Giridih

हूल दिवस पर वीर सिद्धो-कान्हू को दी गई श्रद्धांजलि

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#गिरिडीह #हूलदिवसस्मरण : सिदो-कान्हू की वीरता को किया गया नमन — मंत्री सुदिव्य कुमार, मुख्य सचिव और प्रशासनिक अधिकारियों ने संयुक्त रूप से दी श्रद्धांजलि
  • संताल विद्रोह के नायकों को हूल दिवस पर किया गया याद
  • गिरिडीह में आयोजित कार्यक्रम में जुटे मंत्री, मुख्य सचिव, डीसी और एसपी
  • सामूहिक रूप से सिद्धो-कान्हू की प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित
  • अधिकारियों ने वीरगाथा से प्रेरणा लेने का आह्वान किया

वीर सपूतों को किया गया नमन

गिरिडीह जिले में हूल दिवस के अवसर पर संथाल विद्रोह के महान सेनानियों सिद्धो-कान्हू को श्रद्धा पूर्वक याद किया गया।
इस मौके पर राज्य के माननीय मंत्री सुदिव्य कुमार, मुख्य सचिव झारखंड, गिरिडीह उपायुक्त, पुलिस अधीक्षक, और अन्य वरिष्ठ प्रशासनिक पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

संथाल विद्रोह की वीरगाथा को मिली पहचान

हूल दिवस का आयोजन संथाल विद्रोह की गौरवगाथा को याद करने और नई पीढ़ी को प्रेरित करने के उद्देश्य से किया गया।
सिदो और कान्हू मुर्मू ने 1855 में ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ ऐतिहासिक विद्रोह का नेतृत्व किया था, जिसे संथाल विद्रोह के नाम से जाना जाता है।
यह विद्रोह जनजातीय अस्मिता और स्वाभिमान की मिसाल बन चुका है।

अधिकारियों ने साझा की प्रेरक बातें

इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि:

मंत्री सुदिव्य कुमार ने कहा: “सिदो-कान्हू जैसे योद्धाओं का बलिदान हमें अन्याय और अत्याचार के खिलाफ खड़े होने की प्रेरणा देता है।”

मुख्य सचिव ने कहा: “हमें उनके सपनों के अनुरूप समाज और शासन व्यवस्था को समावेशी बनाना होगा।”

कार्यक्रम में रही सादगी और श्रद्धा

सरल लेकिन प्रभावशाली इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम में भावनात्मक माहौल देखने को मिला।
प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर, दो मिनट का मौन रखकर, और संथाली लोकगीतों के माध्यम से सिदो-कान्हू को नमन किया गया।

न्यूज़ देखो: आदिवासी स्वाभिमान की अमर कहानी

सिदो-कान्हू केवल इतिहास के नाम नहीं, आज के समाज की चेतना हैं।
उनकी गाथा हमें बताती है कि अत्याचार के खिलाफ संगठित संघर्ष ही बदलाव की राह खोलता है।
न्यूज़ देखो ऐसे ऐतिहासिक अवसरों पर नायकत्व और बलिदान को उजागर करता रहेगा —
हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

जानिए और बताइए — यह है असली प्रेरणा

हूल दिवस हमें याद दिलाता है कि हमारी जड़ें कितनी मजबूत हैं।
संथाल वीरों की गाथा हर भारतीय के दिल में होनी चाहिए।
आप भी इस खबर को पढ़ें, विचार करें, और इसे साझा करें ताकि आदिवासी नायकों की गाथा हर कोने तक पहुंचे।

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Surendra Verma

डुमरी, गिरिडीह

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