Site icon News देखो

विश्व आदिवासी दिवस पर बरवाडीह में श्रद्धांजलि और संकल्प मार्च, जल-जंगल-जमीन की रक्षा का आह्वान

#बरवाडीह #विश्वआदिवासीदिवस : संघर्ष के नायकों को नमन, कारपोरेट लूट के खिलाफ एकजुटता का संकल्प

बरवाडीह में शनिवार को आदिवासी संघर्ष मोर्चा के बैनर तले विश्व आदिवासी दिवस समारोह सह संकल्प मार्च का आयोजन हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता फ्रांसिस गुड़िया और संचालन राज्य कमिटी सदस्य राजेंद्र सिंह ने किया। इसकी शुरुआत दो मिनट मौन रखकर विश्व के तमाम आदिवासी जननायकों और संघर्ष के नायकों को श्रद्धांजलि अर्पित करने से हुई। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में माले जिला सचिव कॉमरेड बिरजू राम उपस्थित रहे।

संकल्प मार्च में गूंजे आंदोलनकारी नारे

कार्यक्रम से पूर्व बरवाडीह सामुदायिक भवन से संकल्प मार्च निकाला गया। इस दौरान “विश्व आदिवासी दिवस जिंदाबाद”, “विश्व के आदिवासी जननायक अमर रहें”, “जल जंगल जमीन पर हमला बंद करो”, “आदिवासियों पर दमन करना बंद करो”, “संविधान पर हमला करना बंद करो” और “कारपोरेट लूट बंद करो” जैसे नारे बुलंद किए गए। मार्च नगर के मुख्य मार्गों से गुजरते हुए अंबेडकर चौक पहुंचा, जहां यह सभा में तब्दील हो गया।

जल-जंगल-जमीन पर बढ़ते खतरे का मुद्दा

सभा को संबोधित करते हुए कॉमरेड बिरजू राम ने कहा कि आज विश्व भर में आदिवासी अपने संघर्षशील नायकों और पुरखों को याद कर रहे हैं। विशेषकर भारत में जल-जंगल-जमीन पर हमले तेज हो गए हैं। केंद्र की मोदी सरकार कारपोरेट हितों के लिए आदिवासियों पर दमन बढ़ा रही है, जिसका उदाहरण छत्तीसगढ़ और मणिपुर की घटनाएं हैं। उन्होंने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस मनाने का अर्थ है अपनी जमीन, संस्कृति और पहचान को बचाना और कारपोरेट लूट के खिलाफ संघर्ष को तेज करना।

लोकतंत्र और संविधान बचाने का संकल्प

कॉमरेड बिरजू राम ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार लोकतंत्र और संविधान को कमजोर करने की दिशा में काम कर रही है। उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है कि हम अपने पूर्वजों के रास्ते पर चलकर संघर्ष को और तेज करें। सभा में वक्ताओं ने आदिवासी समाज की एकजुटता और आंदोलन की निरंतरता पर जोर दिया।

बड़ी संख्या में नेताओं की भागीदारी

संकल्प सभा में विशुनदेव सिंह, विरसा मुंडा, सुरेश उरांव, अरविंद उरांव, कृष्णा सिंह, सूरजदेव सिंह, नागेश्वर सिंह, सरिमन सिंह, सुदामा राम, कमलेश सिंह, संत्री तोपनो, कोमल कंडुलना, दुलार सिंह सहित दर्जनों आदिवासी नेता मौजूद थे। सभी ने अपने-अपने विचार रखे और समाज के अधिकारों के लिए संघर्ष जारी रखने का संकल्प दोहराया।

न्यूज़ देखो: आदिवासी एकता और संघर्ष का सशक्त संदेश

बरवाडीह का यह आयोजन केवल श्रद्धांजलि भर नहीं था, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए संघर्ष और एकजुटता का संदेश था। जल-जंगल-जमीन की रक्षा और संविधान बचाने का यह संकल्प आदिवासी समाज के राजनीतिक और सामाजिक भविष्य की दिशा तय करेगा। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अपनी पहचान और हक की रक्षा के लिए एकजुट हों

समाज की ताकत उसकी एकजुटता में है। जब हम अपनी संस्कृति, अधिकार और अस्तित्व की रक्षा के लिए साथ खड़े होते हैं, तो कोई भी ताकत हमें कमजोर नहीं कर सकती। आइए, इस संदेश को फैलाएं, अपने विचार साझा करें और अपने साथियों को भी इस मुहिम से जोड़ें।

Exit mobile version