
#सिमडेगा #पुण्यतिथि : समाजसेवी महेश्वर राम बेसरा की स्मृति में शिक्षा, पर्यावरण और समाज सेवा का संदेश।
सिमडेगा जिले के पाकरडांड प्रखंड अंतर्गत बागडांड ग्राम में वरिष्ठ समाजसेवी स्वर्गीय महेश्वर राम बेसरा की पुण्यतिथि श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई गई। कार्यक्रम में समाज के लोगों ने उनके शिक्षा, समाज सेवा और पर्यावरण संरक्षण के योगदान को याद किया। इस अवसर पर वृक्षारोपण कर सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण का संकल्प लिया गया। आयोजन ने गोंड समाज को उनके आदर्शों पर चलने की प्रेरणा दी।
- स्वर्गीय महेश्वर राम बेसरा की पुण्यतिथि बागडांड ग्राम में श्रद्धा से मनाई गई।
- शिक्षा, समाज सेवा और पर्यावरण संरक्षण पर उनके योगदान को किया गया स्मरण।
- श्रद्धानंद बेसरा ने उनके जीवन को समाज के लिए प्रेरणास्रोत बताया।
- पुण्यतिथि पर वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
- गोंड समाज ने एक लाख वृक्ष लगाने का संकल्प लिया।
सिमडेगा जिले के पाकरडांड प्रखंड अंतर्गत सिकरियाडांड पंचायत के बागडांड ग्राम में स्वर्गीय महेश्वर राम बेसरा समिति के तत्वावधान में वरिष्ठ समाजसेवी एवं शिक्षाविद स्वर्गीय महेश्वर राम बेसरा की पुण्यतिथि श्रद्धा और सम्मान के साथ मनाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत उनकी तस्वीर पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित कर भावभीनी श्रद्धांजलि से हुई। बड़ी संख्या में समाज के लोगों की उपस्थिति ने यह साबित किया कि स्वर्गीय बेसरा आज भी अपने विचारों और कार्यों के माध्यम से समाज में जीवित हैं।
शिक्षा और समाज सेवा को समर्पित रहा जीवन
कार्यक्रम में आमंत्रित पूर्व भाजपा प्रत्याशी एवं समाजसेवी श्रद्धानंद बेसरा ने गोंड समाज के बंधुओं के साथ पुष्प अर्पित कर स्वर्गीय महेश्वर राम बेसरा के योगदान को याद किया। उन्होंने कहा कि स्वर्गीय बेसरा केवल एक शिक्षाविद नहीं थे, बल्कि समाज के लिए एक मार्गदर्शक और प्रेरणास्रोत थे।
श्रद्धानंद बेसरा ने कहा: “स्वर्गीय महेश्वर राम बेसरा ने अपना पूरा जीवन शिक्षा और समाज सेवा को समर्पित कर दिया। उनके कार्य आज भी हमें समाज के उत्थान के लिए प्रेरित करते हैं।”
उन्होंने बताया कि स्वर्गीय बेसरा ने गोंड समाज में शिक्षा के क्षेत्र में नए मानक स्थापित किए और दो बार दक्षिण छोटानागपुर गोंड महासभा के अध्यक्ष रहते हुए समाज को संगठित दिशा प्रदान की।
भूमि दान से शिक्षा और खेल को बढ़ावा
श्रद्धानंद बेसरा ने अपने संबोधन में बताया कि बागडांड ग्राम में विद्यालय और खेल मैदान के लिए भूमि दान करना स्वर्गीय महेश्वर राम बेसरा के शिक्षा और समाज के प्रति समर्पण का जीवंत उदाहरण है। उन्होंने कहा कि बच्चों और युवाओं को शिक्षा व खेल का अवसर देना उनके जीवन का मुख्य उद्देश्य था।
उन्होंने समाज के लोगों से आह्वान किया कि स्वर्गीय बेसरा की सच्ची श्रद्धांजलि तभी होगी जब हम उनके दिखाए मार्ग पर चलकर शिक्षा, एकता और सेवा को आगे बढ़ाएं।
पर्यावरण संरक्षण के साथ आर्थिक सशक्तिकरण का संदेश
पुण्यतिथि के अवसर पर पर्यावरण संरक्षण एवं आर्थिक सशक्तिकरण को ध्यान में रखते हुए वृक्षारोपण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। लोगों को अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया गया, ताकि आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित और संतुलित पर्यावरण सुनिश्चित किया जा सके।
इस अवसर पर गोंड अनुसूचित जनजाति उत्थान परिषद, सिमडेगा जिला के जिला अध्यक्ष बरजु मांझी ने स्वर्गीय बेसरा को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उनके आदर्शों को आत्मसात करते हुए पूरे जिले में एक लाख वृक्ष लगाने का लक्ष्य तय किया गया है।
बरजु मांझी ने कहा: “स्वर्गीय महेश्वर राम बेसरा के विचार हमें प्रकृति और समाज दोनों की रक्षा का संदेश देते हैं। एक लाख वृक्ष लगाने का संकल्प उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि है।”
समाजसेवी के रूप में अमिट पहचान
वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता एवं सेवानिवृत्त शिक्षक मेघु मांझी ने स्वर्गीय महेश्वर राम बेसरा को एक महान समाजसेवी बताते हुए कहा कि उन्होंने गोंड समाज को संगठित करने और शिक्षा के प्रति जागरूक करने में अतुलनीय योगदान दिया। उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि युवा पीढ़ी उनके विचारों को अपनाकर समाज में सकारात्मक बदलाव लाए।
कार्यक्रम में उपस्थित अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी स्वर्गीय बेसरा को श्रद्धांजलि अर्पित की और उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया।
बड़ी संख्या में समाज के लोग रहे उपस्थित
इस अवसर पर मोहन प्रधान, मेघु मांझी, छूनू मांझी, फुलचंद प्रधान, मधुसूदन मांझी, सीताराम मांझी, रविंद्र बेसरा, योगेंद्र बेसरा, जलधार मांझी, रघुनाथ बेसरा, राजेश बेसरा, विश्वनाथ बेसरा, मक्खन बेसरा, महेंद्र बेसरा सहित बड़ी संख्या में महिला-पुरुष उपस्थित थे। सभी ने एक स्वर में समाज, शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण के लिए मिलकर कार्य करने का संकल्प लिया।

न्यूज़ देखो: स्मृति से संकल्प तक का संदेश
स्वर्गीय महेश्वर राम बेसरा की पुण्यतिथि केवल एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम नहीं, बल्कि समाज को नई दिशा देने का अवसर बनकर सामने आई। शिक्षा, समाज सेवा और पर्यावरण संरक्षण को एक साथ जोड़ने का यह प्रयास अनुकरणीय है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि घोषित संकल्प जमीन पर कैसे उतरते हैं। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
उनके विचारों को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी हमारी
महापुरुषों की स्मृति तभी सार्थक होती है जब उनके आदर्श हमारे व्यवहार में दिखें। शिक्षा को बढ़ावा देना, समाज में एकता बनाए रखना और पर्यावरण की रक्षा करना आज की सबसे बड़ी जरूरत है। अपनी राय कमेंट में साझा करें, इस खबर को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं और समाज निर्माण की इस प्रेरणा को आगे बढ़ाएं।




