
#गढ़वा #सामाजिकउपक्रम : न्याय की किरण और सहारे का अहसास, बच्चों के चेहरों पर लौटी मुस्कान
- जिला विधिक सेवा प्राधिकार गढ़वा ने साथी अभियान के तहत तीन दिव्यांग बच्चों को व्हीलचेयर दी।
- लाभान्वित बच्चों में पंकज कुमार, गोल्डन कुमार और शोभा कुमारी शामिल।
- बचपन के शुरुआती वर्षों के बाद इन बच्चों को दिव्यांगता ने घेर लिया था।
- व्हीलचेयर मिलने से अब वे बाहरी दुनिया और प्राकृतिक छटा का आनंद ले पाएंगे।
- इस पहल में प्रखंड विकास पदाधिकारी, प्रवेक्षिका और वार्ड सदस्य भी रहे सहभागी।
गढ़वा जिले के टंडवा गांव में जिला विधिक सेवा प्राधिकार ने सामाजिक जिम्मेदारी और मानवीयता का अद्भुत उदाहरण पेश किया। “साथी अभियान” के तहत यहां तीन दिव्यांग बच्चों को व्हीलचेयर प्रदान की गई। यह क्षण न सिर्फ बच्चों बल्कि पूरे गांव के लिए भावुक करने वाला रहा, क्योंकि पहली बार पंकज कुमार, गोल्डन कुमार और शोभा कुमारी को खुले आसमान और गांव की गलियों में स्वतंत्रता से घूमने का अवसर मिलेगा।
साथी अभियान का उद्देश्य और महत्व
जिला विधिक सेवा प्राधिकार ने यह कदम “साथी अभियान” के अंतर्गत उठाया है, जिसका लक्ष्य समाज के अंतिम व्यक्ति तक न्याय और समान अवसर की किरण पहुंचाना है। व्हीलचेयर जैसी सुविधाएं दिव्यांग बच्चों और उनके परिवारों के जीवन में आत्मनिर्भरता और आत्मविश्वास का संचार करती हैं।
बच्चों की जिंदगी में आया उजाला
इन तीनों बच्चों को जन्म के दो-तीन वर्ष बाद से दिव्यांगता का सामना करना पड़ा। अब तक उनका जीवन घर की चारदीवारी तक ही सीमित था। लेकिन व्हीलचेयर मिलने के बाद वे गांव की हरियाली, खेत-खलिहान और प्राकृतिक छटा का आनंद उठा सकेंगे। यह बदलाव न केवल उनके लिए बल्कि उनके परिवारों के लिए भी राहत और खुशी लेकर आया है।
प्रशासन और समाज की संयुक्त भागीदारी
इस पुनीत कार्य में जिला विधिक सेवा प्राधिकार गढ़वा के साथ प्रखंड विकास पदाधिकारी, प्रवेक्षिका और वार्ड सदस्य ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रशासन और समाज के प्रतिनिधियों की इस साझेदारी ने साबित किया कि जब संवेदनशीलता और सहयोग साथ आते हैं तो बदलाव संभव होता है।
न्यूज़ देखो: न्याय से संवेदना तक
गढ़वा में यह प्रयास सिर्फ दिव्यांग बच्चों को सहारा देने का नहीं, बल्कि उन्हें सम्मान और जीवन का आनंद लौटाने का है। साथी अभियान जैसी पहलें हमें याद दिलाती हैं कि न्याय केवल अदालतों तक सीमित नहीं, बल्कि हर घर और हर बच्चे तक पहुंचना चाहिए।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
बदलाव की ओर प्रेरणा
टंडवा गांव का यह छोटा सा कदम समाज में बड़ा संदेश छोड़ता है। दिव्यांग बच्चों को सहयोग और संवेदनशीलता देकर हम उन्हें आत्मनिर्भर और खुशहाल बना सकते हैं। अब समय है कि हम सब ऐसे अभियानों से जुड़कर समाज के कमजोर वर्गों को मजबूती दें। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि जागरूकता फैले।