आध्यात्मिकता का संदेश दे रहा था।
न्यूज़ देखो: आस्था की अद्भुत मिसाल बनी देवनद नदी
कार्तिक पूर्णिमा के इस पावन पर्व पर देवनद नदी तट पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़ झारखंड की समृद्ध धार्मिक परंपरा का जीवंत उदाहरण है। प्रशासन और स्थानीय समाज के सहयोग से यह आयोजन पूर्ण शांति और भक्ति के वातावरण में संपन्न हुआ। यह न केवल आस्था का प्रतीक है बल्कि समाज में एकता, प्रेम और सहयोग की भावना को भी सशक्त करता है।
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आस्था, संस्कार और एकता का पर्व
कार्तिक पूर्णिमा जैसे पर्व हमें हमारे सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ते हैं। यह अवसर है भक्ति और सेवा को जीवन का हिस्सा बनाने का। समाज में प्रकाश फैलाने का संकल्प लें और अपनी परंपराओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाएं। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को साझा करें और आस्था की इस भावना को जन-जन तक पहुंचाएं।




