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लातेहार बम्बू रिट्रीट में पौधारोपण अभियान: शिक्षा और इको-टूरिज़्म के नए मॉडल की ओर

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#लातेहार #पर्यावरण : जनभागीदारी से होगा बम्बू रिट्रीट पार्क का रूपांतरण
  • बम्बू रिट्रीट में पौधारोपण अभियान चलाया गया।
  • अभियान को कुड़ुख भाषा में नाम “अबुवा तोड़ांग अबुवा आयो” दिया गया।
  • अब तक 6000 बांस और फलदार पौधे लगाए गए।
  • कस्तूरबा विद्यालय की छात्राओं ने पौधों की जिम्मेदारी ली।
  • उपनिदेशक ने इसे शिक्षा और इको-टूरिज्म का नया मॉडल बताया।

लातेहार। पलामू टाइगर रिज़र्व के जनभागीदारी कार्यक्रम के तहत बरवाडीह प्रखंड के अखरा गांव स्थित बम्बू रिट्रीट में विशेष पौधारोपण अभियान चलाया गया। इस अवसर पर कुटमू कस्तूरबा विद्यालय की छात्राओं ने वन विभाग के कर्मियों के साथ मिलकर बांस और फलदार वृक्षों का रोपण किया।

कुड़ुख भाषा से जुड़ी अनूठी पहल

इस अभियान को स्थानीय कुड़ुख भाषा में नाम दिया गया है – “अबुवा तोड़ांग अबुवा आयो” जिसका अर्थ है “हमारा जंगल, हमारी मां”। इस नाम ने पूरे कार्यक्रम को सांस्कृतिक और भावनात्मक पहचान दी।

बड़े स्तर पर पौधारोपण और जलाशय निर्माण

वन विभाग की जानकारी के अनुसार लगभग 15–20 हेक्टेयर क्षेत्र में रूपांतरण कार्य चल रहा है। अब तक 6000 बांस के पौधे लगाए जा चुके हैं। इसके साथ ही आम, जामुन, कटहल और आंवला जैसे फलदार वृक्ष भी लगाए गए हैं। केंद्र में एक जलाशय (वॉटर बॉडी) भी विकसित किया गया है, जिसे भविष्य में और विस्तारित किया जाएगा।

बच्चों को सौंपी गई जिम्मेदारी

इस विशेष अभियान की सबसे खास बात यह रही कि हर पौधे को विद्यालय की छात्राओं से टैग कर उसकी देखरेख की जिम्मेदारी दी गई है। इससे बच्चों में पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी और संवेदनशीलता विकसित होगी। यह स्थल भविष्य में खुले वातावरण में पढ़ाई और खेलकूद का केंद्र बनेगा।

डिप्टी डायरेक्टर का संदेश

इस अवसर पर पीटीआर उपनिदेशक प्रजेश कांत जेना ने कहा कि –

“यह पहल न केवल पर्यावरणीय संतुलन और मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने में सहायक होगी, बल्कि शिक्षा और इको-टूरिज्म के लिए भी एक नया मॉडल प्रस्तुत करेगी।”

कार्यक्रम में शशांक पांडेय, संतोष कुमार, गुलशन सुरीन, शिक्षक कृष्णा प्रसाद मुरारी के साथ विद्यालय की अनेक छात्राएं उपस्थित रहीं।

न्यूज़ देखो: जंगल से शिक्षा और पर्यटन तक की यात्रा

बम्बू रिट्रीट में चल रहा यह पौधारोपण अभियान सिर्फ हरियाली नहीं बढ़ा रहा बल्कि शिक्षा और इको-टूरिज़्म के नए अवसर भी खोल रहा है। आने वाले समय में यह क्षेत्र बच्चों के लिए प्रकृति संग पढ़ाई का मॉडल बनेगा और स्थानीय स्तर पर रोज़गार के नए साधन भी देगा।
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

हरियाली से ही भविष्य सुरक्षित

अब वक्त है कि हम सब भी अपने-अपने क्षेत्र में पौधारोपण कर उसकी देखभाल की जिम्मेदारी लें। यही कदम हमारे पर्यावरण, आने वाली पीढ़ियों और समाज के लिए सबसे बड़ा योगदान होगा। अपनी राय कॉमेंट करें और इस खबर को शेयर करें ताकि और लोग भी प्रेरित हों।

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