
#लातेहार #दुर्घटना : बालूमाथ प्रखंड के धाधू गांव में प्लास्टिक जलाने से लगी आग में तीन वर्षीय बच्चा गंभीर रूप से घायल
- धाधू गांव में रविवार को लगी आग की चपेट में तीन वर्षीय अयान आलम झुलसा।
- बच्चे का चेहरा और हाथ बुरी तरह से झुलस गए।
- परिजनों ने चीख सुनकर आनन फानन में अस्पताल पहुंचाया।
- बालूमाथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर सुरेंद्र कुमार ने किया प्राथमिक उपचार।
- हालत गंभीर होने पर बच्चे को रांची रिम्स रेफर किया गया।
लातेहार जिले के बालूमाथ प्रखंड के धाधू ग्राम में रविवार को एक बड़ी दुर्घटना घटित हो गई। गांव में किसी व्यक्ति द्वारा प्लास्टिक कचरा जमा कर उसमें आग लगाई गई थी। इसी दौरान अताउल आलम का तीन वर्षीय पुत्र अयान आलम खेलते-खेलते वहां पहुंच गया और आग की चपेट में आ गया। बच्चा बुरी तरह झुलस गया और दर्द से चीखने लगा। आवाज सुनकर परिजन और ग्रामीण दौड़े और तुरंत उसे बालूमाथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले गए। वहां मौजूद चिकित्सक ने स्थिति गंभीर देखते हुए बेहतर इलाज के लिए उसे रांची रिम्स रेफर कर दिया।
कैसे हुई घटना
धाधू गांव में रोजमर्रा के कचरे के बीच किसी ने प्लास्टिक इकट्ठा कर उसमें आग लगा दी थी। आग सुलग रही थी और आसपास कोई ध्यान नहीं दे रहा था। अचानक ही मासूम अयान आलम वहां पहुंचा और खेलते-खेलते सीधे आग में जा गिरा। आग की लपटों ने उसके चेहरे और हाथ को सबसे ज्यादा प्रभावित किया। ग्रामीणों के अनुसार, बच्चा रोते-रोते तड़प रहा था और मौके पर अफरा-तफरी का माहौल बन गया।
प्राथमिक उपचार और रेफर
परिजनों ने बिना देर किए अयान को उठाया और सीधे बालूमाथ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे। यहां चिकित्सक सुरेंद्र कुमार ड्यूटी पर मौजूद थे। उन्होंने बच्चे को तत्काल प्राथमिक उपचार दिया और उसकी गंभीर स्थिति देखते हुए रांची रिम्स भेजने का निर्णय लिया। डॉक्टरों का कहना था कि झुलसाव की स्थिति गहरी और संवेदनशील है, जिसे बेहतर उपकरण और विशेषज्ञ निगरानी की जरूरत है।
परिवार पर टूटा दुख का पहाड़
तीन वर्षीय अयान की इस हालत से परिवार गहरे सदमे में है। पिता अताउल आलम ने कहा कि यह सब एक लापरवाही का परिणाम है। अगर गांव में प्लास्टिक को खुले में जलाने पर रोक होती तो यह हादसा टाला जा सकता था। ग्रामीणों ने भी घटना को बेहद दुखद बताया और बच्चे की सलामती के लिए प्रार्थना की।
ग्रामीणों में आक्रोश और चिंता
धाधू गांव के कई लोगों ने कहा कि खुले में कचरा जलाना आम बात है, लेकिन इसका खामियाजा अब एक मासूम को भुगतना पड़ रहा है। ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की कि गांवों में कचरा निस्तारण की सही व्यवस्था की जाए और प्लास्टिक जलाने पर सख्त रोक लगाई जाए।
प्रशासन और समाज की जिम्मेदारी
ऐसे हादसे सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं होते, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी हैं। गांवों में सुरक्षा और स्वच्छता को लेकर लापरवाही बच्चों की जान पर भारी पड़ रही है। हादसे के बाद प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन लोग उम्मीद कर रहे हैं कि पीड़ित परिवार की मदद की जाएगी और इस तरह की घटनाओं पर रोकथाम के उपाय किए जाएंगे।
न्यूज़ देखो: मासूम की जान बचाने को चाहिए त्वरित व्यवस्था
यह घटना साफ दिखाती है कि गांवों में कचरा प्रबंधन और सुरक्षा जागरूकता की कितनी कमी है। अगर प्रशासन और समाज मिलकर ऐसे छोटे-छोटे उपाय करें तो भविष्य में ऐसी दर्दनाक घटनाओं से बचा जा सकता है। अब सवाल है कि क्या अधिकारी इससे सबक लेकर तुरंत कार्रवाई करेंगे या यह मामला भी अनसुना रह जाएगा।
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सुरक्षित बचपन हमारी जिम्मेदारी
हर बच्चा हमारे समाज की अमानत है। छोटे से हादसे से उसकी जिंदगी पर गहरा असर पड़ सकता है। अब समय आ गया है कि हम सब मिलकर अपने आसपास के माहौल को सुरक्षित बनाएं और ऐसी घटनाओं को रोकें। आप भी अपनी राय कमेंट करें, इस खबर को साझा करें और जागरूकता फैलाएं।