
#पलामूटाइगररिजर्व #ऑपरेशन_सम्राट : 20 जून को सम्राट नामक बाघ को रांची के सिल्ली से रेस्क्यू करने के लिए चला 15 घंटे का मैराथन ऑपरेशन, वन विभाग की टीम ने हासिल की बड़ी कामयाबी
- झारखंड में पहली बार किसी बाघ को सफलतापूर्वक रेस्क्यू किया गया
- ‘सम्राट’ नामक यह बाघ पहले पलामू के किला क्षेत्र में देखा गया था
- बाघ के घर में घुसते ही सिल्ली के मारदू गांव में मचा हड़कंप
- वन विभाग का 15 घंटे का मैराथन ऑपरेशन बना राज्य के वन इतिहास की बड़ी घटना
- सम्राट को सुरक्षित रूप से फिर से पलामू टाइगर रिजर्व में छोड़ा गया
सम्राट की वापसी: एक बाघ, जिसकी कहानी झारखंड की वन सुरक्षा का प्रतीक बनी
पलामू टाइगर रिजर्व (पीटीआर) के ‘किला’ नामक बाघ को अब सब ‘सम्राट’ के नाम से जानते हैं। झारखंड के इतिहास में पहली बार किसी बाघ का रेस्क्यू सफलतापूर्वक किया गया और इसे ‘ऑपरेशन सम्राट’ के रूप में यादगार बना दिया गया।
20 जून की सुबह, रांची के सिल्ली क्षेत्र अंतर्गत मारदू गांव में जैसे ही पुरंदर महतो के घर में एक बाघ घुसा, पूरा गांव सिहर उठा। वन विभाग को सूचना मिलते ही एक मैराथन 15 घंटे का अभियान शुरू हुआ, जिसमें पलामू टाइगर रिजर्व, आईएफएस अधिकारियों और विशेषज्ञों की टीम ने बाघ को सुरक्षित रेस्क्यू कर अगली सुबह पीटीआर में छोड़ दिया।
ऑपरेशन सम्राट: जंगल से गांव, फिर जंगल की ओर
रेस्क्यू किया गया बाघ वही था जिसे 2023 में पलामू किला इलाके में देखा गया था। इसके बाद यह बाघ दलमा के रास्ते होते हुए पश्चिम बंगाल-ओडिशा सीमा तक जा पहुंचा। इसी दौरान इस बाघ की पहचान बदलकर ‘किला’ से ‘सम्राट’ रखी गई। पगमार्क, स्कैट और फोटोज़ के वैज्ञानिक विश्लेषण के बाद पुष्टि हुई कि यह वही बाघ है।
रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल रहे शीर्ष अधिकारी
इस अभूतपूर्व ऑपरेशन में शामिल रहे अधिकारी:
- पीसीसीएफ (वाइल्डलाइफ) परितोष उपाध्याय
- पीटीआर निदेशक एसआर नटेश
- उपनिदेशक कुमार आशीष
- वन विशेषज्ञ प्रजेशकांत जेना
- एनटीसीए (नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी) के एक्सपर्ट
इनकी निगरानी में सम्राट को पिंजरे में डालकर 21 जून की सुबह पलामू टाइगर रिजर्व में दोबारा छोड़ा गया।
“यह सिर्फ एक बाघ की वापसी नहीं, झारखंड की वन प्रणाली में भरोसे की वापसी है।”
— परितोष उपाध्याय, पीसीसीएफ वाइल्डलाइफ
न्यूज़ देखो: वन्य जीवन सुरक्षा की ऐतिहासिक कामयाबी
ऑपरेशन सम्राट यह दर्शाता है कि जब प्रशासन, विशेषज्ञता और समर्पण एक साथ काम करें, तो किसी भी संकट को टाला जा सकता है। यह झारखंड के वन विभाग की अब तक की सबसे बड़ी रेस्क्यू सफलता है।
न्यूज़ देखो इस सफलता का स्वागत करता है और वन्य जीवन की रक्षा में लगे हर अधिकारी को सलाम करता है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
प्राणियों का सम्मान, प्रकृति का संतुलन — यही है असली विकास
बाघ सिर्फ एक जानवर नहीं, जंगल के स्वास्थ्य का प्रतीक है। सम्राट की वापसी इस बात का संदेश है कि वन्यजीवों के संरक्षण में देरी नहीं, निर्णायक कार्रवाई जरूरी है।
आइए, हम सब मिलकर ऐसे हर अभियान को समर्थन दें — जंगल बचेगा, जीवन बचेगा।