#पलामू #नक्सल_मुठभेड़ : केदल जंगल में हुई पुलिस-टीपीसी मुठभेड़ के बाद संगठन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर पुलिस की आंतरिक कलह को जिम्मेदार बताया
- मनातू के केदल जंगल में मुठभेड़ के दौरान दो पुलिसकर्मी शहीद हुए।
- टीपीसी संगठन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर जिम्मेदारी से इनकार किया।
- दावा किया गया कि मौत पुलिसकर्मियों की आपसी दुश्मनी के चलते हुई।
- 20 फीट की दूरी से नौ गोलियां एक पुलिसकर्मी ने अपने साथियों पर दागीं।
- रणविजय, सचिव टीपीसी, ने उच्च-स्तरीय जांच की मांग रखी।
- संगठन ने घटना को साजिश बताया और कई वरिष्ठ अधिकारियों पर सवाल उठाए।
पलामू जिले के मनातू थाना क्षेत्र के केदल जंगल में हाल ही में पुलिस और टीपीसी (तृतीय प्रस्तुति कमेटी) के बीच मुठभेड़ हुई थी, जिसमें दो पुलिसकर्मी शहीद हो गए। घटना के बाद पूरे जिले में सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ा दी गई थी। अब इस मामले में टीपीसी ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर नया दावा कर स्थिति को और उलझा दिया है।
प्रेस विज्ञप्ति में टीपीसी का दावा
टीपीसी के सचिव रणविजय ने अपने बयान में कहा कि पुलिसकर्मियों की मौत संगठन की गोली से नहीं बल्कि पुलिसकर्मियों के आपसी विवाद का परिणाम है। उन्होंने दावा किया कि एक पुलिसकर्मी ने अपने ही साथियों को करीब 20 फीट की दूरी से नौ गोलियां मारीं, जिससे दोनों की मौत हो गई।
रणविजय, सचिव टीपीसी ने कहा: “यह मौत हमारी गोली से नहीं बल्कि पुलिस की अंदरूनी दुश्मनी का नतीजा है। हम इस पूरे मामले की उच्च-स्तरीय जांच की मांग करते हैं।”
साजिश का आरोप और जांच की मांग
टीपीसी ने इस घटना को एक साजिश करार दिया है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि इसमें पलामू के आईजी, एसपी और डीएसपी जैसे वरिष्ठ अधिकारियों की भी भूमिका हो सकती है। संगठन ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट और गोलीबारी की जानकारी की पुनः जांच कराने की मांग रखी है। उनका मानना है कि इससे सच्चाई सामने आएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सकेगा।
टीपीसी का रुख और लड़ाई का दावा
संगठन ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका संघर्ष झारखंड के आदिवासी, गैर-आदिवासी या पुलिस से नहीं है। टीपीसी ने कहा कि वे महंगाई, बेरोजगारी, भुखमरी, जमींदारी और भ्रष्ट पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। प्रेस विज्ञप्ति में अपील की गई कि अभियान में शामिल पुलिसकर्मी असली हत्यारों को बेनकाब करें और निर्दोषों को न फंसाया जाए।
शशिकांत की मौजूदगी पर सवाल
टीपीसी ने यह भी दावा किया कि मुठभेड़ के समय उनका साथी शशिकांत घटनास्थल से बहुत दूर था। इस आधार पर उन्होंने पुलिस पर झूठा प्रचार करने और मुठभेड़ की कहानी गढ़ने का आरोप लगाया।
न्यूज़ देखो: विवादित बयान से और उलझा मुठभेड़ का सच
मनातू मुठभेड़ को लेकर टीपीसी के नए दावों ने सवालों की नई परत खोल दी है। एक ओर पुलिस का आधिकारिक बयान है, वहीं दूसरी ओर नक्सली संगठन के गंभीर आरोप। यह स्थिति जनता के बीच असमंजस पैदा कर रही है। असलियत सामने लाने के लिए निष्पक्ष और उच्च-स्तरीय जांच जरूरी है।
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सच सामने आना जरूरी है
यह घटना केवल एक मुठभेड़ नहीं, बल्कि व्यवस्था और भरोसे से जुड़ा बड़ा सवाल है। अब समय है कि जांच पारदर्शी हो और जनता को सच्चाई से अवगत कराया जाए। अपनी राय नीचे कमेंट करें और इस खबर को साझा करें ताकि जवाबदेही सुनिश्चित हो सके।