
#सिमडेगा #गोटूल_शिक्षा : गोंडवाना संस्कृति और सामाजिक समरसता को मजबूत करने हेतु विशेष प्रशिक्षण।
सिमडेगा जिले के सलडेगा स्थित गोंडवाना विकास विद्यालय सह छात्रावास परिसर में तीन दिवसीय गोटूल केंद्र शिक्षक प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ हुआ। गोंडवाना वेलफेयर सोसाइटी द्वारा आयोजित इस शिविर का उद्देश्य शिक्षकों को गोंडवाना समाज की सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और शैक्षणिक परंपराओं से जोड़ना है। पारंपरिक पूजा-अर्चना और गोंडवाना ध्वजारोहण के साथ शुरू हुए इस शिविर में सामाजिक समरसता और मूल्य आधारित शिक्षा पर विशेष जोर दिया जा रहा है। प्रशिक्षण से भावी पीढ़ी के सर्वांगीण विकास को नई दिशा मिलने की उम्मीद है।
- सलडेगा परिसर में तीन दिवसीय गोटूल केंद्र शिक्षक प्रशिक्षण शिविर का आयोजन।
- गोंडवाना वेलफेयर सोसाइटी के तत्वावधान में हुआ भव्य शुभारंभ।
- देवनंदन प्रधान के नेतृत्व में पारंपरिक पूजा-अर्चना एवं ध्वजारोहण।
- शिक्षकों को गोंडवाना इतिहास, संस्कृति और सामाजिक मूल्यों का प्रशिक्षण।
- अन्य राज्यों से आए प्रतिष्ठित विशेषज्ञ करेंगे मार्गदर्शन।
सिमडेगा जिले के सलडेगा क्षेत्र में सोमवार को गोंडवाना समाज की परंपरा और शिक्षा के समन्वय का सशक्त उदाहरण देखने को मिला, जब गोंडवाना विकास विद्यालय सह छात्रावास परिसर में तीन दिवसीय गोटूल केंद्र शिक्षक प्रशिक्षण शिविर का विधिवत शुभारंभ किया गया। यह शिविर गोंडवाना वेलफेयर सोसाइटी के तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है, जिसमें शिक्षकों को समाज की सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ते हुए शिक्षा को मूल्य आधारित बनाने का प्रयास किया जा रहा है।
आयोजकों के अनुसार, इस प्रशिक्षण शिविर का मुख्य उद्देश्य गोटूल परंपरा के माध्यम से शिक्षकों को गोंडवाना समाज की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और शैक्षणिक विरासत से अवगत कराना है, ताकि वे भावी पीढ़ी को केवल किताबी ज्ञान ही नहीं, बल्कि सामाजिक जिम्मेदारी, अनुशासन और सामूहिक जीवन के मूल्यों से भी जोड़ सकें।
पारंपरिक विधि-विधान से हुआ उद्घाटन
शिविर के शुभारंभ से पूर्व भूमक सह अध्यक्ष देवनंदन प्रधान, शशि प्रधान, कोषाध्यक्ष कमलेश्वर मांझी, उपाध्यक्ष बालसिंह प्रधान एवं श्याम किशोर प्रधान के नेतृत्व में प्रशिक्षु शिक्षकों और छात्रावास के विद्यार्थियों के साथ पारंपरिक विधि-विधान से छह कुली देवी-देवताओं की पूजा-अर्चना की गई। इस पूजा-अर्चना के माध्यम से समाज की परंपराओं के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए शिविर की सफलता की कामना की गई।
पूजा के पश्चात गोंडवाना ध्वज फहराकर शिविर का औपचारिक उद्घाटन किया गया। ध्वजारोहण के दौरान परिसर में गोंडवाना संस्कृति की गरिमा और सामूहिक एकता का भाव स्पष्ट रूप से झलकता नजर आया।
गोटूल व्यवस्था पर केंद्रित विशेष प्रशिक्षण
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए वक्ताओं ने कहा कि गोटूल व्यवस्था गोंडवाना समाज की पहचान और आत्मा है। यह व्यवस्था बच्चों और युवाओं को बचपन से ही संस्कार, अनुशासन, सामाजिक जिम्मेदारी और सामूहिक जीवन का महत्व सिखाती है। गोटूल के माध्यम से समाज पीढ़ी दर पीढ़ी अपनी संस्कृति, परंपराओं और मूल्यों को संरक्षित करता आया है।
देवनंदन प्रधान ने कहा: “गोटूल व्यवस्था केवल एक सामाजिक संस्था नहीं, बल्कि संस्कार और नेतृत्व निर्माण की पाठशाला है। शिक्षकों की भूमिका इसमें सबसे महत्वपूर्ण है।”
