
#लातेहार #धुमकुड़ियाशिक्षापहल : आरागुंडी गांव में सरना स्थल परिसर में शुरू हुआ निःशुल्क पारंपरिक शिक्षण केंद्र — उरांव समाज की बोली, रीति-रिवाज और परंपरा के संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
- धुमकुड़िया भवन में हुआ निःशुल्क पारंपरिक शिक्षण संस्थान का शुभारंभ
- उरांव समाज के लोगों को शिक्षा से जोड़ने का लिया गया संकल्प
- समुदाय के सहयोग से ऑनलाइन शिक्षा के लिए एलईडी टीवी की सुविधा उपलब्ध
- कृषि विभाग द्वारा 50% अनुदान पर धान व मकई के बीज उपलब्ध
- जिले में 30000 हेक्टेयर में धान की खेती का रखा गया लक्ष्य
बोली और संस्कृति के संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल
लातेहार जिले के आरागुंडी गांव में बुधवार को सरना स्थल परिसर स्थित धुमकुड़िया भवन में निःशुल्क पारंपरिक शिक्षण संस्थान की शुरुआत की गई। इस संस्थान का उद्देश्य आदिवासी समुदाय विशेषकर उरांव समाज की बोली, भाषा और पारंपरिक ज्ञान प्रणाली को संरक्षित करते हुए नई पीढ़ी को शिक्षित करना है। कार्यक्रम का उद्घाटन जिला परिषद सदस्य विनोद उरांव, उरांव समाज समन्वय समिति के स्टेट कन्वेनर रंथु उरांव और सेवानिवृत्त शिक्षक सकेंदर उरांव ने संयुक्त रूप से फीता काट कर किया।
आदिवासी शिक्षा को लेकर उठे मजबूत स्वर
विनोद उरांव ने कहा कि “धुमकुड़िया जैसे संस्थानों के माध्यम से ही हमारी परंपरा, भाषा और सांस्कृतिक विरासत को बचाया जा सकता है। हर गांव में ऐसे शिक्षण केंद्र की आवश्यकता है।” उन्होंने यह भी कहा कि उरांव समाज के कई लोग आज भी शिक्षा से वंचित हैं और उन्हें शिक्षित करना समय की मांग है।
रंथु उरांव ने अपने संबोधन में कहा, “शिक्षा ही सबसे बड़ी ताकत है। समाज को आगे बढ़ना है तो पढ़ाई जरूरी है। जितना पढ़ेंगे, उतना आगे बढ़ेंगे।“
सेवानिवृत्त शिक्षक सकेंदर उरांव ने भी ग्रामीणों की सराहना करते हुए कहा कि “सरकारी सेवा के बाद गांव की सेवा करने का यह एक अनमोल अवसर है।” उन्होंने बताया कि समुदाय के सहयोग से ऑनलाइन शिक्षा के लिए एलईडी टीवी की सुविधा भी प्रदान की गई है, जिससे छात्र डिजिटल माध्यम से भी सीख सकें।
शिक्षा के साथ कृषि को भी दी जा रही मजबूती
इसी बीच जिला कृषि पदाधिकारी अमृतेश कुमार सिंह ने किसानों को खेती-बाड़ी से जुड़ी योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि केंद्र व राज्य सरकार द्वारा 50% अनुदान पर बीज सभी प्रखंडों व लैंप्स में भेज दिया गया है। किसान इनसे संपर्क कर धान और मकई के बीज प्राप्त कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि “बारिश का अनुकूल मौसम शुरू हो गया है, यह धान की नर्सरी और मकई की खेती के लिए उत्तम समय है।”
कृषि विभाग के अनुसार, जिले में 30,000 हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य रखा गया है। डीएओ ने जिले के किसानों से बीज योजना का लाभ उठाने की अपील की।
ग्रामीणों की सहभागिता से बढ़ा उत्साह
धुमकुड़िया शिक्षण संस्थान के शुभारंभ अवसर पर मोती उरांव, जयराम उरांव, लखन उरांव, अनिल उरांव, संदीप उरांव, निर्मला उरांव, देवंती उरांव सहित बड़ी संख्या में महिला, पुरुष, बुजुर्ग और बच्चे मौजूद रहे। सभी ने इस नई पहल का स्वागत किया और इसे गांव के लिए एक नई शुरुआत बताया।
न्यूज़ देखो: परंपरा से प्रगति की ओर बढ़ता आदिवासी समाज
आरागुंडी गांव में धुमकुड़िया शिक्षण संस्थान का शुभारंभ आदिवासी समुदाय की शिक्षा और सांस्कृतिक पहचान दोनों को मजबूत करने का प्रतीक है। यह पहल न केवल बच्चों को पारंपरिक ज्ञान से जोड़ती है, बल्कि तकनीक के साथ कदमताल करते हुए उन्हें आत्मनिर्भर बनने का मार्ग भी दिखाती है।
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आपकी जागरूकता ही बदलाव की असली ताकत है
परंपरा और प्रगति का संगम तभी संभव है जब समाज साथ चले। आइए, इस अनोखी पहल को सराहें, इससे सीखें और दूसरों को प्रेरित करें।
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