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स्कूल बसों पर चला परिवहन विभाग का डंडा, ‘ड्रिंक एंड ड्राइव’ और कागजात की कमी पर ₹24,650 का जुर्माना

#गुमला #सड़क_सुरक्षा : उपायुक्त के निर्देश पर परिवहन विभाग की सख्त कार्रवाई, स्कूल बसों की फिटनेस, इंश्योरेंस और नाबालिग चालकों पर चला प्रशासनिक डंडा।

गुमला जिले में सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से आज उपायुक्त श्रीमती प्रेरणा दीक्षित के सख्त निर्देश पर परिवहन विभाग द्वारा एक व्यापक जांच अभियान चलाया गया। यह अभियान जिले में संचालित स्कूल बसों और अन्य यात्री वाहनों पर केंद्रित था। अभियान का नेतृत्व जिला परिवहन पदाधिकारी (डीटीओ) ज्ञान शंकर जायसवाल ने किया, जबकि मोटर यान निरीक्षक प्रदीप तिर्की, प्रणय कांशी, त्रिभुवन नाथ निराला और अन्य अधिकारी जांच दल का हिस्सा रहे।

स्कूल बसों और अनधिकृत वाहनों पर विशेष फोकस

इस जांच अभियान के दौरान विभाग की टीम ने विभिन्न विद्यालयों में परिचालित बसों, मैक्सी कैब, टेम्पो और अन्य सार्वजनिक वाहनों की सघन जांच की। अभियान का मुख्य उद्देश्य था यह सुनिश्चित करना कि सभी वाहन सुरक्षा मानकों और कानूनी प्रावधानों का पालन कर रहे हों।

जांच के दौरान अधिकारियों ने विशेष रूप से निम्नलिखित पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया —
फिटनेस, इंश्योरेंस, टैक्स और परमिट, तथा फर्स्ट एड बॉक्स की उपलब्धता और वैधता।

ड्रिंक एंड ड्राइव पर जीरो टॉलरेंस

जांच में कई वाहनों में सुरक्षा उपकरणों की कमी और कागजातों की अनियमितता पाई गई। कुछ मामलों में ड्रिंक एंड ड्राइव जैसी गंभीर लापरवाही भी देखी गई। जिला परिवहन अधिकारी ने स्पष्ट किया कि सड़क सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा, और हर उल्लंघन पर तुरंत कार्रवाई की जाएगी।

डीटीओ ज्ञान शंकर जायसवाल ने कहा: “हमारा उद्देश्य किसी को दंडित करना नहीं, बल्कि सड़क पर सुरक्षा का अनुशासन स्थापित करना है। स्कूल वाहन बच्चों की सुरक्षा से जुड़ा विषय है, इसलिए कोई भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”

इन सभी कमियों और उल्लंघनों को देखते हुए परिवहन विभाग ने कुल ₹24,650 (चौबीस हजार छह सौ पचास रुपये) का जुर्माना वसूल किया।

नाबालिग चालकों पर सख्त निगरानी

अभियान के दौरान जिला परिवहन पदाधिकारी ने नाबालिगों द्वारा वाहन चलाने के मुद्दे पर सख्त रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि स्कूल प्रबंधन यह सुनिश्चित करें कि कोई भी छात्र बिना वैध लाइसेंस के वाहन संचालन न करे।

ज्ञान शंकर जायसवाल ने निर्देश दिया: “सभी स्कूलों को चेतावनी दी गई है कि वे ऐसे छात्रों के खिलाफ आंतरिक कार्रवाई करें जो वाहन चलाते हैं या नियमों की अवहेलना करते हैं। यह बच्चों और समाज दोनों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है।”

अभियान का उद्देश्य और भविष्य की योजना

डीटीओ ने बताया कि यह अभियान केवल एक दिन का नहीं होगा, बल्कि जिले में नियमित रूप से सड़क सुरक्षा निरीक्षण जारी रहेगा। उद्देश्य है “सुरक्षित यातायात संस्कृति” का निर्माण और हर नागरिक में यातायात अनुशासन के प्रति जागरूकता बढ़ाना।

अधिकारियों ने यह भी संकेत दिया कि अगले चरण में स्कूल बसों के चालकों के लिए अनिवार्य सुरक्षा प्रशिक्षण आयोजित किया जाएगा। साथ ही, बिना परमिट चलने वाले वाहनों और नशे में ड्राइविंग करने वालों पर अब और कड़ी निगरानी रखी जाएगी।

न्यूज़ देखो: सख्ती से ही बनेगी सड़क सुरक्षा संस्कृति

गुमला प्रशासन का यह कदम बताता है कि सड़क सुरक्षा केवल नियमों से नहीं, बल्कि उनकी सख्त अनुपालना से बनती है। उपायुक्त और परिवहन विभाग की यह संयुक्त कार्रवाई निश्चित रूप से जिले में सुरक्षित यातायात संस्कृति स्थापित करने की दिशा में एक मजबूत पहल है।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

जिम्मेदारी हमारी भी है

सड़क सुरक्षा केवल सरकार की नहीं, बल्कि हर नागरिक की जिम्मेदारी है। यदि माता-पिता, स्कूल और चालक वर्ग अपनी भूमिका ईमानदारी से निभाएं, तो हादसों की संभावना शून्य हो सकती है।
आइए, हम सब नियमों का पालन करें, नशा कर वाहन न चलाएं और नाबालिगों को सड़कों से दूर रखें।
अपनी राय कमेंट करें, खबर को दोस्तों के साथ शेयर करें और इस अभियान को जनजागरूकता में बदलें।

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