तिसरी प्रखंड के लक्ष्मीबथान में स्वास्थ्य सुविधा के अभाव में प्रसूता की दर्दनाक मौत

घटना का विवरण

गिरिडीह जिले के तिसरी प्रखंड के सीमावर्ती गांव लक्ष्मीबथान में स्वास्थ्य सुविधा के अभाव ने एक और जीवन छीन लिया। 30 वर्षीय पानो हेंब्रम, जो गर्भवती थी और डायरिया से कमजोर हो चुकी थी, का इलाज गावां प्रखंड के एक निजी क्लीनिक में कराया गया था। इलाज के बाद घर लौटने के कुछ ही घंटों के भीतर, मंगलवार को पानो हेंब्रम की घर में ही डिलीवरी हुई, लेकिन बच्चे को जन्म देने के बाद उनकी मौत हो गई।

इस घटना से पानो हेंब्रम के परिवार वाले सदमे में हैं। वहीं, यह हादसा एक बार फिर राज्य के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य व्यवस्था और विकास के सरकारी दावों पर सवाल खड़े करता है।

पिछली घटनाओं से कोई सबक नहीं

गौरतलब है कि वर्ष 2020 में भी लक्ष्मीबथान गांव में सुरजी मरांडी नामक महिला की इसी प्रकार इलाज के अभाव में मौत हो गई थी। उस वक्त घटना के बाद गांव में काफी आक्रोश फैला था और इलाके के वर्तमान विधायक बाबूलाल मरांडी ने गांव का दौरा कर स्वास्थ्य व्यवस्था और सड़क की स्थिति सुधारने का वादा किया था।

दुर्भाग्यवश, चार साल बाद भी इस गांव की स्थिति जस की तस बनी हुई है। गांव में आज भी सड़क, बिजली, और शुद्ध पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। इन हालातों में लक्ष्मीबथान के निवासियों के लिए स्वास्थ्य सेवा तो एक दूर का सपना बन चुका है।

प्रशासन से उम्मीद

गांव के लोगों का कहना है कि अगर स्वास्थ्य सुविधा समय पर उपलब्ध होती, तो पानो हेंब्रम की जान बचाई जा सकती थी। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और राज्य सरकार से गांव में स्वास्थ्य केंद्र, सड़क और पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने की मांग की है, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोका जा सके।

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तिसरी प्रखंड के लक्ष्मीबथान गांव में हुई इस दर्दनाक घटना से साफ है कि ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत बदहाल है। ऐसे में हम सबकी जिम्मेदारी बनती है कि इन मुद्दों को उजागर करें और प्रशासन को जवाबदेह बनाएं। ‘न्यूज़ देखो’ के साथ जुड़े रहें, क्योंकि हर खबर पर रहेगी हमारी नजर!

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