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खूँटी में ध्वस्त पुल से ठप आवागमन, बच्चों की शिक्षा पर संकट — बाबूलाल मरांडी ने साधा सरकार पर निशाना

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#खूँटी #ध्वस्तपुल : पोलोल पुल टूटा तो स्कूल जाना हुआ मुश्किल — दो सप्ताह बाद भी वैकल्पिक व्यवस्था नहीं, पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार को घेरा
  • सिमडेगा-कोलेबिरा रोड पर पोलोल पुल भारी बारिश में ध्वस्त
  • दो सप्ताह से अधिक समय बाद भी वैकल्पिक रास्ते की व्यवस्था नहीं
  • स्कूल जाने वाले बच्चों को 25 फुट ऊंचा चढ़कर पार करना पड़ रहा है पुल
  • आमजन भी यातायात अवरुद्ध होने से भारी परेशान
  • बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट कर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर किया तीखा प्रहार

पोलोल पुल टूटा, व्यवस्था भी टूटी

खूँटी जिला के सिमडेगा-कोलेबिरा मुख्य मार्ग पर स्थित पोलोल पुल हालिया भारी बारिश के कारण पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है, जिससे इस मार्ग पर संपूर्ण आवागमन ठप हो गया है। पुल के टूटने को अब दो सप्ताह से अधिक समय बीत चुके हैं, लेकिन जिला प्रशासन की ओर से न तो वैकल्पिक मार्ग बनाया गया है, और न ही डायवर्जन की कोई व्यवस्था की गई है।

बच्चों को जान जोखिम में डालकर स्कूल जाने की मजबूरी

इस पुल से होकर रोजाना सैकड़ों बच्चे अपने स्कूल जाया करते हैं। पुल टूटने के बाद इन बच्चों को अब सीढ़ी लगाकर करीब 25 फुट ऊंची ढलान चढ़नी पड़ रही है। यह प्रक्रिया न केवल खतरनाक है, बल्कि बच्चों की मानसिक और शारीरिक सुरक्षा के लिए भी बेहद चिंताजनक है। बारिश और कीचड़ से हालात और भी भयावह हो चुके हैं।

जिला प्रशासन की निष्क्रियता पर उठे सवाल

स्थानीय ग्रामीणों और अभिभावकों ने कई बार प्रशासन से वैकल्पिक मार्ग निर्माण की मांग की, लेकिन अब तक सिर्फ आश्वासन ही मिला है। इससे स्कूली शिक्षा बाधित हो रही है और जनजीवन अस्त-व्यस्त हो चुका है। ट्रांसपोर्ट, आपूर्ति, मरीजों के आवागमन समेत कई जरूरी काम भी प्रभावित हैं।

ग्रामीणों की मांग: तुरंत हो वैकल्पिक व्यवस्था

स्थानीय ग्रामीणों ने खूँटी के उपायुक्त से तत्काल वैकल्पिक आवागमन व्यवस्था सुनिश्चित करने की मांग की है। उनका कहना है कि बच्चों की पढ़ाई और जीवन दोनों दांव पर लगे हैं। अगर जल्द कोई व्यवस्था नहीं की गई, तो वे आंदोलन की राह पकड़ने पर विवश होंगे।

बाबूलाल मरांडी ने साधा सरकार पर निशाना

इस मामले पर पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा नेता बाबूलाल मरांडी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर झारखंड सरकार की कार्यशैली पर तीखा हमला किया। उन्होंने लिखा:

बाबूलाल मरांडी (@yourbabulal):
“झारखंड में बीते कुछ दिनों से प्रशासनिक व्यवस्था ठप पड़ गई है। मुख्यमंत्री @HemantSorenJMM की अनुपस्थिति में अधिकारियों द्वारा सरकारी कार्यालयों में सारा कामकाज ठप कर सिर्फ सोशल मीडिया पर खानापूर्ति की जा रही है।
हेमंत जी, यदि आम जनता की परेशानियों का निदान करने के लिए भी जिला प्रशासन को आपके ट्विटर संदेश का इंतजार करना पड़ रहा है तो सारे कार्यालयों को बंद कर देना ही उचित होगा।”

न्यूज़ देखो: टूटी सड़क नहीं, टूटी उम्मीदें

इस घटना ने एक बार फिर यह स्पष्ट किया है कि झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों की बुनियादी समस्याएं राजनीतिक प्राथमिकताओं में नहीं आतीं। पुल टूटा है, लेकिन उससे अधिक जनविश्वास टूटा है
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

शिक्षा और सुरक्षा का अधिकार सबका है

हम सभी की जिम्मेदारी है कि बच्चों की शिक्षा और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दें। कृपया इस समाचार को साझा करें और संबंधित अधिकारियों तक आवाज पहुंचाएं। बदलाव आपकी सजगता से ही आएगा।

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