
#सिमडेगा #शिष्टाचार_भेंट : आदिवासी प्रतिनिधियों ने सरना-मसना व रैयती जमीन से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर मंत्री को किया अवगत
- कोचेडेगा पंचायत के मुखिया शिशिर टोप्पो, प्रदीप टोप्पो और दीपक लकड़ा ने मंत्री चमरा लिंडा से की मुलाकात।
- सरना, मसना, धूमकड़िया भवन, तथा रैयत जमीन के संरक्षण पर विस्तृत चर्चा हुई।
- प्रतिनिधियों ने सांस्कृतिक पहचान और सामुदायिक अधिकारों की सुरक्षा की आवश्यकता बताई।
- मंत्री ने मुद्दों को गंभीरता से सुनकर कार्रवाई का आश्वासन दिया।
- सरकार द्वारा आदिवासी परंपराओं और संसाधनों के संरक्षण की प्रतिबद्धता दोहराई गई।
सिमडेगा में आज आदिवासी समुदाय के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर एक सार्थक पहल देखने को मिली, जब कोचेडेगा पंचायत के मुखिया शिशिर टोप्पो, आदिवासी संयुक्त मोर्चा सिमडेगा के जिला सचिव प्रदीप टोप्पो और समाजसेवी दीपक लकड़ा ने झारखंड सरकार के माननीय कल्याण मंत्री चमरा लिंडा से शिष्टाचार मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल ने इस मुलाकात में सरना, मसना, धूमकड़िया भवन, पहनाई जमीन तथा रैयत जमीन जैसे सामुदायिक और पारंपरिक स्थलों से जुड़े मुद्दों को विस्तार से रखा। मुलाकात का उद्देश्य इन स्थलों की सुरक्षा, संवर्धन और भविष्य के लिए विधिक संरक्षण सुनिश्चित कराना था।
पारंपरिक स्थलों और संसाधनों की सुरक्षा पर विस्तृत चर्चा
प्रतिनिधियों ने मंत्री के समक्ष बताया कि सरना और मसना जैसे धार्मिक स्थलों के साथ-साथ धूमकड़िया भवन और रैयत जमीन आदिवासी समाज की सांस्कृतिक पहचान का मूल आधार हैं। इन स्थलों की सुरक्षा और विधिक मजबूती अत्यंत आवश्यक है, ताकि आने वाली पीढ़ियों तक इनका संरक्षण सुरक्षित रह सके। उन्होंने यह भी कहा कि बदलते समय में सामुदायिक संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है, ऐसे में सरकार की सक्रिय भूमिका बेहद जरूरी हो जाती है।
मंत्री ने जताई गंभीरता, कार्रवाई का भरोसा
प्रतिनिधियों की बात सुनने के बाद माननीय कल्याण मंत्री चमरा लिंडा ने सभी उठाए गए मुद्दों को गंभीरता से लेते हुए संबंधित विभागों को उचित कदम उठाने का आश्वासन दिया।
चमरा लिंडा ने कहा: “सरकार आदिवासी समाज की पहचान और परंपराओं के संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। आवश्यक सभी कदम उठाए जाएंगे।”
मंत्री ने स्पष्ट किया कि सरकार पारंपरिक स्थलों के महत्व को समझती है और इनके संरक्षण के लिए योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
प्रतिनिधियों ने जताया आभार
मुलाकात के अंत में आदिवासी संयुक्त मोर्चा के पदाधिकारियों ने मंत्री को समय देने और सकारात्मक पहल का भरोसा दिलाने के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि यदि सरकार इन स्थलों को मजबूत संरक्षण प्रदान करती है, तो इससे समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर सुरक्षित रहेगी और सामाजिक एकजुटता भी बढ़ेगी।
न्यूज़ देखो: आदिवासी संस्कृति को मिली सरकारी प्राथमिकता
यह मुलाकात बताती है कि आदिवासी समाज की परंपराएं केवल धरोहर नहीं, बल्कि समुदाय की मूल पहचान हैं, जिनके संरक्षण के लिए सरकारी हस्तक्षेप अत्यंत आवश्यक है। मंत्री द्वारा दिए आश्वासन से यह उम्मीद बढ़ती है कि सामुदायिक संसाधनों को ठोस सुरक्षा मिलेगी और पारंपरिक संस्थाओं को मजबूती मिलेगी। ऐसे संवाद सरकार और समाज के बीच विश्वास बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
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सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा, सामुदायिक शक्ति की पहचान
आदिवासी समाज की परंपराएं हमारी साझा विरासत हैं। इनका संरक्षण न केवल एक समुदाय की पहचान को बचाता है, बल्कि समाज को एकजुट करने की ताकत भी प्रदान करता है। हमें भी अपने स्तर पर इन धरोहरों का सम्मान और सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए।
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