
#रांची #पंचायत_जनप्रतिनिधि : पंचायत प्रतिनिधियों ने वित्तीय और प्रशासनिक अधिकारों की कमी को लेकर सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की
- त्रिस्तरीय पंचायत जनप्रतिनिधि संघ ने 8 सूत्री मांगों को सार्वजनिक किया।
- प्रमुख मांगों में 15वें वित्त आयोग एवं राज्य वित्त आयोग की राशि तत्काल उपलब्ध कराना शामिल।
- आकस्मिक मृत्यु या दुर्घटना की स्थिति में ₹30 लाख बीमा या मुआवजा और सेवा समाप्ति पर पेंशन।
- पंचायत प्रतिनिधियों को मासिक मानदेय, टाइड एवं अनटाइड फंड पर खर्च और भुगतान का अधिकार।
- डीएमएफटी फंड का उपयोग पंचायत व्यवस्था के अनुसार और 14 विभागों व 29 विषयों में अधिकार देने की मांग।
त्रिस्तरीय पंचायत जनप्रतिनिधि संघ ने रांची में सरकार को पत्र भेजकर अपनी समस्याओं और 8 सूत्री मांगों का उल्लेख किया। संघ के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पंचायत प्रतिनिधियों को आज भी वित्तीय और प्रशासनिक अधिकारों के अभाव में कार्य करने में कठिनाई होती है और यदि सरकार शीघ्र समाधान नहीं करती, तो पूरे प्रदेश में जनप्रतिनिधि आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।
प्रमुख मांगों का विवरण
संघ ने अपनी मांगों में स्पष्ट किया कि पंचायतों को 15वें वित्त आयोग और राज्य वित्त आयोग की राशि तत्काल उपलब्ध कराई जाए ताकि स्थानीय स्तर पर विकास कार्य सुचारू रूप से किए जा सकें। इसके अलावा, जनप्रतिनिधियों की आकस्मिक मृत्यु या दुर्घटना की स्थिति में ₹30 लाख का बीमा या मुआवजा, सेवा समाप्ति पर पेंशन की व्यवस्था अनिवार्य की जाए।
मासिक मानदेय, टाइड एवं अनटाइड फंड पर खर्च और भुगतान का अधिकार सभी त्रिस्तरीय जनप्रतिनिधियों को दिया जाए। इसके साथ ही डीएमएफटी फंड का उपयोग पंचायत व्यवस्था के अनुसार किया जाना चाहिए। संघ ने 14 विभागों और 29 विषयों में पंचायत प्रतिनिधियों को अधिकार देने की भी मांग की है।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा: “पंचायत प्रतिनिधियों की समस्याओं की अनदेखी अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अगर सरकार ने हमारी मांगों को शीघ्र पूरा नहीं किया, तो पूरे प्रदेश में आंदोलन की स्थिति बनेगी।”
संघ ने सांसद एवं विधायक मद की तर्ज पर निजी मद की सुविधा, अबुआ आवास के लाभुकों को शीघ्र भुगतान और प्रधानमंत्री आवास की राशि बढ़ाने की मांग भी की है।
न्यूज़ देखो: पंचायत प्रतिनिधियों की मांगों में तेजी से समाधान जरूरी
यह स्पष्ट है कि पंचायत प्रतिनिधियों को पर्याप्त अधिकार और वित्तीय साधन नहीं मिलने से स्थानीय विकास प्रभावित हो रहा है। सरकार की सक्रिय भूमिका से न केवल पंचायत व्यवस्था सशक्त होगी बल्कि जनप्रतिनिधियों की कार्यकुशलता भी बढ़ेगी।
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सक्रिय पंचायत प्रतिनिधि, सशक्त गांव
सशक्त पंचायत और मजबूत स्थानीय शासन के लिए यह समय महत्वपूर्ण है। नागरिक और जनप्रतिनिधि दोनों मिलकर पंचायत स्तर पर विकास के लिए जागरूक रहें। अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को साझा करें और पंचायत प्रतिनिधियों के अधिकारों की रक्षा में योगदान दें।





