
#बानो #दुर्घटना : तालाब में नहाने गईं तीन मासूम बच्चियां नहीं लौटीं घर, परिवार और गांव में पसरा मातम
- सिमडेगा जिले के बानो प्रखंड के निमतुर गांव में तीन बच्चियों की तालाब में डूबकर दर्दनाक मौत।
- बच्चियां नहाने के लिए तालाब गईं, तभी हुआ हादसा।
- मृत बच्चियों की पहचान खुश्बू कुमारी (6), प्रेमिका कुमारी (5) और सीमा कुमारी (7) के रूप में हुई।
- परिजन बाजार गए थे, लौटने पर बच्चियों की खोज में शुरू हुई हड़बड़ी।
- बानो पुलिस और जिला परिषद बीरजो ने मौके पर पहुँचकर स्थिति संभाली और परिजनों को ढांढस बंधाया।
सिमडेगा जिले के बानो प्रखंड के ग्राम निमतुर से रवि शाम को एक हृदयविदारक घटना सामने आई, जहां तालाब में डूबने से तीन नाबालिग बच्चियों की मौत हो गई। यह हादसा उस वक्त हुआ जब उनके अभिभावक बाजार गए हुए थे और तीनों बच्चियां सम्भवतः नहाने के लिए तालाब की ओर गई थीं। लेकिन कुछ देर बाद जब वे घर नहीं लौटीं, तो परिजनों ने उनकी खोज शुरू की।
खोज के दौरान मिली दर्दनाक सच्चाई
काफी खोजबीन के बाद गांववालों ने एक बच्ची को तालाब में पानी पर तैरते हुए देखा, जिससे पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। ग्रामीणों ने तत्परता दिखाते हुए बाकी दो बच्चियों को भी पानी से बाहर निकाला। तुरंत ही सभी को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बामो ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने तीनों को मृत घोषित कर दिया।
घटना के बाद गांव में मातम छा गया। हर कोई इस हादसे से गहरे सदमे में है। परिवार के रोने-बिलखने की आवाज़ों ने पूरे माहौल को शोकाकुल बना दिया।
मृत बच्चियों की पहचान और परिजनों का दर्द
मृतकों की पहचान इस प्रकार हुई —
खुश्बू कुमारी (6 वर्ष) पिता सहदेव सिंह, ग्राम निमतुर, गोंझु टोली;
प्रेमिका कुमारी (5 वर्ष) पिता जगरनाथ चिक बड़ाईक;
और सीमा कुमारी (7 वर्ष) पिता दशरथ सिंह, ग्राम निमतुर, डीप टोली।
तीनों बच्चियां पड़ोसी परिवारों की थीं और एक-दूसरे की अच्छी सहेलियां थीं। हादसे ने पूरे गांव को शोक की चादर में लपेट दिया है।
प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे
घटना की जानकारी मिलते ही जिला परिषद बीरजो और कंडुलना अस्पताल के अधिकारी मौके पर पहुँचे। उन्होंने परिजनों से मुलाकात कर उन्हें सांत्वना दी और प्रशासनिक सहायता का आश्वासन दिया।
बानो पुलिस ने शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए थाना भेज दिया, ताकि घटना की विस्तृत जांच की जा सके।
स्थानीय ग्रामीणों ने कहा: “यह हादसा पूरे गांव के लिए एक गहरा घाव है। तीनों बच्चियां बेहद मासूम और चंचल थीं। अब उनके बिना घर सूना लग रहा है।”
गांव में पसरा सन्नाटा और शोक
घटना के बाद निमतुर गांव में गहरा सन्नाटा पसर गया है। लोग लगातार पीड़ित परिवारों के घर पहुंचकर संवेदना व्यक्त कर रहे हैं। कई ग्रामीणों की आंखें नम हैं और बच्चों की हंसी की जगह अब सिसकियों की आवाज़ गूंज रही है।
गांव के बुजुर्गों ने इसे अवांछित त्रासदी बताया और प्रशासन से अनुरोध किया कि गांव के सभी तालाबों की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।

न्यूज़ देखो: सुरक्षा चेतना और जिम्मेदारी की जरूरत
बानो की यह घटना इस बात की गंभीर याद दिलाती है कि गांवों में खुले जलाशयों और तालाबों की सुरक्षा व्यवस्था कितनी आवश्यक है। प्रशासन को चाहिए कि बच्चों की सुरक्षा के लिए बैरिकेडिंग, चेतावनी बोर्ड और निगरानी तंत्र अनिवार्य बनाए। ऐसी घटनाएं केवल लापरवाही नहीं, बल्कि सामूहिक चेतना की परीक्षा होती हैं।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
मासूमों की याद में जागे समाज की संवेदना
तीन मासूमों की यह दर्दनाक मौत पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है। अब समय है कि हम अपने आस-पास की सुरक्षा पर ध्यान दें, बच्चों को सतर्क करें और प्रशासनिक कदमों की मांग करें। इन मासूम आत्माओं को श्रद्धांजलि देने का सबसे सही तरीका यही है कि ऐसी त्रासदी दोबारा न हो।
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