
#सिमडेगा #पर्यटन_महोत्सव : कैलाश धाम कर्रामुंडा में तीन दिवसीय कार्यक्रम सम्पन्न – उपायुक्त ने किया पर्यटन विकास का आश्वासन
- ठेठईटांगर प्रखंड के कैलाश धाम कर्रामुंडा में तीन दिवसीय पर्यटन महोत्सव का आयोजन हुआ।
- उपायुक्त सिमडेगा का ग्रामीणों ने पारंपरिक नृत्य-गान से भव्य स्वागत किया।
- महोत्सव में अखण्ड कीर्तन और आध्यात्मिक कार्यक्रमों में अनेक गांवों की टीमें शामिल हुईं।
- उपायुक्त ने कहा कि कैलाश धाम को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।
- आयोजन में सामाजिक सौहार्द और धार्मिक एकता का अद्भुत दृश्य देखने को मिला।
सिमडेगा जिला के ठेठईटांगर प्रखंड के कैलाश धाम कर्रामुंडा में आयोजित तीन दिवसीय पर्यटन महोत्सव श्रद्धा, संस्कृति और सौहार्द का प्रतीक बना। प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर इस पावन स्थल पर उपायुक्त सिमडेगा का पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ स्वागत किया गया। महोत्सव में स्थानीय जनसमुदाय और आसपास के गांवों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे, जिन्होंने पूरे उत्साह के साथ कार्यक्रमों में भाग लिया।
कैलाश धाम में उपायुक्त का भव्य स्वागत
उपायुक्त सिमडेगा का कैलाश धाम पर्यटन क्लब और ग्रामीणों ने परंपरागत नृत्य, गीत और तिलक-अभिनंदन से स्वागत किया। वातावरण में भक्ति और उमंग की लहर दौड़ गई। स्वागत के बाद उन्हें कैलाश धाम के ऐतिहासिक महत्व और धार्मिक परंपराओं से अवगत कराया गया।
उपायुक्त सिमडेगा ने कहा: “कैलाश धाम कर्रामुंडा में पहुँचकर साक्षात ईश्वर की अनुभूति हुई। यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और सामाजिक समरसता जिले की पहचान है।”
उन्होंने कहा कि कैलाश धाम न केवल आस्था का केंद्र है, बल्कि सामाजिक सौहार्द का उदाहरण भी है। यहाँ सभी धर्मों और समुदायों के लोग एक साथ पूजा-अर्चना करते हैं, जो सिमडेगा की विविधता में एकता का प्रतीक है।
पर्यटन विकास और रोजगार की संभावनाएँ
उपायुक्त ने कहा कि प्रशासन का लक्ष्य कैलाश धाम कर्रामुंडा को पर्यटन मानचित्र पर लाना है ताकि क्षेत्र में पर्यटन आधारित रोजगार और आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा मिले। उन्होंने बताया कि यहाँ के प्राकृतिक सौंदर्य, धार्मिक महत्त्व और सांस्कृतिक विविधता को ध्यान में रखते हुए विकास कार्यों की योजना तैयार की जा रही है।
उन्होंने कहा: “कैलाश धाम को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने से स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।”
इस अवसर पर उपायुक्त ने कैलाश धाम पर्यटन क्लब के सदस्यों को बधाई देते हुए उनके योगदान की सराहना की और स्थल के शीघ्र विकास का आश्वासन दिया।
धार्मिक भक्ति और लोक संस्कृति का संगम
महोत्सव के दौरान अखण्ड कीर्तन और भक्ति संध्या का आयोजन किया गया जिसमें लेटाबेड़ा, रेंगारी, देवबाहर, कोरोमिन्या, बलसेरा, बोलबा, पालेमुंडा, कादोपानी, नवागांव और छत्तीसगढ़ से आईं कीर्तन मंडलियों ने भाग लिया। कीर्तन के स्वर और ढोल-मांदर की ताल ने पूरे परिसर को भक्ति में डुबो दिया।
