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सांप के काटने से पलामू में तीन की मौत, विधायक आलोक चौरसिया के दो नातियों की भी गई जान

#पलामू #सर्पदंश_दुर्घटना : चैनपुर क्षेत्र में दो अलग-अलग घटनाओं से मातम — विधायक के दामाद और एक ग्रामीण की हालत नाजुक

एक ही परिवार के तीन लोग बने शिकार, दो बच्चों की मौत

पलामू जिले के चैनपुर थाना क्षेत्र के नरसिंहपुर पथरा गांव में गुरुवार देर रात एक दर्दनाक हादसा हुआ, जिसने पूरे गांव को मातम में डुबो दिया। विधायक आलोक चौरसिया के भाई भीष्म चौरसिया के दामाद प्रेम चौरसिया और उनके दो बेटे अर्जुन कुमार व देव कुमार को घर में सोते समय जहरीले सांप ने डस लिया। परिजनों ने तीनों को पहले मेदिनीराय मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (MMCH) पहुंचाया, जहां से रिम्स रांची रेफर किया गया।

परंतु परिजन इलाज के लिए उन्हें तुंबागड़ा स्थित नवजीवन अस्पताल ले गए, लेकिन रास्ते में ही अर्जुन और देव ने दम तोड़ दिया। वहीं प्रेम चौरसिया की हालत अभी भी गंभीर बनी हुई है। तीनों एक ही कमरे में जमीन पर सो रहे थे, तभी हादसा हुआ।

विधायक के करीबी ज्ञानधन चौरसिया ने बताया: “घटना की सूचना मिलते ही परिजन और विधायक जी घटनास्थल के लिए रवाना हो गए हैं। परिवार सदमे में है।”

दूसरी घटना में भी जहरीले सांप ने ली जान, महिला की मौत

इसी रात, चैनपुर के बासडीह गांव में एक और सर्पदंश की घटना हुई। भिखारी भुइंया और उनकी पत्नी शकुंतला देवी, जो जमीन पर सो रहे थे, सांप के काटने से पीड़ित हो गए। दोनों को भी MMCH में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के दौरान शकुंतला देवी की मौत हो गई। वहीं भिखारी भुइंया की हालत भी गंभीर बनी हुई है।

अस्पताल और प्राथमिक उपचार व्यवस्था पर सवाल

दोनों ही घटनाएं गंभीर चिकित्सा व्यवस्था की पोल खोलती हैं। विधायक के परिजन पहले MMCH, फिर रिम्स रेफर, और अंत में नवजीवन अस्पताल तक पहुंचे — इस दौरान दो मासूमों की जान चली गई। यह साफ दर्शाता है कि गंभीर मामलों में प्राथमिक चिकित्सा और एंबुलेंस सुविधा में सुधार की सख्त जरूरत है

ग्रामीण इलाकों में जमीन पर सोने की पुरानी आदत और सांप-रोधी उपायों की कमी सर्पदंश की घटनाओं को बढ़ावा दे रही हैं। साथ ही, जनजागरूकता, रैपिड मेडिकल रिस्पॉन्स और विषरोधी दवाओं की उपलब्धता आज भी सीमित है।

गांव में पसरा मातम, लोगों में दहशत

घटना के बाद नरसिंहपुर पथरा और बासडीह गांव में शोक का माहौल है। विधायक परिवार के बच्चों की असमय मृत्यु से राजनीतिक और सामाजिक हलकों में भी दुख की लहर फैल गई है। ग्रामीणों का कहना है कि बार-बार प्रशासन को सर्पदंश से निपटने के उपायों की मांग की गई, लेकिन हर बार आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला।

न्यूज़ देखो: ग्रामीण स्वास्थ्य तंत्र की विफलता का दर्दनाक उदाहरण

इन दो घटनाओं ने एक बार फिर ग्रामीण स्वास्थ्य प्रणाली की खामियों को उजागर कर दिया हैन उचित प्राथमिक चिकित्सा, न विषरोधी दवाओं की उपलब्धता और न ही पर्याप्त जनजागरूकता — यही कारण है कि हर साल सैकड़ों ग्रामीण सर्पदंश का शिकार होते हैं
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

सजग नागरिक बनें, सुरक्षा उपायों पर दें ध्यान

सावन और बरसात के मौसम में सर्पदंश की घटनाएं तेजी से बढ़ती हैं। जमीन पर सोने से बचें, घर के आसपास साफ-सफाई रखें और किसी भी आपात स्थिति में तत्काल चिकित्सीय सहायता लें।
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