तीन दिनों तक चलने वाले इस प्रशिक्षण शिविर में प्रशिक्षु शिक्षकों को गोंडवाना इतिहास, सभ्यता, संस्कृति, परंपराएं और सामाजिक मूल्यों की विस्तृत जानकारी दी जाएगी। इसके साथ ही गोटूल केंद्रों के संचालन की प्रक्रिया, विद्यार्थियों से प्रभावी संवाद, अभिभावकों के साथ समन्वय और शिक्षक–छात्र संबंधों को मजबूत करने के व्यावहारिक गुर भी सिखाए जा रहे हैं।
शिक्षा के साथ सामाजिक समरसता पर जोर
शिविर में यह भी रेखांकित किया गया कि वर्तमान समय में शिक्षा का उद्देश्य केवल रोजगार तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि उसमें समाज की सांस्कृतिक पहचान और नैतिक मूल्यों का समावेश आवश्यक है। गोंडवाना समाज की शिक्षा पद्धति सामूहिकता, सहयोग और सामाजिक समरसता पर आधारित है, जिसे आधुनिक शिक्षा प्रणाली के साथ जोड़ने की आवश्यकता है।
वक्ताओं ने कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण से शिक्षक समाज में सकारात्मक बदलाव के संवाहक बन सकते हैं और बच्चों को अपनी संस्कृति पर गर्व करना सिखा सकते हैं।
अन्य राज्यों से आए विशेषज्ञों की भागीदारी
इस प्रशिक्षण शिविर की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमें अन्य राज्यों से आए विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत प्रतिष्ठित लोग भी शामिल हो रहे हैं। ये विशेषज्ञ अपने अनुभव साझा कर प्रशिक्षु शिक्षकों का मार्गदर्शन करेंगे और उन्हें समाज के लिए अधिक प्रभावी ढंग से कार्य करने के लिए प्रेरित करेंगे। इससे प्रशिक्षणार्थियों को व्यापक दृष्टिकोण मिलेगा और वे शिक्षा के साथ-साथ सामाजिक उत्थान में भी सक्रिय भूमिका निभा सकेंगे।
विद्यार्थियों और स्वयंसेवकों का योगदान सराहनीय
शिविर के सफल आयोजन में गोंडवाना विकास विद्यालय सह छात्रावास के विद्यार्थियों और स्वयंसेवकों का योगदान भी उल्लेखनीय रहा। अर्जुन मांझी, अजय मांझी, दीपक मांझी, अनुज बेसरा सहित अन्य विद्यार्थियों ने व्यवस्थाओं को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके अनुशासन, समर्पण और सहयोग से कार्यक्रम सुचारु रूप से संचालित हो रहा है।
गोंडवाना समाज के लिए दूरगामी पहल
आयोजकों का मानना है कि यह प्रशिक्षण शिविर केवल शिक्षकों के कौशल विकास तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे गोंडवाना समाज के भविष्य से जुड़ी एक महत्वपूर्ण पहल है। इससे समाज की सांस्कृतिक पहचान को मजबूती मिलेगी और शिक्षा को अधिक सार्थक एवं प्रभावी बनाया जा सकेगा।

न्यूज़ देखो: संस्कृति और शिक्षा का मजबूत सेतु
सलडेगा में आयोजित यह गोटूल केंद्र शिक्षक प्रशिक्षण शिविर दर्शाता है कि जब शिक्षा को समाज की संस्कृति और परंपराओं से जोड़ा जाता है, तो उसका प्रभाव कहीं अधिक गहरा और स्थायी होता है। यह पहल न केवल शिक्षकों को सशक्त बना रही है, बल्कि गोंडवाना समाज की पहचान और मूल्यों को भी नई पीढ़ी तक पहुंचाने का कार्य कर रही है। ऐसे प्रयासों की निरंतरता समाज के समग्र विकास के लिए आवश्यक है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
संस्कृति से जुड़ी शिक्षा, सशक्त भविष्य की आधारशिला
जब शिक्षक अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े होते हैं, तब वे छात्रों को भी सही दिशा और पहचान दे पाते हैं। ऐसे प्रशिक्षण शिविर समाज में सकारात्मक बदलाव की नींव रखते हैं।
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