#पलामू #नक्सल_मुठभेड़ : एंटी नक्सल ऑपरेशन के दौरान मनातू के केदल जंगलों में टीएसपीसी नक्सलियों से हुई भिड़ंत
- मनातू जंगल में पुलिस और नक्सलियों के बीच देर रात मुठभेड़।
- दो जवान सुनील राम और संतन मेहता शहीद, दोनों हैदरनगर क्षेत्र के निवासी।
- टीएसपीसी नक्सलियों पर कार्रवाई के दौरान मुठभेड़ हुई।
- इलाके में सर्च अभियान तेज, कई नक्सलियों के घायल होने की आशंका।
- डीआईजी नौशाद आलम और एसपी रीष्मा रमेशन ने अभियान की जानकारी दी।
पलामू जिले के मनातू थाना क्षेत्र अंतर्गत केदल जंगल में मंगलवार देर रात पुलिस और टीएसपीसी नक्सलियों के बीच हुई मुठभेड़ में दो पुलिस जवान शहीद हो गए। शहीद जवानों की पहचान सुनील राम और संतन मेहता के रूप में हुई है। दोनों ही शहीद जवान हैदरनगर थाना क्षेत्र के रहने वाले थे। सुनील राम ग्राम परता के और संतन मेहता ग्राम बरेवा के निवासी थे। उनकी शहादत ने पूरे जिले को गमगीन कर दिया है।
मुठभेड़ और सर्च अभियान की स्थिति
सूत्रों के अनुसार शशिकांत गंझू गिरोह के खिलाफ चलाए गए एंटी नक्सल अभियान के दौरान यह मुठभेड़ हुई। गोलीबारी देर रात तक चली, जिसमें पुलिस बल ने मोर्चा संभालते हुए इलाके को सील कर दिया। केदल इलाका पलामू और चतरा की सीमा से सटा है और घने जंगलों से घिरा हुआ है। पुलिस ने आशंका जताई है कि इस मुठभेड़ में कुछ नक्सली भी घायल हुए हैं।
रीष्मा रमेशन, पलामू एसपी ने कहा:
“मुठभेड़ में दो जवान शहीद हुए हैं। पूरे इलाके में सर्च अभियान चलाया जा रहा है। पुलिस हर गतिविधि पर पैनी नजर बनाए हुए है।”
नक्सली गतिविधियों का अतीत और हालिया घटनाएं
पलामू इलाके में नक्सली गतिविधियों का लंबा इतिहास रहा है। वर्ष 2016 में कालापहाड़ में हुए लैंड माइंस विस्फोट में सात पुलिस जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद 2018 और 2022 में कई मुठभेड़ों में नक्सली कमांडर ढेर किए गए। हाल ही में एरिया कमांडर तुलसी भुइयां को भी पुलिस ने एक मुठभेड़ में मार गिराया था।
डीआईजी नौशाद आलम ने जानकारी दी:
“टीएसपीसी के खिलाफ बड़े पैमाने पर सर्च अभियान चलाया जा रहा है। बड़ी संख्या में जवानों की तैनाती की गई है।”
शशिकांत गंझू गिरोह पर शिकंजा
इस मुठभेड़ का मुख्य लक्ष्य टीएसपीसी के जोनल कमांडर शशिकांत गंझू और उसके दस्ते पर था। शशिकांत पर 10 लाख का इनाम घोषित है। उसके दस्ते में मुखदेव यादव और नगीना जैसे इनामी नक्सली भी शामिल हैं। गिरोह के पास एके-47 और एके-56 जैसे अत्याधुनिक हथियार मौजूद हैं। मनातू और केदल इलाके में अफीम की खेती और नक्सली गतिविधियों के कारण यह इलाका अतिसंवेदनशील माना जाता है।
न्यूज़ देखो: शहादत से झुके नहीं कदम नक्सलवाद पर निर्णायक चोट की जरूरत
पलामू के जंगलों में हुई इस मुठभेड़ ने फिर साबित किया है कि नक्सली संगठनों के खिलाफ जंग अभी बाकी है। दो वीर जवानों की शहादत इस बात का प्रमाण है कि देश की सुरक्षा के लिए पुलिस बल हर समय बलिदान को तैयार है। अब वक्त है कि समाज और सरकार मिलकर नक्सलवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई छेड़ें।
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शहीदों की कुर्बानी व्यर्थ न जाए
वीर जवानों का बलिदान देश की आत्मा में अमर हो जाता है। हमें न केवल उनकी शहादत को याद रखना होगा, बल्कि नक्सलवाद जैसे खतरे को समाप्त करने की दिशा में संगठित होकर कार्य करना होगा। आइए, शहीद सुनील राम और संतन मेहता की याद में संकल्प लें कि हम हिंसा के खिलाफ और शांति व विकास के पक्ष में खड़े रहेंगे। अपनी श्रद्धांजलि कॉमेंट करें और इस खबर को अधिक से अधिक साझा करें।