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झारखंड आंदोलन के पुरोधा रघुनाथ तिवारी की पुण्यतिथि पर श्रद्धासुमन अर्पित

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#बगोदर #श्रद्धांजलि_सभा : झारखंड आंदोलनकारी रघुनाथ तिवारी को नेताओं और जनप्रतिनिधियों ने दी भावभीनी श्रद्धांजलि
  • झारखंड आंदोलन के अग्रणी नेता रघुनाथ तिवारी की 9वीं पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि सभा।
  • बगोदर में विधायक नागेन्द्र महतो और प्रमुख आशा राज समेत कई गणमान्य लोग हुए शामिल।
  • प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया गया सम्मान, सामाजिक संघर्षों को किया याद।
  • जन अधिकारों के लिए आजीवन संघर्षरत रहे रघुनाथ तिवारी।
  • हर वर्ष स्थानीय स्तर पर आयोजित होती है श्रद्धांजलि सभा।

आंदोलनकारी के संघर्षों को किया गया याद

बगोदर में झारखंड आंदोलन के सेनानी रघुनाथ तिवारी की 9वीं पुण्यतिथि पर एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विधायक नागेन्द्र महतो, प्रमुख आशा राज, जिला परिषद सदस्य दुर्गेश राणा सहित कई सामाजिक कार्यकर्ता, बुद्धिजीवी और ग्रामीण उपस्थित हुए। सभी ने तिवारी जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की

विधायक नागेन्द्र महतो ने कहा: “रघुनाथ तिवारी जैसे लोगों के बलिदान और संघर्ष की वजह से ही आज झारखंड एक अलग राज्य बन सका है। उनका जीवन प्रेरणा है।”

जन मुद्दों के संघर्ष का प्रतीक थे रघुनाथ तिवारी

रघुनाथ तिवारी न केवल झारखंड राज्य आंदोलन के एक प्रखर सेनानी थे, बल्कि वे एक जनपक्षधर समाजसेवी भी थे। उन्होंने आदिवासी अधिकार, भूमि संघर्ष, विस्थापन विरोध, शिक्षा और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को लेकर निरंतर आवाज़ बुलंद की। उनका जीवन झारखंड की राजनीतिक चेतना और सामाजिक न्याय की लड़ाई का परिचायक रहा।

प्रमुख आशा राज ने कहा: “वे उन लोगों में से थे, जिन्होंने कभी पद या प्रतिष्ठा के लिए नहीं, बल्कि जनहित के लिए संघर्ष किया।”

स्मृति को जीवंत रखने की सामूहिक कोशिश

तिवारी जी की याद में हर वर्ष इस दिन श्रद्धांजलि सभा का आयोजन होता है, जिससे नई पीढ़ी को संघर्ष की विरासत से जोड़ने की कोशिश की जाती है। सभा के दौरान कई वक्ताओं ने कहा कि ऐसे योद्धाओं की स्मृति को बनाए रखना आंदोलन की आत्मा को जीवित रखना है

जिप सदस्य दुर्गेश राणा ने कहा: “हम सबको चाहिए कि तिवारी जी के विचारों और संघर्षों को गांव-गांव तक पहुंचाएं। यही सच्ची श्रद्धांजलि होगी।”

न्यूज़ देखो: झारखंड की आत्मा को सलाम

रघुनाथ तिवारी जैसे व्यक्तित्व झारखंड की संघर्षशील आत्मा के प्रतीक हैं। उनका जीवन निस्वार्थ जनसेवा और जमीनी हक की लड़ाई का प्रमाण है। जब तक हम ऐसे नेताओं की विरासत को जीवित रखते हैं, तब तक झारखंड की पहचान मजबूत रहेगी। ऐसे आयोजनों के ज़रिए नई पीढ़ी को यह सिखाना ज़रूरी है कि अधिकार सिर्फ मांगे नहीं, संघर्ष से हासिल किए जाते हैं।

हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।

अपने इतिहास को जानिए, प्रेरणा लीजिए

संघर्षों की नींव पर बने इस राज्य की जिम्मेदारी आज हम सभी पर है। आइए, रघुनाथ तिवारी जैसे सेनानियों की स्मृति को सहेजें, उनके विचारों को आगे बढ़ाएं और समाज में सक्रिय भागीदारी निभाएं।

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