
#बरवाडीह #वन्यजीव_संरक्षण : ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन अभियान शुरू, पीटीआर में बाघ की सक्रिय मौजूदगी के संकेत
- पलामू टाइगर रिजर्व सहित पूरे झारखंड में टाइगर एस्टीमेशन प्रक्रिया शुरू।
- पहले ही दिन बाघ का स्पष्ट पगमार्क मिलने से क्षेत्र में सक्रियता की पुष्टि।
- तेंदुआ और भेड़िया के भी महत्वपूर्ण संकेत मिले।
- अभियान में 110 फोरेस्ट गार्ड, 300 ट्रैकर्स और 25 वॉलंटियर्स की भागीदारी।
- 22 दिसंबर तक चलेगा अभियान, वैज्ञानिक सत्यापन और डेटा विश्लेषण किया जाएगा।
बरवाडीह (लातेहार)। पलामू टाइगर रिजर्व समेत पूरे झारखंड में सोमवार से ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन की प्रक्रिया विधिवत शुरू हो गई। यह अभियान आगामी 22 दिसंबर तक चलेगा। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य बाघों के साथ-साथ अन्य प्रमुख मांसाहारी एवं बड़े शाकाहारी वन्यजीवों की उपस्थिति, मूवमेंट और उनके आवास से जुड़े वैज्ञानिक व प्रमाणिक आंकड़ों का संकलन करना है।
अभियान के पहले ही दिन पलामू टाइगर रिजर्व क्षेत्र में बाघ का स्पष्ट पगमार्क मिलने से वन विभाग और वन्यजीव प्रेमियों में उत्साह का माहौल है। इससे यह पुष्टि होती है कि पीटीआर क्षेत्र में बाघ सक्रिय रूप से विचरण कर रहे हैं। इसके अलावा तेंदुआ और भेड़िया की मौजूदगी से जुड़े महत्वपूर्ण साक्ष्य भी प्राप्त हुए हैं।
बड़े स्तर पर टीमों की तैनाती
पीटीआर के डिप्टी डायरेक्टर प्रजेशकांत जेना ने सोमवार शाम करीब चार बजे जानकारी देते हुए बताया कि इस एस्टीमेशन प्रक्रिया में कुल 110 फोरेस्ट गार्ड, 300 ट्रैकर्स और 25 वॉलंटियर्स को शामिल किया गया है। सभी टीमों को पलामू टाइगर रिजर्व के विभिन्न रेंज और बीट क्षेत्रों में तैनात किया गया है।
इन टीमों द्वारा ट्रैक सर्च, साइन सर्वे और प्राथमिक डेटा रिकॉर्डिंग का कार्य किया जा रहा है। जंगल के भीतर पगमार्क, मल, खरोंच के निशान और अन्य जैविक संकेतों के माध्यम से वन्यजीवों की गतिविधियों को दर्ज किया जा रहा है।
वैज्ञानिक सत्यापन और कैमरा ट्रैपिंग पर जोर
डिप्टी डायरेक्टर ने बताया कि 22 दिसंबर तक प्राप्त सभी पगमार्क और अन्य संकेतों का वैज्ञानिक सत्यापन एवं दस्तावेजीकरण किया जाएगा। इसके साथ ही सभी रेंज और बीट क्षेत्रों को चरणबद्ध तरीके से कवर किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि अभियान के तहत कैमरा ट्रैपिंग, डेटा एनालिसिस और फील्ड रिपोर्टिंग की प्रक्रिया को भी आगे बढ़ाया जाएगा। यह पूरा कार्य ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन 2026 के दिशा-निर्देशों के अनुरूप सुचारु और समयबद्ध तरीके से संपन्न किया जाएगा।
संरक्षण प्रयासों को मिलेगी नई दिशा
वन विभाग के अधिकारियों का मानना है कि इस एस्टीमेशन से प्राप्त आंकड़े न केवल बाघ संरक्षण बल्कि पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को समझने में मददगार साबित होंगे। इससे भविष्य की संरक्षण रणनीतियों को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकेगा।



न्यूज़ देखो: जंगल में लौटती दहाड़
पलामू टाइगर रिजर्व में बाघ का पगमार्क मिलना वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है। यह दर्शाता है कि संरक्षण प्रयास रंग ला रहे हैं और जंगल फिर से सुरक्षित आश्रय बन रहा है।
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संरक्षण की जिम्मेदारी हम सबकी
बाघ केवल जंगल की शान नहीं, बल्कि पूरे पर्यावरण संतुलन की कुंजी हैं। वन्यजीव संरक्षण को लेकर आपकी क्या राय है? कमेंट करें और इस खबर को साझा कर जागरूकता फैलाएं।





