#लातेहार #विस्थापन_मुद्दा : चंदवा में भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव से मिले रैयत, विस्थापन नीति पर जताई नाराजगी
- टीवीएनएल की रजवार कोल ब्लॉक परियोजना से तीन गांवों के ग्रामीण विस्थापित होंगे।
- ग्रामीणों ने भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव से मिलकर अपनी समस्याएं रखीं।
- ग्रामीण बोले — अब तक जमीन मुआवजे और पुनर्वास नीति की कोई स्पष्ट जानकारी नहीं।
- प्रतुल शाहदेव ने कहा — कंपनी तुरंत अपनी विस्थापन नीति स्पष्ट करे।
- सर्वे में त्रुटियों और अनियमितताओं पर भी उठाया सवाल।
- प्रतुल जल्द ही गांव का दौरा कर वृहद बैठक करने की घोषणा करेंगे।
लातेहार जिले के चंदवा प्रखंड में गुरुवार को रजवार कोल ब्लॉक परियोजना से जुड़े विस्थापन को लेकर ग्रामीणों ने अपनी नाराजगी जाहिर की। ग्रामीणों ने भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव से मुलाकात कर शिकायत की कि कंपनी टीवीएनएल (तेनुघाट विद्युत निगम लिमिटेड) उन्हें अंधेरे में रखकर काम कर रही है। कंपनी के अधिकारी लगातार एनओसी से जुड़ी बैठकें कर रहे हैं, लेकिन ग्रामीणों को अब तक यह नहीं बताया गया है कि उनकी जमीन के बदले उन्हें क्या मुआवजा मिलेगा।
विस्थापन की स्थिति और ग्रामीणों की चिंता
ग्रामीणों ने बताया कि रजवार कोल ब्लॉक परियोजना के अंतर्गत चंदवा प्रखंड के तीन गांव — जिनमें रेंची गांव भी शामिल है — प्रभावित होंगे। ग्रामीणों का कहना है कि वे अपने पुश्तैनी घर और जमीन छोड़ने को मजबूर हैं, लेकिन अब तक पुनर्वास, रोजगार और मुआवजे की नीति स्पष्ट नहीं की गई है। कई बार अधिकारियों से बातचीत के बाद भी उन्हें ठोस जवाब नहीं मिला।
प्रतुल शाहदेव ने जताई कड़ी नाराजगी
भाजपा प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने ग्रामीणों से मुलाकात के बाद कहा कि कंपनी का यह रवैया असंगत और असंवेदनशील है। उन्होंने कहा कि किसी भी परियोजना में स्थानीय रैयतों को विश्वास में लिए बिना काम नहीं किया जा सकता।
प्रतुल शाहदेव ने कहा: “कंपनी को अपनी विस्थापन नीति तुरंत सार्वजनिक करनी चाहिए। एक भी रैयत के साथ अन्याय नहीं होने दिया जाएगा।”
उन्होंने आगे कहा कि हाल ही में जिले में हुए सर्वे में कई गंभीर त्रुटियां सामने आई हैं — ऑफलाइन रसीद में जिस व्यक्ति के नाम पर जमीन दर्ज है, ऑनलाइन रिकॉर्ड में वह किसी और के नाम पर दिख रही है। कई भूमि अनाबाद बिहार सरकार के नाम पर दर्ज कर दी गई हैं, जबकि वे वास्तविक रूप से निजी हैं।
प्रशासनिक दखल की मांग
ग्रामीणों ने श्री शाहदेव से आग्रह किया कि वे इस पूरे मामले में जिला प्रशासन से समन्वय कर रैयतों को न्याय दिलाने की दिशा में पहल करें। उनका कहना था कि यदि समय रहते नीति स्पष्ट नहीं की गई तो वे विरोध आंदोलन करने को बाध्य होंगे।
प्रतुल शाहदेव ने ग्रामीणों को आश्वासन दिया कि वह जल्द ही गांव का दौरा करेंगे और कंपनी तथा प्रशासनिक अधिकारियों के साथ वृहद बैठक कर पूरे मामले की समीक्षा करेंगे।
स्थानीय लोगों में असंतोष बढ़ा
ग्रामीणों के बीच यह मुद्दा अब चर्चा का विषय बन गया है। लोगों का कहना है कि यदि कंपनी ने पारदर्शिता नहीं दिखाई, तो आने वाले दिनों में आंदोलन की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। चंदवा प्रखंड में पहले से चल रही खनन परियोजनाओं को लेकर भी कई बार विस्थापन और मुआवजे के सवाल उठ चुके हैं।
न्यूज़ देखो: विस्थापन नीति में पारदर्शिता जरूरी
यह मामला एक बार फिर यह दिखाता है कि विकास परियोजनाओं में स्थानीय हितों की अनदेखी गंभीर परिणाम ला सकती है। प्रशासन और कंपनी दोनों को चाहिए कि वे रैयतों के साथ संवाद स्थापित कर स्पष्ट नीति बनाएं। किसी भी परियोजना की सफलता जनता के विश्वास पर ही निर्भर करती है।
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जनता की आवाज को नजरअंदाज न करें
विकास तभी सार्थक है जब उसमें स्थानीय समुदाय की भागीदारी हो। रैयतों की समस्याओं को प्राथमिकता दें और पारदर्शिता बनाए रखें। अपनी राय कमेंट करें, खबर को शेयर करें और जागरूकता बढ़ाने में योगदान दें।