ग्रामीणों ने अपने पारंपरिक परिधान में रंगारंग प्रस्तुति दी, जिससे कैलाश धाम का वातावरण उल्लास और श्रद्धा से भर गया।
सामाजिक सौहार्द का प्रतीक स्थल
कैलाश धाम कर्रामुंडा केवल धार्मिक स्थल नहीं बल्कि सामाजिक एकता का केंद्र भी है। यहाँ हिंदू, आदिवासी और अन्य समुदायों के लोग एक साथ पूजा करते हैं और पर्व-त्योहारों को मिलजुलकर मनाते हैं। यह समरसता इस क्षेत्र की पहचान बन चुकी है।
उपायुक्त ने लोगों से इस सौहार्दपूर्ण परंपरा को बनाए रखने और आगे बढ़ाने की अपील की। उन्होंने कहा कि सिमडेगा जैसे जिलों की सुंदरता और एकता पूरे राज्य के लिए प्रेरणा है।
आयोजन में अनेक गणमान्य उपस्थित
इस अवसर पर मुखिया रेणुका सोरेंग, प्रखंड विकास पदाधिकारी ठेठईटांगर, प्रखंड विकास पदाधिकारी बोलबा, अंचल अधिकारी ठेठईटांगर, थाना प्रभारी ठेठईटांगर, समाजसेवी दीपक कुमार अग्रवाल (रिंकू), श्रीराम पुरी, अमन मिश्रा, भुनेश्वर सेनापति, पूना बेसरा, पर्यटन क्लब के रामप्रसाद बेहरा, जीतेन्द्र बेहरा, मोतीराम बेहरा, जुगेश सेनापति, नारायण सिंह, कमलेश पाटर, पंचू पाटर, राजकुमार सिंह, रैन सिंह समेत अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
कार्यक्रम में स्थानीय युवाओं की भूमिका सराहनीय रही, जिन्होंने व्यवस्था और स्वागत की जिम्मेदारी संभाली।
भक्ति और आनंद के साथ हुआ समापन
तीन दिवसीय कार्यक्रम का समापन सामूहिक भजन, प्रसाद वितरण और धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। उपस्थित लोगों ने एक स्वर में कहा कि ऐसे आयोजन न केवल धार्मिक श्रद्धा को प्रबल करते हैं बल्कि सामाजिक एकता और ग्रामीण पर्यटन को भी नई दिशा देते हैं।
उपायुक्त ने समापन पर कहा: “कैलाश धाम कर्रामुंडा को पर्यटन का प्रमुख केंद्र बनाना प्रशासन की प्राथमिकता है। इसके लिए हरसंभव सहयोग दिया जाएगा।”

न्यूज़ देखो: कैलाश धाम बनेगा सिमडेगा का पर्यटन प्रतीक
कैलाश धाम कर्रामुंडा में तीन दिवसीय महोत्सव ने यह सिद्ध किया कि झारखंड के ग्रामीण क्षेत्र भी पर्यटन और सांस्कृतिक दृष्टि से समृद्ध हैं। यहाँ की लोक संस्कृति, श्रद्धा और सामाजिक एकता न केवल जिले की पहचान है बल्कि विकास की दिशा भी तय करती है। यदि प्रशासनिक योजनाएँ धरातल पर उतरीं तो यह स्थल प्रदेश का प्रमुख पर्यटन केंद्र बन सकता है।
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श्रद्धा और सौहार्द के संग पर्यटन विकास की ओर सिमडेगा का कदम
सामाजिक एकता और धार्मिक आस्था का यह संगम सिमडेगा की नई पहचान बन सकता है। अब समय है कि हम अपने सांस्कृतिक धरोहरों को न केवल संजोएँ बल्कि उनके विकास में भी योगदान दें। सजग रहें, सक्रिय बनें। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को दोस्तों तक पहुंचाएं और झारखंड के पर्यटन विकास का हिस्सा बनें।




