
#चैनपुर #किसान_अग्निकांड : बिंदोरा गांव में खलिहान में आग लगने से करीब 200 बोरा धान जला—पीड़ितों को न सहायता, न मौके पर पहुंचे अधिकारी
- चैनपुर प्रखंड के बिंदोरा गांव में भीषण अग्निकांड।
- दो गरीब किसानों की करीब 200 बोरा धान की फसल जलकर राख।
- पीड़ित दालो तिर्की और बिरसु तिग्गा की आजीविका पर संकट।
- सूचना के बावजूद प्रशासन और जनप्रतिनिधि मौके पर नहीं पहुंचे।
- ग्रामीणों ने तत्काल मुआवजा और जांच की मांग की।
चैनपुर प्रखंड अंतर्गत बिंदोरा ग्राम में सोमवार को हुए एक दर्दनाक अग्निकांड ने ग्रामीणों को झकझोर कर रख दिया। गांव के खलिहान में अचानक लगी आग से दो गरीब किसानों की कटी हुई धान की फसल पूरी तरह जलकर राख हो गई। इस आग में लाखों रुपये मूल्य का करीब 200 बोरा धान नष्ट हो गया, जिससे पीड़ित परिवारों के सामने भरण-पोषण का गंभीर संकट खड़ा हो गया है।
घटना ने प्रशासनिक उदासीनता को भी उजागर कर दिया है, क्योंकि सूचना दिए जाने के बावजूद न तो कोई अधिकारी और न ही कोई जनप्रतिनिधि पीड़ितों का हाल जानने मौके पर पहुंचा।
खेत के पास खुले खलिहान में रखी थी फसल
जानकारी के अनुसार यह घटना चैनपुर प्रखंड के बिंदोरा ग्राम की है। पीड़ित किसान दालो तिर्की पति स्वर्गीय सिकिल तिर्की एवं बिरसु तिग्गा की कटी हुई धान की फसल खेत के बगल में खुले चटाननुमा खलिहान में रखी गई थी। सोमवार को अचानक आग लग गई, जिसने देखते ही देखते पूरे खलिहान को अपनी चपेट में ले लिया।
ग्रामीणों ने आग बुझाने का भरसक प्रयास किया, लेकिन तब तक पूरी फसल जलकर राख हो चुकी थी। आग लगने के कारणों का अब तक स्पष्ट पता नहीं चल पाया है।
विधवा महिला की आजीविका का एकमात्र सहारा था धान
ग्रामीण प्रफुल्ल उरांव ने बताया कि पीड़िता दालो तिर्की अपने पति के निधन के बाद धान की खेती के सहारे ही अपने परिवार का जीवन-यापन कर रही थीं। तीन महीने की कड़ी मेहनत, समय और लागत लगाकर तैयार की गई फसल ही उनके लिए पूरे वर्ष की आजीविका का साधन थी।
उन्होंने कहा कि धान जल जाने से दालो तिर्की को ऐसा नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई उनके लिए अपने दम पर कर पाना असंभव है।
ग्रामीणों ने जताया गहरा आक्रोश
ग्रामीण धर्मदेव महतो ने प्रशासन से तत्काल आर्थिक सहायता देने की मांग की। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते मुआवजा नहीं मिला तो पीड़ित परिवारों के सामने भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
ग्रामीणों का कहना है कि इससे पहले भी कुछ दिन पूर्व महेशपुर क्षेत्र में इसी तरह की आगजनी की घटना हुई थी, लेकिन वहां भी अब तक कोई ठोस पहल नहीं की गई। ऐसे में बिंदोरा की इस घटना ने लोगों के भीतर रोष और निराशा दोनों को बढ़ा दिया है।
प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की चुप्पी
घटना की सूचना दिए जाने के बावजूद सबसे अधिक पीड़ा इस बात की है कि न तो कोई प्रशासनिक अधिकारी और न ही कोई जनप्रतिनिधि घटनास्थल पर पहुंचे। इससे ग्रामीणों में नाराजगी और अविश्वास का माहौल बन गया है।
जब मीडियाकर्मियों ने इस संबंध में अंचल अधिकारी दिनेश गुप्ता से दूरभाष पर संपर्क करने का प्रयास किया, तो उन्होंने फोन उठाना उचित नहीं समझा।
इसके बाद प्रखंड विकास पदाधिकारी यादव बैठा से संपर्क किया गया, जिन्होंने संक्षिप्त प्रतिक्रिया देते हुए केवल इतना कहा—
प्रखंड विकास पदाधिकारी यादव बैठा ने कहा:
“पीड़ित को उचित मुआवजा दिया जाएगा।”
इसके बाद उन्होंने फोन काट दिया, जिससे ग्रामीणों में और अधिक नाराजगी देखी गई।
केवल आश्वासन से नहीं चलेगा काम
पीड़ित किसानों और ग्रामीणों का कहना है कि उन्हें केवल आश्वासन नहीं, बल्कि तत्काल आर्थिक सहायता की आवश्यकता है। खलिहान में रखी पूरी फसल जल जाने के बाद उनके पास न तो अनाज बचा है और न ही अगली खेती के लिए पूंजी।
ग्रामीणों ने मांग की है कि प्रशासन अविलंब घटनास्थल पर पहुंचकर नुकसान का आकलन करे और आपदा प्रबंधन के तहत पीड़ितों को शीघ्र मुआवजा उपलब्ध कराए।

न्यूज़ देखो: गरीब किसानों की पीड़ा और प्रशासन की परीक्षा
बिंदोरा गांव की यह घटना न सिर्फ एक अग्निकांड है, बल्कि यह प्रशासनिक संवेदनशीलता की भी कसौटी है। गरीब किसानों की मेहनत जलकर राख हो गई, लेकिन जिम्मेदारों की मौजूदगी तक नहीं दिखी। ऐसे मामलों में त्वरित कार्रवाई और मुआवजा ही पीड़ितों को राहत दे सकता है। हर खबर पर रहेगी हमारी नजर।
किसानों की मेहनत का सम्मान जरूरी
फसल केवल अनाज नहीं, किसान के पूरे वर्ष की उम्मीद होती है। जब वही जल जाए, तो समय पर मदद मिलना प्रशासन का कर्तव्य है।
यदि आप भी मानते हैं कि पीड़ित किसानों को तुरंत मुआवजा मिलना चाहिए, तो अपनी आवाज बुलंद करें। इस खबर को साझा करें, अपनी राय कमेंट में रखें और प्रशासन तक यह संदेश पहुंचाएं कि किसान की मेहनत अनदेखी नहीं होनी चाहिए।





