
#डुमरी #सड़कसमस्या : बारिश में कीचड़, गड्ढे और टूटा रास्ता — ग्रामीण बोले “अब आंदोलन होगा तय”
- लक्ष्मण टुंडा पंचायत में सड़कों की हालत बेहद खराब।
- प्रेमटांड़ से बरमसिया स्कूल तक मार्ग पर गहरे गड्ढे और फिसलन।
- बीमारों को खटिया पर ले जाने की मजबूरी, वाहन नहीं पहुंच पा रहे।
- ग्रामीणों ने गंगाधर महतो से किया गुहार, उच्च पदाधिकारियों तक आवाज उठाने का भरोसा।
- सड़क नहीं बनी तो ग्रामीणों ने उग्र आंदोलन की चेतावनी दी।
सड़क है या दलदल? बारिश में दुश्वारियां चरम पर
गिरिडीह के डुमरी प्रखंड स्थित लक्ष्मण टुंडा पंचायत के प्रेमटांड़ टोला की सड़कें किसी त्रासदी से कम नहीं। यहां से गुजरने वाले राहगीरों के लिए ये रास्ता सड़क नहीं बल्कि कीचड़ और गड्ढों का दलदल बन चुका है। बारिश में हालात और बिगड़ गए हैं।
जहां एक ओर बच्चों को स्कूल तक पहुंचना मुश्किल है, वहीं आपातकालीन स्थिति में मरीजों को खटिया पर उठाकर ले जाने की मजबूरी है क्योंकि इस रास्ते से वाहन गुजरना नामुमकिन हो चुका है।
पाइप मरम्मत के नाम पर बना गड्ढा, छोड़ दिया अधूरा
ग्रामीणों का कहना है कि सड़क पहले से ही जर्जर थी। हाल में पानी कनेक्शन की मरम्मत के लिए खोदे गए गड्ढे भी वैसे ही छोड़ दिए गए। नतीजा, सड़क का चेहरा पूरी तरह से बिगड़ गया है।
स्थानीय ग्रामीण बोले: “बारिश में सड़क की मिट्टी धंस गई है, हर जगह फिसलन है। कभी-कभी लगता है ये सड़क है या खेत का ऊबड़-खाबड़ टुकड़ा।”
गंगाधर महतो का आश्वासन और आंदोलन की धमकी
इस गंभीर समस्या को लेकर ग्रामीणों ने झारखंड एकता किसान मजदूर यूनियन के केंद्रीय अध्यक्ष गंगाधर महतो से मुलाकात की। महतो ने ग्रामीणों की परेशानी सुनी और कहा:
गंगाधर महतो, केंद्रीय अध्यक्ष: “मैं उच्च पदाधिकारियों से इस मार्ग के निर्माण की मांग करूंगा। यहां बच्चों और बीमारों को जिस तरह दिक्कत उठानी पड़ रही है, वह अस्वीकार्य है। अगर जल्द समाधान नहीं हुआ तो ग्रामीणों का आक्रोश उग्र आंदोलन में बदलेगा।”
मौके पर कौन-कौन थे?
बैठक में केंद्रीय उपाध्यक्ष भगतु रविदास उर्फ रवि कुमार, केंद्रीय महासचिव रवींद्र कुमार, प्रखंड सचिव घनश्याम सिंह, कुदुस अंसारी, माजदा खातून, जरीना खातून, किट्टी मियां, इकबाल अंसारी, मीना देवी, राजु साव, नसरुद्दीन अंसारी, बशीरुद्दीन अंसारी, किताबुन निशा, नसीमा खातून, असगर अंसारी सहित सैकड़ों ग्रामीण मौजूद रहे।

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प्रेमटांड़ से बरमसिया तक का ये रास्ता सिर्फ मिट्टी का ढेर नहीं, बल्कि सरकारी लापरवाही का जीता-जागता सबूत है। यह सवाल सिर्फ एक सड़क का नहीं, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और सम्मानजनक जीवन का है।
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