
#रामगढ़ #महिला_सशक्तिकरण : ग्रामीण महिलाओं के हुनर को मिला मंच, स्टॉल्स में दिखी आत्मनिर्भरता की झलक।
- रामगढ़ में तीन दिवसीय आकांक्षा हाट सह सम्मान समारोह आयोजित।
- JSLPS से जुड़ी महिलाओं ने 10 स्टॉल्स पर स्थानीय उत्पाद प्रदर्शित किए।
- नारियल तेल, मशरूम, मडुवा आटा, अचार, लाह की चूड़ियाँ आकर्षण का केंद्र बने।
- जिला परिषद अध्यक्ष और अधिकारियों ने किया स्टॉल्स का निरीक्षण।
- महिलाओं के प्रयासों की जमकर सराहना, आत्मनिर्भरता का संदेश।
सम्पूर्णता अभियान के तहत महिलाओं को मिला बड़ा मंच
रामगढ़ जिले में ‘सम्पूर्णता अभियान’ के तहत तीन दिवसीय आकांक्षा हाट सह सम्मान समारोह का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ जिला परिषद अध्यक्ष के कर-कमलों द्वारा किया गया। इसका उद्देश्य ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना और उनके स्थानीय उत्पादों को बाजार उपलब्ध कराना था।
महिलाओं के हुनर से सजे 10 आकर्षक स्टॉल्स
JSLPS से जुड़ी स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने कार्यक्रम में 10 स्टॉल्स लगाए। इन स्टॉल्स पर नारियल तेल, मशरूम, मडुवा आटा, अचार, लाह की चूड़ियाँ और बांस शिल्प जैसे उत्पाद प्रदर्शित किए गए। इन उत्पादों को आगंतुकों ने काफी सराहा। स्थानीय कला और पारंपरिक स्वाद का मेल कार्यक्रम की विशेषता रहा।
अधिकारियों ने की सराहना और बढ़ाया उत्साह
कार्यक्रम के दौरान उप विकास आयुक्त, डीपीएम रामगढ़ और अन्य अतिथियों ने सभी स्टॉल्स का भ्रमण किया। उन्होंने महिलाओं द्वारा बनाए गए उत्पादों की गुणवत्ता और उनके उद्यमशीलता के प्रयासों की जमकर प्रशंसा की।
उप विकास आयुक्त ने कहा: “यह पहल न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बना रही है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भरता की दिशा में प्रेरित कर रही है।”
नेताओं और अधिकारियों ने महिलाओं को आगे और बेहतर करने के लिए प्रोत्साहित किया और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने का आग्रह भी किया।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था में महिलाओं की भूमिका पर जोर
कार्यक्रम में वक्ताओं ने कहा कि स्वयं सहायता समूह ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। इस तरह के आयोजन महिलाओं को मार्केटिंग, ब्रांडिंग और नेटवर्किंग का अवसर प्रदान करते हैं। इससे न केवल महिलाओं की आमदनी बढ़ती है, बल्कि स्थानीय उत्पादों को नई पहचान मिलती है।

न्यूज़ देखो: आत्मनिर्भर भारत की ओर बढ़ता महिला सशक्तिकरण
रामगढ़ का यह आयोजन बताता है कि ग्रामीण महिलाएँ अब सिर्फ घर की जिम्मेदारी तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे आर्थिक बदलाव की अहम धुरी बन रही हैं। इस तरह के अभियान आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने में बड़ी भूमिका निभा रहे हैं।
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बदलते भारत की ताकत है महिला उद्यमिता
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